पंजाब सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला, 1 अगस्त से सभी स्कूलों में...

Edited By Vatika,Updated: 31 Jul, 2025 03:03 PM

punjab government took a historic decision

दबाव में गलत रास्ता कैसे नहीं चुनना है, सच्चाई को कैसे पहचानना है और सही फैसले कैसे लेने हैं

चंडीगढ़: नशे ने पंजाब के कई घरों को तबाह कर दिया है, कई माता-पिता को अपनी संतान से वंचित कर दिया, लेकिन अब वह दौर पीछे छूटता दिख रहा है। अब पंजाब में केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि असली बदलाव हो रहा है और यह बदलाव भगवंत मान सरकार के नेतृत्व में हो रहा है। अब नशे के खिलाफ लड़ाई थानों से नहीं, बल्कि स्कूल के क्लासरूम से लड़ी जाएगी। सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है जो आने वाले समय में पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकता है।

1 अगस्त से पंजाब के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को नशे की रोकथाम से जुड़ा एक वैज्ञानिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। यह फैसला केवल एक कोर्स शुरू करने के लिए नहीं है, बल्कि पंजाब के भविष्य को बचाने के लिए एक ऐलान है। यह पाठ्यक्रम नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी की टीम द्वारा तैयार किया गया है और देशभर के वैज्ञानिकों व शिक्षा विशेषज्ञों ने इसकी सराहना की है। बच्चों को 27 हफ्तों तक हर 15वें दिन 35 मिनट की कक्षा के माध्यम से सिखाया जाएगा कि नशे से कैसे दूरी बनाए रखनी है, दबाव में गलत रास्ता कैसे नहीं चुनना है, सच्चाई को कैसे पहचानना है और सही फैसले कैसे लेने हैं।

3,658 सरकारी स्कूलों के लगभग 8 लाख विद्यार्थी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इन्हें पढ़ाने के लिए 6,500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यह पहली बार है जब कोई राज्य सरकार नशे के खिलाफ इतना ठोस और दूरदर्शी कदम उठा रही है। इस कोर्स में बच्चों को फिल्में दिखाई जाएंगी, क्विज़ करवाई जाएगी, पोस्टर, वर्कशीट्स और इंटरैक्टिव गतिविधियों के ज़रिए उनकी सोच को मजबूत किया जाएगा। बच्चों के मन में बनी गलत धारणाओं को तोड़ा जाएगा और उन्हें समझाया जाएगा कि नशे कभी भी ठंडा नहीं होता, बल्कि ये बर्बादी का रास्ता होते हैं। जब यह कोर्स अमृतसर और तरनतारन के 78 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था, तो इसके नतीजे चौंकाने वाले थे। 9,600 बच्चों में से 90% ने माना कि चिट्टे जैसे नशे की एक बार की भी लत नशाखोरी की ओर ले जा सकती है, जबकि पहले 50% बच्चे मानते थे कि केवल इच्छा शक्ति से ही नशा छोड़ा जा सकता है। अब यह संख्या घटकर सिर्फ 20% रह गई है। ये आंकड़े साबित करते हैं कि सही शिक्षा से सोच बदली जा सकती है, और समाज सोच से ही बदलता है।

मान सरकार की नीति स्पष्ट है नशे की सप्लाई पर सख्ती और मांग पर समझदारी से प्रहार। मार्च 2025 में शुरू हुई नशे के खिलाफ मुहिम के तहत अब तक 23,000 से अधिक नशा तस्करों को जेल भेजा जा चुका है, 1,000 किलो से अधिक हेरोइन जब्त की गई है और सरकार ने कई करोड़ रुपए की संपत्ति भी जब्त की है। लेकिन सरकार जानती है कि सिर्फ सज़ा देने से समस्या हल नहीं होगी। असली बदलाव तब आएगा जब हमारा बच्चा खुद कहेगा, "मैं नशे से दूर रहूंगा।" भगवंत मान सरकार का यह कदम केवल एक शिक्षा नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है। यह सरकार केवल बातें नहीं करती, ज़मीन पर काम करती है। यह सरकार आंकड़ों के आधार पर नहीं, बल्कि लोगों के दर्द को देखकर फैसले लेती है। आज जो शुरुआत हो रही है, वह कल को एक नशामुक्त पंजाब बनाएगी और यही सच्ची जीत होगी। अब वक्त आ गया है जब हर पंजाबी गर्व से कह सकेगा, "मेरी सरकार मेरे बच्चे को नशे से बचाने के लिए खड़ी है।" यही असली सेवा है, यही असली राजनीति है, और यही है मान सरकार की पहचान।

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