Edited By Subhash Kapoor,Updated: 16 Mar, 2025 05:28 PM

ग्यासपुरा स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में पिछले कई वर्षों से बच्चों के फर्जी दाखिले दिखाकर सरकार द्वारा मिलने वाली ग्रांट, मिड-डे मील, यूनिफार्म सहित अन्य फंडों को हड़पने वाली हैड टीचर निशा रानी के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की लम्बी जांच के...
लुधियाना (पंकज) : ग्यासपुरा स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में पिछले कई वर्षों से बच्चों के फर्जी दाखिले दिखाकर सरकार द्वारा मिलने वाली ग्रांट, मिड-डे मील, यूनिफार्म सहित अन्य फंडों को हड़पने वाली हैड टीचर निशा रानी के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की लम्बी जांच के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
थाना ढाबा में दर्ज हुई इस एफ.आई.आर. में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की जांच में जो खुलासे किए गए हैं वो हैरान कर देने वाले हैं, स्कूल की हैड टीचर निशा रानी की तरफ से स्कूल में बच्चों के फर्जी दाखिले दिखा कर कई वर्षों से सरकार की तरफ से भेजी जाने वाली लाखों रुपए की ग्रांट को हड़पा जा रहा था। आरोपी टीचर द्वारा न सिर्फ स्कूल के दाखिला रजिस्टर में बच्चों के फर्जी नामों से एंट्रिया की जा रही थीं बल्कि रूटीन में क्लास में आने वाले बच्चों की हाजिरी में भी भारी गोलमाल किया गया था। इतना ही नहीं आरोपी द्वारा पंजाब सरकार के संबंधित पोर्टल पर भी बच्चों की फर्जी एंट्रियां डाली जा रही थीं। इस गोलमाल का खुलासा तब हुआ जब वर्ष 2024 में स्कूल में कुल 20 बच्चों की जगह सरकारी पोर्टल पर इनकी गिनती 917 दिखाई जा रही थी। शक पड़ने पर शिक्षा विभाग की तरफ से की जांच में सामने आया कि दूसरी क्लास के 16 विद्यार्थियों संबंधी किसी को कोई जानकारी ही नहीं थी, जब स्कूल में तैनात क्लास इंचार्ज से जांच की गई तो सामने आया कि नर्सरी से पांचवीं तक के विद्यार्थी 2024-25 के शुरू से ही गैरहाजिर थे लेकिन निशा रानी के आदेश पर इनकी हाजिरी लगातार लगाई जाती रही, इसी तरह वर्ष 2024 -25 के सैशन में शुरू से ही 2180 और 519 विद्यार्थी यानि गैरहाजिर रहने वाले विद्यार्थियों की गिनती 2699 मिली।
इससे साफ है कि आरोपी टीचर की तरफ से सरकार की तरफ से गरीब विद्यार्थियों को उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिए जितनी भी ग्रांट दी जाती थी। उन्हें हड़पने के लिए सारा खेल खेला गया था, दाखिला रजिस्टर में दर्ज कुछ विद्यार्थियों के परिवारों तक जांच कमेटी ने सम्पर्क किया तो सामने आया कि वो बच्चे दूसरे स्कूलों में पढ़ रहे थे और इस स्कूल में उन्होंने कभी दाखिला लिया ही नहीं था।