Edited By Vatika,Updated: 02 Jul, 2019 09:23 AM
इस वर्ष मौसम का बदलाव और मानसून की देरी के अलावा पानी की कमी जैसे कई कारणों से यहां देश के विभिन्न रा’यों में खरीफ की फसलों की रोपाई करीब 25 प्रतिशत कम हुई है
गुरदासपुर(हरमनप्रीत): इस वर्ष मौसम का बदलाव और मानसून की देरी के अलावा पानी की कमी जैसे कई कारणों से यहां देश के विभिन्न रा’यों में खरीफ की फसलों की रोपाई करीब 25 प्रतिशत कम हुई है, उसके विपरीत इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले खरीफ की फसलों की रोपाई 20 से 25 प्रतिशत एडवांस चल रही है। किसानों की इस तेज गति का सीधा असर धरती निचले पानी की खपत पर पड़ रहा है, क्योंकि जल्द रोपाई होने से फसलों की सिंचाई हेतु धरती के नीचे से निकाले जा रहे पानी की मात्रा बढ़ चुकी है।
फसली विभिन्नता पर जोर दे रहा है कृषि विभाग
पंजाब के कृषि विभाग के डायरैक्टर सुतंत्र कुमार ऐरी ने बताया कि इस वर्ष दाल निचला रकबा करीब एक हजार हैक्टेयर बढ़ाया गया है। इसी तरह गन्ने निचले रकबे में भी पिछले वर्ष के मुकाबले कुछ बढ़ौतरी हुई है। नरमे में पिछले वर्ष 2 लाख 67 हजार हैक्टेयर रकबे के मुकाबले इस बार 4 लाख हैक्टेयर रकबे में नरमे की रोपाई हुई है। इसके अलावा अब तक मक्की की 67 हजार हैक्टेयर रकबे में रोपाई हो चुकी है।
75 प्रतिशत हो चुकी है धान की रोपाई
पिछले वर्ष पंजाब में 11.50 लाख हैक्टेयर रकबे में ही खरीफ की फसलों की रोपाई हो सकी थी, जो कुल लक्ष्य का सिर्फ &2 प्रतिशत हिस्सा था, मगर इस साल 24 जून तक पंजाब में 18.68 लाख हैक्टेयर रकबे में यह रोपाई हो चुकी है, जो कुल लक्ष्य का करीब 52 प्रतिशत हिस्सा बनता है। 24 जून तक पंजाब में 12.87 लाख हैक्टेयर रकबे में धान की रोपाई हो चुकी थी, जबकि पिछले साल यह रकबा करीब 6 लाख हैक्टेयर ही था। अगर इसके बाद एक सप्ताह की बात की जाए तो 1 जुलाई तक धान की रोपाई का काम और तेज हो गया था।
36 लाख हैक्टेयर रकबे में होनी है खरीफ की फसलों की रोपाई
इस संबंधी एकत्र किए गए आंकड़े अनुसार इस बार पंजाब का कृषि विभाग धान निचला रकबा घटाकर मक्की की काश्त करवाने में लगा हुआ है, इसके साथ ही इस बार नरमे की फसल का रकबा बढ़ाने की भी हर संभव कोशिश की गई है। इस साल पंजाब में करीब 36 लाख हैक्टेयर रकबे में खरीफ की फसलों की काश्त का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसमें से धान में 23 लाख हैक्टेयर और बासमती के 6 लाख हैक्टेयर के अलावा 4 लाख हैक्टेयर रकबा नरमे में, 1.60 लाख हैक्टेयर रकबा मक्की में, 1 लाख हैक्टेयर रकबा गन्ने में लाने के अलावा 40 हजार हैक्टेयर में दाल और अन्य फसलों की काश्त करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।