सड़कों का बिछा जाल भी नहीं रोक सका Accident, साल भर 4300 लोग होते हैं हादसों का शिकार

Edited By Vatika,Updated: 29 Dec, 2018 09:25 AM

road accident bye bye 2018

ट्रैफिक को नियंत्रण करने के लिए सरकार की नई तकनीकों के बावजूद मुख्य मार्गों पर दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। पूरे देश में इस समय जी.टी. रोड पर फोर और सिक्स लेन सड़कों का जाल बिछा हुआ है ताकि दुर्घटनाओं को कम किया जा सके लेकिन इसके बावजूद...

अमृतसर (इन्द्रजीत): ट्रैफिक को नियंत्रण करने के लिए सरकार की नई तकनीकों के बावजूद मुख्य मार्गों पर दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। पूरे देश में इस समय जी.टी. रोड पर फोर और सिक्स लेन सड़कों का जाल बिछा हुआ है ताकि दुर्घटनाओं को कम किया जा सके लेकिन इसके बावजूद दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।

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वर्ष 2018 में पूरे पंजाब में 2363 लोगों की वाहनों दुर्घटनाओं में मौत हुई है वहीं कुल दुर्घटनाओं की गिनती पर प्रदेश भर में 4300 व्यक्ति प्रतिवर्ष हैं। औसतन 12 लोग प्रतिदिन दुर्घटनाओं में मारे जा रहे हैं। डी.जी.पी. विभाग से मिले इन आंकड़ों के मुताबिक ये दुर्घटनाएं तेज रफ्तार के कारण हैं। वहीं दूसरी ओर डी.जी.पी. हाऊस ने इन आंकड़ों को पिछले वर्षों की अपेक्षा 12 प्रतिशत कम बताया है लेकिन इसमें यदि जानकारों की मानें तो यह कमी उन दुर्घटनाओं में हुई है जिनमें बड़े वाहन आगे चलते बेकसूर लोगों को रौंद देते थे लेकिन तेज रफ्तार और जी.टी. रोड पर दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। 
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केन्द्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भी पंजाब अन्य प्रदेशों की अपेक्षा मुख्य मार्गों में दुर्घटनाओं के मामले में काफी आगे है। पूरे देश के मिले आंकड़ों के मुताबिक प्रति लाख 10 व्यक्ति दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। पंजाब की औसत के मुताबिक यदि मिलान किया जाए तो पंजाब भर में अकेले रोड एक्सीडैंट में एक लाख व्यक्तियों के पीछे 14 आदमी प्रति वर्ष मारे जाते हैं। हालांकि वर्ष 2018 में दुर्घटनाओं के पूरे आंकड़े अभी प्रस्तुत नहीं हैं, इनमें कुछ वृद्धि भी हो सकती है। पंजाब केसरी टीम द्वारा इन दुर्घटनाओं के विश्लेषण में कुछ महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत हैं।

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धुंध में वाहन की दूरी पर कन्फ्यूजन
सामने से आ रहे वाहनों की आपसी दूरी का इस प्रकार कन्फ्यूजन बनता है कि धुंध में सिर्फ वाहन की लाइटें ही दिखाई देती हैं और यदि वाहन 200 मीटर की दूरी तक भी आ जाए तो भी देखने वाले को इसकी दूरी 800 से 1000 मीटर तक दिखाई देती है। इसलिए जैसे ही दोनों वाहन किसी दूसरे वाहन को ओवरटेक करके आगे बढऩे लगते हैं तो एकदम दुर्घटना की चपेट में आ जाते हैं, क्योंकि ओवरटेक करते समय बगल के वाहन को क्रॉस करके आगे बढऩे के लिए चालक को डेढ़ गुना रफ्तार बढ़ानी पड़ती है और सामने वाला वाहन भी उसी रफ्तार से आगे बढ़ रहा होता है इसमें चंद सैकेंड ही वाहनों के टकराने का खतरा होता है। इसके लिए आई.पी.एस. अधिकारी एवं अमृतसर बॉर्डर रेंज के आई.जी. सुरेंद्रपाल सिंह परमार का कहना है कि ओवरटेक करते समय सामने वाले वाहन की दूरी का सही अनुमान उसकी लाइटों से नहीं, जब तक वाहन का आकार सामने दिखाई न दे तब तक ओवरटेक नहीं करना चाहिए। यह कन्फ्यूजन 25 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण बनता है। 


सड़कों के बीच लगे पौधे बनते हैं दुर्घटनाओं का कारण
एक तरफ ग्रीन लुक का हवाला और दूसरी तरफ कहा जाता है कि सामने से आने वाले वाहनों की लाइटें वाहन चालकों को परेशान नहीं करतीं लेकिन इन्हीं पौधों में से अक्सर कुत्ते, पालतू पशु अथवा पैदल चलने वाले लोग एकाएक सड़क पर आ जाते हैं और स्पीड में चल रहे वाहन को रोकना मुश्किल हो जाता है। खासकर भारी धुंध में तो ये पौधे और भी खतरनाक हो जाते हैं। 

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ब्रेक लगाते ही वाहन का घूम जाना
स्पीड पर चलते वाहन की ब्रेक लगाने के कारण वाहन का पिछला हिस्सा घूमकर दाईं या बाईं तरफ मुड़ जाना अक्सर सड़कों पर देखा जाता है, जिससे सामने और पीछे से आने वाला कोई भी वाहन टकरा सकता है। यह भयानक दुर्घटना का कारण बनता है, इसमें कई बार वाहन अपने आप में ही उलट जाता है। चौपहिया वाहन विशेषकर कारों में यह समस्या बहुत अधिक है। इसके बारे में कारों के व्यापारी और जानकार संजय गुप्ता का कहना है कि फोर व्हील ब्रेक सिस्टम में चारों पहियों के ब्रेक व्हील सिलैंडर एक ही मूवमैंट में काम नहीं करते। हालांकि इससे ब्रेक तो लग जाती है लेकिन वाहन घूम जाता है। इसके लिए ब्रेक सिस्टम को समय-समय पर मैकेनिकल टैस्टिंग की आवश्यकता होती है।

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सुपर हाई स्पीड वाहनों की समस्या
सड़क दुर्घटनाओं में हाई स्पीड वाहनों की समस्या एक अलग तरह की है। विशेषज्ञों का कहना है कि जी.टी. रोड पर जब हाई स्पीड वाहन चलते हैं तो इनमें कई वाहन ऐसे होते हैं, जिन्हें टॉप गियर पर ले जाने के लिए 100 से अधिक स्पीड की आवश्यकता होती है और टॉप गियर पर लिए बिना वाहन की स्मूथनैस नहीं बनती। इस कारण वाहन चालक को इन सुपर हाई स्पीड वाहनों को उनके मानदंड के मुताबिक ही रफ्तार से चलाना पड़ता है। इनकी रफ्तार इतनी अधिक होती है कि हमारी सड़कों की बनावट उनके अनुरूप नहीं है। दूसरी ओर महंगी डीलक्स बसें भी 120 से अधिक रफ्तार तक चलने वाली आ चुकी हैं।

वाहनों की बन जाती हैं एक सड़क पर 4 लाइनें
हालांकि फोरलेन सड़क को बहुत अधिक सुरक्षित समझा जाता है, लेकिन इसमें समस्या बढऩे लगी है। देखने में आ रहा है की एक ही साइड पर जाने वाले वाहनों की 4 लाइनें बन जाती हैं।

  •  सबसे बाईं तरफ स्कूटर, ऑटो और अन्य छोटे कम स्पीड के वाहन।
  • दूसरी लाइन में 40 से 70 कि.मी. रफ्तार पर चलने वाली कारें आदि..
  • तीसरी लाइन में 100 कि.मी. रफ्तार पर चलने वाली कारें और डीलक्स बसें जिनकी संख्या सबसे अधिक है।
  • चौथी लाइन में बड़े ट्रक जो हमेशा दाईं तरफ रॉन्ग साइड पर चलते हैं।

एक ही साइड में बनी वाहनों की कतारों में दुविधा तब आती है जब एक तेज रफ्तार वाहन किसी को ओवरटेक करने के बाद सामान्य तौर पर उसी लाइन पर उस वाहन के आगे आकर अपनी चाल की स्थिरता बनाता है लेकिन 4 लाइनें बने होने पर स्थिरता नहीं बन पाती और दुर्घटनाओं का अंदेशा 20 प्रतिशत बढ़ जाता है। इससे बड़ी बात है कि इनमें कई वाहन तो 5वीं लाइन भी बना देते हैं, इनमें वी.आई.पी. वाहनों के काफिले जो अक्सर जी.टी. रोड पर दनदनाते रहते हैं।


वाहन चालक का आई हिप्नोटिज्म/विजन लॉक!
आमतौर पर वाहन चालक को नींद आना एक दुर्घटना का मुख्य कारण माना जा रहा है लेकिन इसमें वास्तविकता है कि वाहन चालक जब लॉन्ग ड्राइव पर निकलता है तो उस समय उसकी आंखें सड़क की व्हाइट सैंटर लाइन पर होती हैं और एकटक लंबे समय तक देखते रहने से विजन-लॉक की स्थिति आ जाती है। इससे आई हिप्नोटि’म भी कहते हैं। ऐसी स्थिति में निद्रा-अनिद्रा की मिलीजुली अवस्था दुर्घटना का कारण बनती है। यह स्थिति 20 से 25 सैकेंड तक होती है। इस संबंध में न्यूरो सर्जन डा. राजकमल का कहना है कि विजन लॉक और आई हिप्नोटि’म जैसी स्थिति से बचने के लिए सड़कों के सैंटर में जमीन में दबे हुए इंडीकेटर 3 रंगों में चमकते होने चाहिए। 


चैसिस बन रही मौतों का कारण
वर्तमान समय में वाहनों में विशेषकर कारों की चैसिस पतली होने के कारण दुर्घटनाओं के बाद मरने वालों का ग्राफ बढ़ गया है। पहले समय में चलने वाली कार-जीप में फिएट, प्रीमियर, कंटेंस्सा, विलीज, जोंगा आदि वाहन ऐसे थे, जिनमें दुर्घटना के उपरांत सवार व्यक्तियों की मौत होने के चांस कम होते थे। लेकिन वर्तमान समय में दुर्घटना होते ही वाहन पूरी तरह ध्वस्त हो जाते हैं और इनका अस्तित्व ही मिट जाता है। इन वाहनों में मरने वालों में मौके पर होने वाली मौतों में पिछली दुर्घटनाओं की अपेक्षा 15.5 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वाहनों को हाई स्पीड बनाने व इनकी इंधन क्षमता को अधिक बढ़ाकर मार्कीट वैल्यू के चक्कर में वाहनों की चैसिस की शीटें हल्की और पतली कर दी गई हैं। इस कारण वाहन की मजबूती और सेफ्टी आगे से काफी कम हुई है।


वाहनों की तेजी से बढ़ रही संख्या
देश में वर्तमान समय में वाहनों की संख्या 33.85 करोड़ है। पंजाब में राष्ट्रीय आंकड़ों के मुताबिक वाहनों की मौजूदा संख्या 92 लाख के करीब है। हालांकि पंजाब का परिवहन विभाग अलग-अलग जिलों के आंकड़ों के मुताबिक वाहनों की संख्या 1.35 करोड़ के करीब अपने खोखले रिकॉर्ड में रख कर बैठा है। किंतु प्रदेशीय और राष्ट्रीय स्तर पर वाहनों की कैंसिल की गई संख्या के आंकड़े किसी के पास प्रस्तुत नहीं हैं। बहरहाल वाहनों की संख्या अधिक बढऩा भी ’यादा दुर्घटनाओं का कारण है।  


आई.पी.एस. अधिकारी एस.पी.एस. परमार ने दिए कुछ सुझाव

  • ओवरटेकिंग से बचें, विशेषकर बाईं ओर से ओवरटेकिंग के समय विजिबिलिटी आधा किलोमीटर से अधिक होनी चाहिए।
  • वाहन की गति कम रखें और मोबाइल फोन से बचें। 
  • एक से डेढ़ घंटे से अधिक लगातार वाहन न चलाएं।
  • ड्रिंक और ड्राइव में अंतर बनाएं।
  • जी.टी. रोड पर वाहन पार्क करते समय सड़क से समुचित दूरी बनाएं।
  • वाहन के बीच सड़क में खराब होने पर पुलिस को सूचना दें।
  • ओवरलोड वाहन, चारा-तूड़ी से भरी ट्रॉलियां व लोहे के सरिए से भरे ट्रक इन महीनों में रात्रि के समय बंद किए जाएं।
  • पुलिस दस्तावेज चैक करने की बजाय इन दिनों में बैक लाइट, हैडलाइट और इंडिकेटर्स न होने के संबंध में वाहनों की चैकिंग करे।

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