पंजाब में जोरदार बारिश, ब्यास दरिया के आस-पास रहते लोगों और किसानों की फिर उड़ी नींद

Edited By Vatika,Updated: 07 Oct, 2025 09:50 AM

punjab heavy rain

पहाड़ी इलाकों में फिर से हो रही बारिश और मौसम में आए बदलाव के चलते

तरनतारन(रमन): पहाड़ी इलाकों में फिर से हो रही बारिश और मौसम में आए बदलाव के चलते पौंग डैम से छोड़े गए पानी से ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया है। शनिवार देर रात ब्यास नदी के ऊपरी हिस्से में 81 हज़ार क्यूसेक पानी पहुंच गया है, जबकि निचले हिस्से में 61 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से जलस्तर कम होने के कारण किसान अपने खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए बड़ी मशीनों की मदद से 5 से 8 फीट तक आई रेत को हटाने का काम कर रहे थे, लेकिन बीती रात पानी का बहाव तेज़ी से बढ़ा और उनकी मेहनत पर फिर से पानी फिर गया। 

जानकारी के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में दोबारा हो रही बारिश और मौसम में आए बदलाव के कारण जहां पंजाब के पौंग डैम और अन्य क्षेत्रों से कल रात से भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है, वहीं ब्यास नदी में एक बार फिर जलस्तर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इससे जहां किसानों की नींद उड़ी हुई है, वहीं उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है। जानकारी के अनुसार मंड क्षेत्र में ब्यास नदी के किनारे बसे गांवों के लोग बाढ़ के कारण काफी परेशान हैं और उनकी हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गई हैं। पिछले 15 दिनों से जलस्तर कम होने से जहां बाढ़ प्रभावित लोगों और किसानों ने राहत की सांस ली थी, वहीं गेहूं की फसल बोने की तैयारी में जुटे खेतों में पानी के साथ बहकर आई रेत को हटाने का काम भी तेजी से शुरू कर दिया था, लेकिन कल रात से ब्यास नदी में जलस्तर बढ़ने से किसानों के खेतों को फिर से भारी नुकसान हुआ है। 

गांव दीनेके के किसानों ने जानकारी देते हुए बताया कि खेतों में बहकर आई रेत को निकालने के लिए लोग कड़ी मेहनत कर रहे थे, लेकिन कल रात से जलस्तर बढ़ने से उनकी मेहनत पर फिर से पानी फिर गया है। उन्होंने बताया कि गेहूँ की फसल बोने के लिए समय बहुत कम बचा है, जिसके कारण अब गेहूँ की फसल बोना असंभव लग रहा है क्योंकि जलस्तर बढ़ने से रेत हटाने का काम फिर से करना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से माँग की है कि 20 हज़ार रुपये प्रति एकड़ का मुआवज़ा बहुत कम है। जबकि किसानों को 60 हज़ार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि लोग अपनी फसल बोने के लिए पिछले 15 दिनों से बड़ी मशीनों की मदद से चार से आठ फीट तक खेतों में आई रेत को हटाने का काम कर रहे थे, लेकिन इस पानी के वापस आने से उन्हें फिर से काफी नुकसान हुआ है।
 

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