Edited By swetha,Updated: 27 Nov, 2019 12:12 PM
बादल पर की टिप्पणी को लेकर चन्नी पर भड़के शिअद विधायक
चंडीगढ़ (रमनजीत): पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र वैसे तो संविधान दिवस के उपलक्ष्य में बुलाया गया था और मंशा थी कि विधायक सदन में संविधान के विभिन्न पहलुओं पर एक-दूसरे का ज्ञान बढ़ाएंगे, लेकिन संविधान पर विचार रखने के बहाने सत्ता व विपक्ष दोनों ही तरफ से एक-दूसरे पर कभी आपातकाल, कभी 1984 के सिख विरोधी दंगों, गुजरात दंगों से लेकर मौजूदा समय में चल रही महाराष्ट्र की स्थिति को आधार बनाकर राजनीतिक बाण छोड़े जाते रहे। हालांकि स्पीकर राणा कंवरपाल सिंह ने कई बार विधायकों को ‘संविधान दिवस’ व बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर पर ही फोकस रखने की अपील की इसके बावजूद विधायकों ने छींटाकशी का मौका नहीं छोड़ा।
संविधान दिवस को मनाने के लिए रखा गया यह विशेष सत्र मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की गैर मौजूदगी में ही संपन्न हो गया। विशेष सत्र की मर्यादा को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा प्रस्ताव पेश किया गया कि इस विशेष सत्र में सिर्फ सरकारी कामकाज ही किया जाए और इस विशेष सत्र के दौरान प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव या फिर किसी सदस्य द्वारा प्राइवेट कामकाज न लाया जाए। इस प्रस्ताव पर शिअद के परमिंद्र सिंह ढींडसा ने आपत्ति जताई, लेकिन स्पीकर ने विशेष सत्र का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को सही ठहराया और यह पारित भी हो गया। संसदीय कार्यमंत्री ब्रह्म मङ्क्षहद्रा ने सदन में प्रस्ताव किया कि यह सदन संविधान निर्माता बाबा साहेब और अन्य सदस्यों को श्रद्धांजलि दे तथा यह भी बताया कि राज्य स्तर पर ‘मौलिक कत्र्तव्य’ संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान चलाया जाएगा जोकि 26 नवम्बर से शुरू होकर 14 अप्रैल 2020 यानी बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर के जन्मदिवस जिसे समरसता दिवस के तौर पर मनाया जाता है, तक जारी रहेगा। इस पर ‘आप’ विधायक सरबजीत कौर माणूके ने कहा कि देश में संविधान के बारे में जानकारी की कमी कारण रिजर्वेशन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधार करते हुए हर स्टूडैंट के लिए संविधान पढ़ाया जाना जरूरी करने की बात कही।
बादल पर की टिप्पणी को लेकर चन्नी पर भड़के शिअद विधायक
तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि बाबा साहेब द्वारा बनाए गए संविधान को जवाहर लाल नेहरू ने ही लागू करवाया। संविधान कमेटी में भी कांग्रेस के ही लोग ज्यादा थे, संविधान कमेटी ङ्क्षहदू बहुल थी फिर भी धर्म निरपेक्षता को मजबूती से शामिल किया गया। चन्नी द्वारा प्रकाश सिंह बादल पर की गई टिप्पणी को लेकर शिअद विधायक भड़क उठे। असल में चन्नी ने कहा था कि सारी उम्र राज्यों को अधिक अधिकार देने की वकालत करने वाले ही कश्मीर के मुद्दे पर यू-टर्न ले गए। 5 बार मुख्यमंत्री बनने वाले बादल ने भी संविधान को फाड़ा था। इस पर शिअद विधायकों ने कहा कि शिअद ने संविधान का नहीं बल्कि धारा 25 का विरोध किया था जिसका विरोध मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी करते हैं। इस पर काफी हो-हल्ला होने के बाद स्पीकर ने मंत्री चन्नी को संविधान पर ही फोकस रखने के लिए कहा।
85वें संशोधन पर मजीठिया ने धर्मसोत को घेरा
शिअद विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया ने 85वें संशोधन को लागू करने के मामले में मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को घेरा। मजीठिया ने कहा कि जालंधर में एक कार्यक्रम के दौरान धर्मसोत ने कहा था कि उनके कुछ साथी मंत्री ही उक्त संशोधन लागू नहीं करने देते। धर्मसोत उन मंत्रियों के नाम सदन में बताएं जिनकी वजह से यह संशोधन लागू नहीं हो पा रहा है। इस पर सत्ता पक्ष के विधायक व मंत्री भड़क गए। मजीठिया को बोलने के लिए अधिक समय मिलने की बात कहते हुए मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा, विधायक कुलबीर सिंह जीरा व मंत्री चन्नी ने स्पीकर से नाराजगी जाहिर की। जीरा ने कुछ विधायकों को वॉकआऊट करने का इशारा किया लेकिन साथी विधायकों ने उन्हें शांत करके बैठा दिया। नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा, कुलतार सिंह संधवां, जयकृष्ण रोड़ी व प्रिंसीपल बुद्धराम ने भी संविधान के लिए बाबा साहेब की प्रशंसा की और विभिन्न पहलुओं को रखा। नेता विपक्ष ने स्पीकर पर बागी विधायकों को लेकर तीखी टिप्पणियां कीं जिन्हें स्पीकर द्वारा सदन की कार्रवाई से निकाल दिया गया।
संविधान की बात करते हुए गलत को गलत कहना चाहिए : तृप्त बाजवा
चर्चा का समापन करते हुए मंत्री तृप्त राजिंद्र सिंह बाजवा ने कहा कि यह दिन जिनकी वजह से मिला उनकी सदन में बात नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों की बात हुई है लेकिन क्या गुजरात के दंगों में बहा लहू किसी और रंग का था? आपातकाल की बात हुई है तो कश्मीर में स्थिति आपातकाल जैसी नहीं है? इस पर विपक्षी विधायक चुप क्यों हैं? उन्होंने कहा कि संविधान की बात करते हुए गलत को गलत कहना चाहिए। जगमेल सिंह के मामले की बात हुई लेकिन यह क्यों नहीं देखा जा रहा कि हमारी सरकार ने मात्र 7 दिन में चालान अदालत में पेश कर दिया है जबकि पिछली सरकार के समय भीम टांक के मामले में क्या हुआ था?
विधानसभा सदन में बाबा साहिब अम्बेदकर की तस्वीर लगाने की मांग
पंजाब विधानसभा में संविधान दिवस पर चर्चा दौरान सदन के भीतर स्पीकर की कुर्सी के पीछे बाबा साहिब भीमराव अम्बेदकर की तस्वीर लगाए जाने को लेकर सभी पक्षों की सहमति बनी। इस पर स्पीकर ने कहा कि सदन के मुखिया के साथ इस संबंधी जरूर बात करेंगे। शिअद विधायक हरिंद्रपाल सिंह चंदूमाजरा ने प्रस्ताव पर चर्चा दौरान अपनी मांग रखते हुए कहा कि जिस तरह से स्पीकर की कुर्सी के पीछे महात्मा गांधी की तस्वीर लगी है, ठीक वैसे ही दूसरी तरफ बाबा भीमराव अम्बेदकर की तस्वीर भी लगाई जानी चाहिए। इस पर कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने समर्थन किया और कहा कि उनकी मांग है कि बाबा साहिब की तस्वीर लगाई जाए। पक्ष-विपक्ष के और भी कई विधायकों के समर्थन करने पर स्पीकर ने सदन को जानकारी दी कि लीडर ऑफ द हाऊस यानी कैप्टन अमरेंद्र से इस संबंधी जरूर बात करेंगे।‘आप’ विधायक सरबजीत कौर माणूके ने स्कूलों में बाबा साहिब की फोटो लगाए जाने की मांग पर तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने ऐलान किया कि तकनीकी शिक्षा संस्थाओं में फोटो सम्मान सहित लगेगी।वहीं लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान सिमरजीत सिंह बैंस ने दरियाई पानी की बांट और पंजाब पुनर्गठन वाले कानूनों में असंवैधानिक प्रावधानों का जिक्र करते हुए फिर मांग उठाई कि राष्ट्रपति को मांग की जाए कि प्रैजीडैंशियर रैफरैंस में उनके नुक्ते शामिल किए जाएं। इसके बाद पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का विवाद पूरी तरह जड़ से ही खत्म हो जाएगा। वहीं संविधान के दायरे में रहते हुए राजस्थान से पानी की कीमत वसूलने की भी मांग दोहराई।
1975 में लगी एमरजैंसी के मुद्दे पर मनप्रीत बादल कांग्रेस के बचाव में उतरे
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल 1975 में देश में लगी एमरजैंसी के मुद्दे पर कांग्रेस के बचाव में उतरे और विधानसभा में उन्होंने एमरजैंसी को समय की स्थितियों अनुसार तथ्यों के आधार पर जायज ठहराने का प्रयास किया। संविधान दिवस के मौके पर विधानसभा के विशेष सत्र में बहस दौरान अकाली विधायक दल के नेता परमिंदर ढींडसा ने एमरजैंसी का मामला उठाते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था। ढींडसा ने कहा कि इस देश में संविधान का सबसे बड़ा उल्लंघन ‘आपातकाल’ के दौरान हुआ था जब लोगों के संवैधानिक अधिकार भी छीन लिए गए थे। इसके जवाब में मनप्रीत बादल ने कहा कि 1975 में देश में जो एमरजैंसी लगी थी उस संबंधी उन्होंने कई अधिकारियों और राजनीतिक लोगों की ऑटोबायोग्राफी पढ़ी जिसमें उन्होंने एमरजैंसी को देश के हित में बताया था। मनप्रीत ने कहा कि एमरजैंसी इसलिए लगानी पड़ी थी क्योंकि अमरीका और सी.आई.ए. ने देश को आॢथक व सामाजिक तौर पर तबाह करने की साजिश की थी क्योंकि भारत की सोवियत यूनियन के साथ सांझ थी।मनप्रीत बादल द्वारा 1975 की एमरजैंसी को जायज ठहराने के लिए की गई टिप्पणी पर विरोधी पक्ष के मैंबरों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। अकाली दल के बिक्रम मजीठिया ने कहा कि मुझे तो शर्म आ रही है क्योंकि वह ऐसा समय था जब एमरजैंसी के तहत मीडिया तक को बैन कर दिया गया था और बोलने का अधिकार भी छीन लिया गया था। लोकतंत्र में लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया गया था। ढींडसा ने कहा कि मनप्रीत बादल का बयान मंजूर करने योग्य नहीं क्योंकि 1975 में लगी एमरजैंसी की गलती तो स्वयं कांग्रेस भी कबूल कर चुकी है। ‘आप’ के कुलतार सिंह संधवां का भी कहना था कि एमरजैंसी को किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता।