Edited By Vatika,Updated: 01 Sep, 2025 03:05 PM

ब्यास नदी में पानी के तेज बहाव के कारण लगभग सभी अस्थाई बांध टूट..
सुल्तानपुर लोधी(धीर): ब्यास नदी में पानी के तेज बहाव के कारण लगभग सभी अस्थाई बांध टूट जाने से हजारों एकड़ फसलें बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। अब आसमान से लगातार हो रही बारिश ने धुस्सी बांध के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर दिया है और स्थिति और भी भयावह रूप ले चुकी है।
पहले आहली वाला बांध और फिर चक पट्टी बहादुर बांध टूटने के बाद अब लोग आलूवाल गांव के पास बने बांध को बचाने के लिए दिन-रात मिट्टी की बोरियां और ट्रैक्टर चलाकर धुस्सी बांध को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चक पट्टी वाला बांध टूटने के बाद हजारा, बूले, हक्कर कोड़ा, किशनपुरा, घरका आदि सभी गांवों की फसलें पानी में डूब गई हैं।प्रशासन ने अधिक पानी छोड़े जाने के बाद रैड अलर्ट जारी कर दिया है और गांवों में बार-बार अपील कर रहा है कि जो लोग अभी भी अपने घरों में बैठे हैं उन्हें सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। अब जलस्तर बढ़ने के कारण पवित्र काली बेईं भी पूरे उफान पर है और पानी अब ओवरफ्लो होकर बाहर आ रहा है, जिसके कारण बेईं के साथ लगती धान की फसल और हरा चारा पूरी तरह से नष्ट हो गया है और लोग प्रशासन की मदद के बिना खुले स्थानों पर रहने को मजबूर हैं।

आहलुवाल बांध को मजबूत करने में जुटे किसान
ब्यास नदी में लगातार पानी बढ़ने से धुस्सी बांध पर उत्पन्न खतरे को देखते हुए जहां पहले आहली वाला बांध और फिर चक्की पट्टी बल्लू बहादुर बांध टूटा था वहां आलुवाल के पास बांध को मजबूत करने के लिए मिट्टी डाली जा रही है। सरकार और विभाग की कथित लापरवाही और उपेक्षा के कारण बाढ़ की स्थिति 100 प्रतिशत बिगड़ गई है।

मंड क्षेत्र में बाढ़ का कहर जारी
पौंग डैम से प्रतिदिन बड़े पैमाने पर पानी छोड़े जाने के कारण मंड क्षेत्र में बाढ़ लगातार कहर बरपा रहा है। लोगों का जीवन पटरी से उतरकर तबाह हो गया है। पहले फसलों पर और अब पानी के प्रभाव से लोगों के घरों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है और कई लोगों के घर तो ढह भी गए हैं। एक ओर जहां प्रशासन बार-बार हर संभव मदद देने की घोषणा और दावे कर रहा है वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। बाढ़ से घिरे लोग प्रशासन के दावों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।

गांव हजारा के गरीब किसान परिवारों ने मदद की गुहार लगाई
चक पट्टी के बांध के टूटने के बाद पानी के विकराल रूप के कारण बुल्ले गांव और हजारा गांवों की फ़सलें पूरी तरह पानी में डूब गई हैं। बाढ़ से घिरे गरीब परिवार की महिला ने बताया कि रात 11 बजे जब पानी आया तो वह डर गई क्योंकि उस समय उसके साथ सिर्फ उसके छोटे-छोटे बच्चे ही थे। कोई सीढ़ी नहीं थी और वे अपना सामान भी नहीं उठा सकते थे। पानी की वजह से पहले हमारा बाहरी बाथरूम ढह गया और फिर हम चिल्लाए तो पूर्व सरपंच आहली हमारी मदद के लिए आए। जिन्होंने हमारी जान बचाई वह चार फीट पानी में बिना नाव के ही हम तक पहुंचे। हमें अभी तक प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है। उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।
प्रशासन रात में किसानों को भगवान भरोसे छोड़ देता है।
बाढ़ प्रभावित किसानों ने बेहद भावुक और दर्दनाक कहानियां सुनाईं कि छतों से पानी रिस रहा है और घर कभी भी गिर सकते हैं। ट्रैक्टर जंजीरों से बंधा हुआ है। हमारी हालत बहुत खराब है। बिना फायर बोट के हम आधी रात को अंधेरे में पानी में कैसे जा सकते हैं? फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। पानी में सांप भी तैर रहे हैं। हर समय ख्तरा बना रहता है। हम किसी तरह जागकर रात बिताते हैं और सुबह होने का इंतजार करते हैं। उन्होंने बताया कि रात में प्रशासन हमें भगवान भरोसे छोड़ देता है और सुबह फोटो खिंचवाकर पूरी फौज के साथ चला जाता है।