30 सेकंड की रील, बर्बाद हो रहा भविष्य! बच्चों की मेंटल हेल्थ पर मंडरा रहा बड़ा खतरा

Edited By Kalash,Updated: 22 Dec, 2025 12:10 PM

mobile phone effect on student mental health

आज के दौर में हमारी युवा पीढ़ी और बच्चे ऐसी सोच से घिरे हुए हैं, जिसे ज़्यादातर लोग पहचान नहीं पा रहे हैं।

तरनतारन (रमन): आज के दौर में हमारी युवा पीढ़ी और बच्चे ऐसी सोच से घिरे हुए हैं, जिसे ज़्यादातर लोग पहचान नहीं पा रहे हैं। बचपन में मोबाइल फोन को स्ट्रेस का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। हालांकि मोबाइल फोन के इस्तेमाल ने कई कामों को काफी आसान बना दिया है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बच्चों में इसके लगातार इस्तेमाल से उनके शारीरिक और मानसिक विकास को नुकसान पहुंच रहा है। मोबाइल फोन पर वॉटसैप, इस्टाग्राम, फेसबुक, ट्वीटर चलने के साथ ही अब रील बनाने का ट्रेंड शुरू हो गया है। हर समय मोबाइल फोन की स्क्रीन से बहुत ज़्यादा जुड़े रहने से युवाओं और खासकर बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ने लगा है।

साइकेट्रिस्ट डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास ऐसे केस आ रहे हैं, जिनमें बच्चे हर दिन कई घंटों तक अपने मोबाइल फोन पर 30 सैकंड के वीडियो देख रहे हैं। ट्यूशन, स्कूल और घर पर मम्मी-पापा से चैटिंग करते समय दिमाग का अंदरूनी हिस्सा मोबाइल फोन पर लगा रहता है। इससे उनका पढ़ाई में बिज़ी रहने का समय छिन जाता है। मोबाइल फोन युवाओं को स्ट्रेस और एंग्जायटी दे रहा है। पढ़ाई का समय छोटे-छोटे वीडियो देखने में बीत रहा है। पढ़ाई का समय बर्बाद होने के बाद दूसरी चिंताएं भी दिमाग को घेर रही हैं। बार-बार फोन चेक करना और बिना वजह स्क्रॉल करना दिमाग को आराम नहीं दे रहा है। इससे ध्यान टूट रहा है, जिससे वे पढ़ाई या काम पर फोक्स नहीं कर पा रहे हैं। मोबाइल फोन के लगातार इस्तेमाल से बच्चों का मेंटल डेवलपमेंट रुक रहा है, जिससे बचना बहुत ज़रूरी है।

बच्चों के माहिरों का कहना है कि बच्चों में सेल्फ-कॉन्फिडेंस की भी बहुत कमी है। वहीं, जब छोटा बच्चा रोटी नहीं खाता और दूध नहीं पीता, तो मां उसे डांटने के बजाय फोन पर कार्टून दिखाना शुरू कर देती है। माताओं ने बच्चों को खाना खिलाने के ये सभी तरीके अपने डेली रूटीन में शामिल कर लिए हैं, जो सही नहीं है। बचपन में माता-पिता की डाली गई मोबाइल की बुरी आदतों की वजह से बच्चे का सही विकास नहीं हो पाता।

हमारा युवा अकेला रह गया

साइकेट्रिस्ट माहिरों का कहना है कि सोशल मीडिया पर लगातार डिजिटल कनैक्शन युवाओं पर बुरा असर डाल रहा है। इससे ध्यान भटकता है, नींद पर असर पड़ता है और धीरे-धीरे दिमागी संतुलन बिगड़ता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का हल है कि हर दिन कुछ मिनट के लिए दिमाग को शांत किया जाए। हर समय मोबाइल फोन से जुड़े रहने से नींद भी कम आती है और इसका हमारी सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।

आंखों की रोशनी पर पड़ रहा बुरा असर

आई स्पैशलिस्टों का कहना है कि छोटे बच्चों की आंखों पर पड़ने वाली रोशनी, खासकर मोबाइल फोन की वजह से उनकी आंखें कमजोर हो जाती हैं। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों पर बहुत बुरा असर डालती है, इसलिए बच्चों को मोबाइल फोन का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए तरह-तरह के टीके लगाए जाते हैं, वैसे ही बच्चों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ए की दवा देना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों में नज़र कमज़ोर होने के मामले हर दिन बड़ी संख्या में बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण मोबाइल फ़ोन का ज़्यादा इस्तेमाल माना जा रहा है।

4-5 घंटे की रह गई नींद

जानकारी देते हुए रिटायर्ड डायरैक्टर हैल्थ एंड फैमिली वेलफेयर पंजाब डा. शमशेर सिंह ने कहा कि बच्चों में मोबाइल फ़ोन के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से उनकी नींद में काफ़ी कमी आई है। रात की नींद चार-पांच घंटे तक कम हो गई है, जिसकी वजह से उन्हें सिरदर्द और बैचेनी हो रही है। जब माता-पिता कुछ समझाते हैं, तो दिमाग मोबाइल फ़ोन की तरफ़ चला जाता है। जब तक वे उसे देख न लें, माता-पिता की हल्की सी डांट भी और ज़्यादा गुस्से में बदल जाती है।

सैल्फ़-कॉन्फिडेंस की कमी से करियर पर पड़ा असर

प्रिंसिपल जसबीर सिंह ने कहा कि प्राइवेट कंपनी में मार्किटिंग कर रहे युवाओं की समस्या भी मोबाइल फ़ोन है। मोबाइल फ़ोन की लत की वजह से वे ऑफ़िस के माहौल को ठीक से समझ नहीं पाते। अपनी नेचर की वजह से प्रोफ़ैशनली काम करने में उन्हें दिक्कत होती है। उन्होंने कहा कि बच्चों और युवाओं को मोबाइल फ़ोन का बहुत कम इस्तेमाल करना चाहिए।

पेरैंट्स भी टीचर्स से कर रहे हैं शिकायत

स्कूल की टीचर नीना शर्मा ने बताया कि नर्सरी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के पेरैंट्स अक्सर उनसे शिकायत करते हैं कि पेरैंट्स की ढील और लाड़ का बुरा नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि बच्चे खाते-पीते और सोते समय सबसे पहले मोबाइल फोन की मांग करते हैं। टीइस दौरान बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है।

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