बुरा हाल : स्पोर्टस इंस्टीच्यूट में खुराक को लेकर खिलाड़ियों ने मैनेजमैंट पर लगाए ये आरोप

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 07 Dec, 2021 03:20 PM

players made these allegations against the management

एक तरफ पंजाब सरकार की तरफ से खेल को ऊंचा उठाने के दावे किए जा रहे हैं परन्तु दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर वास्तविकता यह है कि यहां के पंजाब स्टेट इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्टस में पंजाब भर से आए चुनिंदा खिलाड़ियों को न तो पेट भर कर खाना नसीब हो रहा है और न ही...

मोहाली (न्यामियां): एक तरफ पंजाब सरकार की तरफ से खेल को ऊंचा उठाने के दावे किए जा रहे हैं परन्तु दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर वास्तविकता यह है कि यहां के पंजाब स्टेट इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्टस में पंजाब भर से आए चुनिंदा खिलाड़ियों को न तो पेट भर कर खाना नसीब हो रहा है और न ही वहां किसी तरह की कोई साफ-सफाई का विशेष प्रबंध है। इस सम्बन्ध में आज इन बच्चों ने अपनी दर्द भरी कहानी मीडिया सामने सुनाई। गायिका सोनीं मान ने इनकी बात सुन कर मीडिया को मौके पर बुलाया और बच्चों ने सारी कहानी अपने सुनाई और बताया कि उनको पूरी खुराक नहीं मिलती। इन बच्चों का कहना था कि यहां किसी तरह की कोई सफाई नहीं है, बाथरूमों में इतना गंदगी है कि वहां खड़े होना भी मुश्किल होता है।

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लड़कियों के लिए तो खास तौर साफ-सफाई का प्रबंध होना चाहिए परन्तु ऐसा नहीं है। आज जब मीडिया की टीमें इस इंस्टीट्यूट में पहुंची तो देखा कि खाने के नाम पर दो किलो चिकन, आलू और गोभी की सब्ज़ी, चने की दाल के साथ दही और चावल यह खुराक खिलाड़ियों को दी जा रही थी। खिलाड़ी मनदीप कौर जो कि जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी है, ने बताया कि यहां चिकन या अंडे खिलाड़ियों को खाने के लिए नहीं मिलते। उन्होंने बताया कि कोरोना के बाद जब से यह इंस्टीच्यूट दोबारा खोला है, तो न तो कर्मचारियों को उनकी तनख़्वाह दी गई है और न ही खाने वाले ठेकेदार का टैंडर बढ़ाया गया है। इसका नतीजा यह निकला कि सफाई कर्मचारी नौकरी छोड़ कर जा रहे हैं और मजबूरीवश खाने वाला ठेकेदार बच्चों के दर्द को देखते यहां अपनी सेवाएं दे रहा है परन्तु उसे भी पूरा भुगतान नहीं किया जा रहा। 

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बाक्सिंग की एक और अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी कोमल का कहना था कि जब वह अपनी शिकायत लेकर डायरैक्टर के पास जाते हैं तो वहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं करता। उन्होंने कहा कि सभी अपनी मर्ज़ी के साथ आते हैं और चले जाते हैं। कोमल ने कहा कि गर्मियों में यहां और भी बुरा हाल होता है क्योंकि सिर्फ़ छत वाले पंखों के साथ ही उनको पूरा समय बिताना पड़ता है। उन्होंने बताया कि दफ़्तरी मुलाजिमों के अपने तो ए.सी. लगे हुए हैं परन्तु खिलाड़ियों के लिए कोई कूलर भी नहीं लगाया है। बच्चों के लिए खाना तैयार करने वाले वैंडर शरनदीप का कहना था कि वह कई बार विभाग को पत्र लिख चुके है कि उसका टैंडर इस साल अक्तूबर महीनो में ख़त्म हो चुका है।

उसने बताया कि मैनेजमेंट की तरफ से न तो ख़ुराक में कोई विस्तार किया गया है और न ही खाने के भाव में। उसका कहना था कि इस दौरान महंगाई बहुत ज़्यादा बढ़ गई है और गैस के रेटों में भी भारी विस्तार हो चुका है। उसने बताया कि 170 रुपए में पूरे दिन के लिए एक बच्चे को ख़ुराक देनी होती है, जोकि उसके लिए संभव नहीं है। उसने कहा कि फिर भी वह बच्चों के कारण यहां अभी भी खाना बना कर बच्चों को दे रहा है। पता लगा है कि प्रशासन और प्रशिक्षण विभागों की आपसी खटपट का नतीजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। 

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इस सम्बन्ध में प्रशासन विभाग के डायरैक्टर कैप्टन अमरदीप सिंह के साथ जब संपर्क किया गया तो उन्होंने अपना फ़ोन ही नहीं उठाया। विभाग का अन्य कोई भी मुलाज़ीम या अधिकारी अपना मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है। हालात यह हैं कि इस इमारत के बाहर लगीं सजावटी टाइलें एक-एक करके गिर रही हैं। बच्चों का कहना था कि वह इस बिल्डिंग से दूर होकर गुज़रते हैं क्योंकि यह कोई पता नहीं होता कि कब कोई टाईल ऊपर से उखड कर उन पर आ गिरे।

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