पंजाबः 28 फरवरी को खुलेगा बजट का पिटारा, पढ़िए- पंजाब केसरी की स्पेशल रिपोर्ट

Edited By Sunita sarangal,Updated: 27 Feb, 2020 01:30 PM

punjab budget 2020

एक बार फिर पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल 28 फरवरी को बजट का पिटारा खोलने जा रहे हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी जनता की आंखें उम्मीदों से लबालब हैं। यह अलग बात है कि पिछले साल वित्त मंत्री ने जो दावे किए थे, वह अब तक खरे साबित नहीं हो पाए...

चंडीगढ़(रमनजीत सिंह/एच.सी. शर्मा): एक बार फिर पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल 28 फरवरी को बजट का पिटारा खोलने जा रहे हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी जनता की आंखें उम्मीदों से लबालब हैं। यह अलग बात है कि पिछले साल वित्त मंत्री ने जो दावे किए थे, वह अब तक खरे साबित नहीं हो पाए हैं। बजट 2019-20 में वित्त मंत्री ने पंजाब के रैवेन्यू में बढ़ौतरी का दावा किया था लेकिन आर्थिक मोर्चे पर लगातार जूझ रही पंजाब सरकार राजस्व उगाही तक में लगातार पिछड़ रही है। पुरानी कहावत, आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया राज्य सरकार के खजाने के मामले में सही साबित होती दिख रही है। यह हालत टैक्स और नॉन टैक्स दोनों ही तरह के रैवेन्यू के मामले में है। राजस्व बढ़ाने के लगातार किए जा रहे प्रयासों के बावजूद चालू वित्तीय वर्ष के पहले तीन तिमाही के राजस्व की प्राप्ति में काफी कमी दर्ज की गई है। 

दिसम्बर 2019 को खत्म हुई चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान रैवेन्यू कलैक्शन में पिछले वर्ष के मुकाबले टैक्स में 3612 करोड़ और नॉन टैक्स रैवेन्यू में 1527 करोड़, कुल 5139 करोड़ रुपए की कमी दर्ज की गई है।  हालांकि टैक्स रैवेन्यू कलैक्शन के अनुमानित 50,993 करोड़ रुपए के राजस्व के मुकाबले दिसम्बर 2019 तक 27,190 करोड़ (53 फीसदी) रुपए की कलैक्शन की गई है, लेकिन नॉन टैक्स रैवेन्यू कलैक्शन के कुल अनुमान 9476 करोड़ के मुकाबले मात्र 2919 करोड़ की ही क्लैक्शन पहली तीन तिमाहियों में हो पाई है। 

बाजार से उठाना पड़ रहा है कर्ज

पंजाब सरकार को कामकाज चलाने व अपने पहले से लिए हुए कर्ज की किस्तें चुकाने के लिए भी बाजार से कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। राज्य सरकार की कमिटेड लायबिल्टी (पक्के खर्च) की बात की जाए तो आमदन से ज्यादा खर्चे हैं। इनमें मुलाजिमों का वेतन 1758 करोड़ लगभग प्रतिमाह, पैंशन 793 करोड़ प्रतिमाह व 3731 करोड़ रुपए की सबसिडी सहित कर्जे का ब्याज वगैरह शामिल हैं। यही कारण है कि राज्य सरकार को चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों के दौरान ही 8335 करोड़ रुपए बाजार से उधार लेने पड़े हैं ताकि पहली तीन तिमाहियों के दौरान 9280 करोड़ रुपए कर्ज पर ब्याज के रूप में चुकाए जा सकें। अकेले अनाज खरीद से जुड़े 31000 करोड़ रुपए के विवादित कर्ज के ब्याज के रूप में हर महीने 270 करोड़ रुपए केंद्र सरकार को अदा करने पड़ रहे हैं। 

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टैक्स रैवेन्यू (अनुमानित 2019-20)

राज्य का अपना कर राजस्व 37,674 करोड़
केंद्रीय करों का हिस्सा 13,319 करोड़
कुल 50,993 करोड़
दिसम्बर 2019 तक टैक्स कलैक्शन 27,190 करोड़
पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 3612 करोड़ कम


नॉन टैक्स रैवेन्यू (अनुमानित 2019-20)

राज्य का अपना गैर कर राजस्व 9477 करोड़
दिसंबर 2019 तक 2919 करोड़
पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 1527 करोड़ कम


वित्त मंत्री के दावे

वित्त मंत्री द्वारा पिछले बजट भाषण में दावा किया गया था कि कुल राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले कुल बकाया कर्ज वर्ष 2017-18 के दौरान 380.38 प्रतिशत था जो चालू  वित्त वर्ष के अंत तक 292.46 प्रतिशत रह जाएगा, पर क्या कुल राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले 300 प्रतिशत का अधिक बकाया कर्ज राज्य के माली हालात को पटरी पर लाने का प्रयास माना जा सकता है इस पर संदेह है। 

हालांकि यह अनुमानित आंकड़े वित्त मंत्री के चालू वित्त वर्ष के बजट भाषण का हिस्सा थे लेकिन फिर भी यह आंकड़े वर्तमान सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान माली हालत के पटरी से उतरने का संकेत नहीं दे रहे। आखिर इन आंकड़ों की असलियत वित्त मंत्री द्वारा आगामी 28 फरवरी को पेश होने वाले अगले वित्त वर्ष के बजट में साफ हो जाएगी।

कर्ज वर्ष 2018-19 (संशोधित) वर्ष 2019-20 (अनुमानित)
बकाया कर्ज 2,12,276 लाख करोड़ 2,27,612 लाख करोड़
जी.एस.डी.पी./कर्ज प्रतिशत 40.96 39.74
कर्ज व ब्याज का प्रति वर्ष बोझ 30,309 करोड़ ..........
कुल राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले 380.38 292.46
बकाया कर्ज (प्रतिशत)    

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शिक्षा 

  • राज्य में 10 नए डिग्री कालेज,15 नई आई.टी. आइज, 2010 स्कूलों को इंगलिश मीडियम में तबदील करना लेकिन विपक्ष का दावा राज्य में स्कूल किए जा रहे बंद।
  • पटियाला में ओपन यूनिवर्सिटी की स्थापना, अभी तक नहीं चढ़ी सिरे।
  • दलित छात्रों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए 938.71 करोड़ का प्रावधान लेकिन 2 वर्ष की राशि अभी भी लंबित।
  • पंजाब अनएडिड कालेज एसोसिएशन तथा फैडरेशन ऑफ सैल्फ फाइनांस्ड टैक्नीकल इंस्टीच्यूशंस के मुताबिक पिछले 4 वर्षों का लगभग 1850 करोड़ रुपया अभी तक जारी नहीं किया गया है।

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हैल्थ

  • गुरदासपुर, पठानकोट व संगरूर में पी.पी.पी. मॉडल पर मैडीकल कालेज स्थापित करने का वायदा लेकिन हकीकत में कुछ नहीं
  • होशियारपुर, फाजिल्का व अमृतसर में टर्शरी केयर कैंसर सैंटरों की स्थापना का वायदा लेकिन सिर्फ फाजिल्का में बन रहा है।

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उद्योग

  • 57,735 करोड़ रुपए के निवेश से 1.89 लाख नौकरियों का वायदा लेकिन अभी तक निवेश धरातल पर नहीं।
  • फोकल प्वाइंट्स पर रिहायशी प्लाटों की बिक्री की मजबूरी लेकिन बार-बार की ई-ऑक्शन में नहीं मिल रहा रिस्पांस।
  • उद्योग विकास निगम घाटे के चलते नहीं कर रहा उद्योगों को स्थापित करने में निवेश, पुराना कर्ज भी फंसा।

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3000 करोड़ के किसान कर्जे माफी का ऐलान हवा-हवाई

कांग्रेस ने दावा किया था कि कर्जे से दबे किसानों को राहत मिलेगी। इसके लिए सरकार ने कृषि ऋण माफी स्कीम लांच की। इस योजना के तहत 5 एकड़ जमीन वाले किसानों सहित हाशिया ग्रस्त एवं गरीब किसानों के 2 लाख रुपए तक के फसली ऋण माफ होने थे। 2019-20 में सरकार ने 3000 करोड़ रुपए आरक्षित रखने का ऐलान किया था। यह अलग बात है कि इतना समय बीतने  के बाद भी अब तक सरकार बजट घोषणा पूरी नहीं कर पाई है। 


कर्ज का ‘मर्ज’

मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों किया इलाज। पंजाब पर बढ़ते कर्ज के बीच प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक लाइन में यही सार संक्षेप है। कयास लगाया जा रहा है कि पंजाब बजट 2020 भी इससे अछूता नहीं होगा। बेशक सरकार प्रस्तावित बजट दस्तावेज में आमदन बढ़ाने की भरपूर कोशिश करने का दावा कर रही है लेकिन राज्य पर बढ़ता कर्ज इस आमदन में सीधी सेंधमारी करेगा। 

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अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मार्च 2020 तक कर्ज का बोझ करीब 2,30,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल पहले ही कबूल कर चुके हैं कि राज्य सरकार को विरासत में मिला ऋण का बोझ एक प्रमुख चुनौती है, जिसका सामना करते हुए राज्य सरकार वित्तीय संयम कायम करने की कोशिश में जुटी हुई है। इससे पहले चालू वित्त वर्ष के बजट भाषण में भी मनप्रीत बादल ने स्वीकार किया था कि 31 मार्च, 2019 तक राज्य का कुल बकाया ऋण 2,12,276 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। जाहिर है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार भी पंजाब का ऋण सकल घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) का करीब 40 फीसदी रहने का अनुमान है। 

सी.सी. लिमिट का कर्ज

केंद्रीय खाद्यान्न भंडार के लिए राज्य की सरकारी अनाज खरीद एजैंसियों को केंद्र की मंजूरी के बाद बैंकों से प्राप्त सी.सी. लिमिट के बकाया/विवादित लगभग 32 हजार करोड़ की राशि को बादल सरकार द्वारा कर्ज में तबदील करवाने के मामले को चुनाव पूर्व मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस ने सरकार बनने के तीन साल बीत जाने तक भी कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं लाया है।

साधारण श्रेणी वाले राज्यों से ज्यादा ऋण

कर्ज के लाइलाज होते मर्ज की चिंताजनक स्थिति यह भी है कि पंजाब का ऋण साधारण श्रेणी वाले कई राज्यों के स्तर से भी बढ़ चुका है। इसके चलते ऋण की अदायगी सीधे तौर पर राज्य की राजस्व प्राप्तियों को चट कर रही है। 2019-20 में ऋण अदायगी का (मूल और ब्याज) 30,309 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया था, जो बहुत बड़ी राशि है। इस अदायगी के चलते पंजाब के खाते में विकास के लिए नाममात्र आर्थिक स्रोत ही बच रहे हैं। 

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बजटीय प्रावधान व यथा स्थिति

सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष के बजटीय प्रावधानों का जमीनी सच्चाई में परिवर्तित न होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार द्वारा किसानों व समाज के अन्य वर्गों को नि:शुल्क बिजली आपूर्ति के बदले पावरकॉम को दी जाने वाली सबसिडी राशि को लेकर सरकार बजटीय प्रावधानों के बावजूद गत 31 जनवरी तक 7000 करोड़ से अधिक की डिफाल्टर है। 

सवाल यही है कि यदि सबसिडी राशि का बजट प्रावधान जो विधानसभा में पारित किया गया था, उसकी अदायगी क्यों नहीं हो पाई। जाहिर है या तो सरकार के अनुमानित राजस्व में कमी दर्ज की गई होगी या फिर इस राशि का गैर बजटीय प्रावधानों में इस्तेमाल किया गया होगा।

खर्चों में कटौती के दावे बजट योजनाएं अधर में

सरकार 2019-20 के बजट प्रावधानों को भी जमीनी सच्चाई में बदलने पर नाकामयाब हुई है। न तो सरकार के बजट अनुमानों के अनुसार राजस्व प्राप्तियां हो रही हैं और न ही बजट प्रावधानों के अनुसार योजनाओं को लागू किया जा रहा है। सरकारी राजस्व के मुख्य स्रोत शराब ठेके, रेत खनन में माफिया की सक्रियता से सरकारी राजस्व को भारी नुक्सान झेलना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री कार्यालय पर सलाहकारों की फौज खड़ी करने का आरोप है। इसी कड़ी में कैप्टन सरकार के वर्तमान कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में जो बोर्ड व कार्पोरेशन बिना चेयरमैन के सुचारू रुप से कार्य कर रहे थे उनमें इन पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां भी आम लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

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