Edited By Vatika,Updated: 31 Mar, 2020 09:32 AM

महाराष्ट्र और दिल्ली की तरह पंजाब में भी भारी संख्या में यू.पी. और बिहार के मजदूर हैं, जिनकी लॉकडाऊन से रोजमर्रा की जिंदगी भी बद से बदतर होती जा रही है।
जालंधर (अली): महाराष्ट्र और दिल्ली की तरह पंजाब में भी भारी संख्या में यू.पी. और बिहार के मजदूर हैं, जिनकी लॉकडाऊन से रोजमर्रा की जिंदगी भी बद से बदतर होती जा रही है। जहां सरकार की ओर से सोशल डिस्टैंस बनाए रखने की बात हो रही है, वहीं ये मजदूर एक ही बेड़े में 15 से 20 कमरों के अंदर 80 से 100 लोग इकट्ठे रहते हैं जिनका बाथरूम-वॉशरूम सब कॉमन होता है जो इस महामारी को बढ़ावा दे रहा है।
वहीं, कुछ मजदूरों ने बताया कि पहले तो कर्फ्यू लगने की हड़बड़ी में महंगा राशन एक हफ्ते का खरीद लिया। अब 21 दिन का कर्फ्यू लगने के बाद न तो हमारे पास पैसे बचे और न ही 1 महीने के लिए राशन है। सरकार की ओर से भी कोई भी खबर लेने वाला नहीं है। कुछ समाजसेवी संस्थाएं लंगर और राशन लेकर आती भी हंै तो दो-चार लोगों को मिलता है। मजदूरों का कहना था कि यहां भूखे रहने से अच्छा है कि हम भी अपने गांव पैदल ही चले जाएं।
सरकारी राशन का मेरे पास नहीं कोई प्रबंध : पार्षद टिक्का
मजदूरों की हालत को देखते हुए जब वार्ड नंबर 38 के पार्षद ओमकार राजीव टिक्का से राशन देने के लिए पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरे पास सरकारी राशन का कोई प्रबंध नहीं। उन्होंने श्रमिकों की समस्या को गंभीर बताया लेकिन उनकी मदद के लिए असमर्थता जताई।