Edited By Sunita sarangal,Updated: 30 Jan, 2020 03:06 PM
ऐतिहासिक माघ मेला चाहे 13, 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन मेले पर लगने वाली रौनकें आज भी उसी तरह बरकरार हैं।
श्री मुक्तसर साहिब: ऐतिहासिक माघ मेला चाहे 13, 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन मेले पर लगने वाली रौनकें आज भी उसी तरह बरकरार हैं। इस मेले का श्रृंगार पाथी मिठाई है। ये खजला मिठाई के नाम से भी काफी मशहूर है। यह जगराओं में माघ के मेलों में ही मिलती है। इसकी कीमत 40 से 60 रुपए है। यह मीठी, फीकी और नमकीन होती है। इसे तैयार करने के लिए मेरठ और बुलंद शहर से माहिर कारीगर यहां पहुंचते हैं।
इस संबंधी जानकारी देते हुए मिठाई बनाने वाले कारीगर ने बताया कि पंजाब में मेलों के दिनों में ही वह यहां आकर मिठाई तैयार करते हैं। इसे मैदा, खोया, सूजी और बेसन के साथ बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस मिठाई का नाम खजला है लेकिन पंजाब में लोग इसे पाथी भी कहते हैं। यह चार तरह की होती है, जैसे मीठी, फीकी, नमकीन और खोया वाली मिठाई। वैसे इसकी कीमत 40 से 60 रुपए तक है, लेकिन जो खोया वाली मिठाई है वह 60 रुपए की बेची जाती है। उन्होंने बताया कि लोगों को ज्यादातर कम मीठे वाली मिठाई ही पसंद हैं।