Students के बस्ते हर महीने चैक करेंगे Teacher, बताएंगे बैग उठाने के सही तरीके

Edited By swetha,Updated: 09 Dec, 2019 09:52 AM

teacher will check the bags of students every month

स्कूल बैग में गैर जरूरी बोझ ने बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाला

लुधियाना(विक्की): स्टूडैंट्स के भारी-भरकम बस्ते जहां उनके कंधों पर बोझ से कम नहीं हैं, वहीं बच्चों को कई बीमारियों की तरफ भी ले जा रहे हैं। बच्चों के भारी-भरकम स्कूली बस्ते के वजन को कम 
करने को लेकर शिक्षा विभाग के सैक्रेटरी कृष्ण कुमार ने संजीदगी दिखाई है। 

इस शृंखला में उन्होने राज्य के समूह जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर बच्चों के बस्ते का वजन कम करने के लिए अध्यापकों की भूमिका को अहम बताया है। इसी के साथ ही निर्देश दिए हैं कि महीने में एक बार अध्यापक बच्चों के स्कूली बस्ते को चैक करें और उनमें से फालतू किताबें या कापियां निकलवाएं।

ये जारी किए दिशा-निर्देश 

  • भारी स्कूली बैग के प्रतिक्रम प्रभाव’ टॉपिक/थीम के अंतर्गत स्कूल में आयोजित विभिन्न गतिविधियों या स्कूल असैंबली के दौरान इस जानकारी को सांझा किया जा सकता है।
  • विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक और कापियों के अलावा अन्य और कोई कापी/किताब लाने से रोका जाए। 
  •  स्कूल बैग को रोजाना टाइम टेबल के अनुसार तैयार करने की के लिए प्रेरित किया जाए।
  •  अध्यापकों द्वारा बच्चों के माता-पिता को भारी स्कूल बैग के बुरे प्रभाव के संबंध में सचेत किया जाए।
  •  अध्यापक बच्चों को स्कूल बैग उठाने के सही ढंग के संबंध में बताएं (जैसे कि स्कूल बैग को एक कंधे पर न उठाकर दोनों कंधों पर उठाना चाहिए) ताकि वे अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए गर्दन और टांगों के दर्द से बच सकें।  
  • अभिभावकों को सादा, हल्का और आसानी से उठा सकने योग्य स्कूल बैग खरीदने के लिए प्रेरित किया जाए।
  •  महीने में कम से कम एक बार स्कूल बैग का निरीक्षण किया जाए और देखा जाए कि इनमें कोई अतिरिक्त का कापी या किताब न हो।

स्कूल बैग में गैर जरूरी बोझ ने बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाला

देखने में आया है कि स्कूल बैग में गैर-जरूरी बोझ बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है और उन्हें पीठ दर्द, मांसपेशियों के दर्द, कंधे के दर्द और थकावट आदि की शिकायत हो सकती है। इस समस्या के समाधान हेतु अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए स्कूल प्रमुख और अध्यापक संवेदनशील भूमिका निभा सकते हैं। विद्यार्थियों और उनके  माता-पिता को इस मुश्किल के प्रति सचेत अवगत करवाते हुए इसको दूर करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए जाने चाहिएं।’’  —कृष्ण कुमार, सैक्रेटरी स्कूल एजुकेशन पंजाब

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