Students की जान से खिलवाड़, सरेआम उड़ाई जा रही आदेशों की धज्जियां

Edited By Kalash,Updated: 15 Sep, 2025 01:30 PM

safe school vehicle policy violation

जिले में सेफ स्कूल वाहन नीति का खुलेआम उल्लंघन देखा जा सकता है, इसके उदाहरण रोजाना देखने को मिल रहे हैं।

तरनतारन (रमन): जिले में सेफ स्कूल वाहन नीति का खुलेआम उल्लंघन देखा जा सकता है, इसके उदाहरण रोजाना देखने को मिल रहे हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी सख्त आदेशों के बावजूद, जरूरत से ज़्यादा बच्चों को वाहनों में बिठाया जा रहा है, जिस से स्कूली बच्चों की जान जोखिम में पड़ रही है। गौरतलब है कि जिला प्रशासन अब तक रोज़ाना देखने को मिल रही इस नियमों के उल्लंघन को रोकने में नाकाम रहा है, जो शायद किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है।

जिले के अंतर्गत आने वाले सीमावर्ती इलाकों के अलावा, स्थानीय शहर में जहां बड़ी संख्या में बिना स्कूल के नाम वाले वाहन सड़कों पर दौड़ते देखे जा सकते हैं, वहीं भीषण गर्मी के बावजूद इन वाहनों में जरूरत से ज़्यादा बच्चों को ढोया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इनमें से ज़्यादातर वाहन चालक न तो वर्दी पहनते हैं और न ही वाहनों में कोई हैल्पर होता है।

सुरक्षित स्कूल वाहन नीति की बात करें तो वाहनों की गति नियंत्रित करने के लिए गति नियंत्रण मीटर अनिवार्य हैं, लेकिन इनमें से पांच प्रतिशत वाहनों में भी गति नियंत्रण मीटर नहीं लगे हैं। इसके कारण छोटे बच्चों को ओवर स्पीड में स्कूल ले जाते देखना आम बात है। इनमें से ज़्यादातर स्कूल बसों, वैनस पर न तो स्कूल का नाम लिखा होता है और न ही परिवहन विभाग के किसी अधिकारी का फोन नंबर, ताकि ओवर स्पीड और रैश ड्राइविंग करने पर उनसे संपर्क कायम करते हुए वाहन को रोका जा सके। बच्चों की जान जोखिम में डालकर ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा और पीटर रेहड़ियों में ले जाना आम बात हो गई है। इसमें बच्चों की जान एक प्रतिशत भी सुरक्षित नहीं है। और तो और इन वाहनों के चालकों की न तो कभी मैडिकल जांच हुई है और न ही उनका डोप टेस्ट हुआ है।

सीमावर्ती इलाकों की सड़कों पर आमतौर पर स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले ज़्यादातर वाहन कंडम हो चुके हैं, जिनके इंजन की हालत भी बेहद नाज़ुक है और टायर भी खस्ता हालत में देखे जा सकते हैं। जहां कई वाहन चालक बच्चों को स्कूल पहुंचाना अपनी पूरी ज़िम्मेदारी समझते हुए वाहन के दस्तावेज़, टैक्स, मैडिकल किट और अन्य नियमों का सख्ती से पालन करते देखे जा सकते हैं, वहीं अन्य वाहन चालकों को भी इनसे कुछ सीखने की जरूरत है। इसमें कोई शक नहीं कि जिले के विभिन्न गांवों और सीमावर्ती इलाकों में आज भी जुगाड़ू वाहनों पर छोटे बच्चों की जान से खिलवाड़ जारी है। प्रशासन की ओर से इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

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जिले के डी.सी. व एस.एस.पी. को सख्त आदेश जारी करने की सख्त जरूरत

शिवसेना बाल ठाकरे के प्रदेश उपाध्यक्ष अश्विनी कुमार कुक्कू ने कहा कि एक तरफ तो परिवहन विभाग बच्चों की जान से खिलवाड़ रोकने के लिए सख्त आदेश दे रहा है, लेकिन दूसरी तरफ जारी आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। जब किसी स्कूल वाहन से कोई बड़ा हादसा होता है तो प्रशासन कार्रवाई करता नजर आता है। स्थानीय शहर में सुरक्षित स्कूल वाहन नीति की अवहेलना करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए जिले के डिप्टी कमिश्नर और एस.एस.पी. को सख्त आदेश जारी करने की सख्त जरूरत है, ताकि किसी अनमोल बच्चे की जान-माल का कोई नुक्सान न हो।

स्कूल वाहन नीति का पालन न करने वालों पर ट्रैफिक विभाग को सख्त कार्रवाई करने के आदेश : एस.एस.पी.

इस संबंध में एस.एस.पी. रवजोत ग्रेवाल ने कहा कि स्कूली बच्चों के लिए स्कूल वाहन नीति का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने के लिए ट्रैफिक विभाग को आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने स्कूली बच्चों के अभिभावकों से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजते समय इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन की उचित जांच-पड़ताल खुद भी करें, साथ ही, उन्होंने स्कूल संचालकों से भी अपील की है कि सुरक्षित स्कूल वाहन नीति के तहत वाहनों की सभी शर्तें पूरी होनी चाहिए, अन्यथा उनके खिलाफ भी उचित कार्रवाई की जाएगी।

नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल वाहन चालकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी : डी.सी.

जिले के डिप्टी कमिश्नर राहुल ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि वे संबंधित विभागों के कर्मचारियों को इस बाबत विशेष अभियान चलाने के आदेश जारी कर रहे हैं।

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