Edited By swetha,Updated: 21 Jul, 2019 11:08 AM
लुधियाना के बुड्ढे नाले में इंडस्ट्री का कैमिकल युक्त पानी गिराने वाली 44 डाइंग यूनिटों पर सख्त कार्रवाई करते हुए 44 यूनिटों को ताला लगा दिया गया है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) की सख्ती के बाद पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने वाटर एक्ट 1974 की...
लुधियाना(धीमान): लुधियाना के बुड्ढे नाले में इंडस्ट्री का कैमिकल युक्त पानी गिराने वाली 44 डाइंग यूनिटों पर सख्त कार्रवाई करते हुए 44 यूनिटों को ताला लगा दिया गया है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) की सख्ती के बाद पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने वाटर एक्ट 1974 की धारा 32 व 33 ए के तहत यह कार्रवाई की है। इन यूनिटों द्वारा अपनी फैक्टरियों से होने वाली पानी की निकासी के उचित प्रबंधों तक यह फैक्टरियां बंद रहेंगी।
3 माह पुराने है मामले में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने जारी किए तालाबंदी के आदेश
दरअसल यह मामला करीब 3 माह पुराना है और फैक्टरियों का गंदा पानी बुड्ढे नाले में डाले जाने की सूचना बोर्ड के अधिकारियों को 1 मई को मिली थी। मामले की जानकारी के बाद पंजाब डायर एसो. ने गंदे पानी की निकासी के 2 रास्ते बंद कर दिए थे, लेकिन 3 मई को इन रास्तों से दोबारा गंदा पानी निकलना शुरू हो गया जिसकी जानकारी दोबारा एसोसिएशन को दी गई, निकासी वाली जगह का बोर्ड के अधिकारियों ने दौरा किया। 4 मई को यह रास्ते फिर बंद किए गए। 16 जून को पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की टीम ने जब दोबारा पानी गिराने वाली जगह का दौरा किया तो इस दौरान पाया गया कि पंजाब डायर एसोसिएशन द्वारा इंडस्ट्री का गंदा पानी निकालने के लिए डाली गई पाइप बीच में से टूटी हुई थी जिसके चलते इंडस्ट्री का कैमीकल युक्त पानी सीधा बुड्ढे नाले में गिरना था। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने इसे वाटर एक्ट के प्रावधानों की उल्लंघना मानते हुए 12 जुलाई को इंडस्ट्री पर तालाबंदी का आदेश जारी कर दिया। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आदेशों में लिखा गया है कि ‘‘उद्योग को तुरंत प्रभाव से अपने आप्रेशन बंद करने पड़ेंगे और जब तक इन उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी के उचित प्रबंध नहीं हो जाते और बुड्ढे नाले में गंदा पानी गिरने पर रोक नहीं लगाई जाती, तब तक इंडस्ट्री बंद रहेगी।’’
जे.एल.डी. से रुक सकता है जहरीला पानी
तकनीकी जानकारों का मानना है कि डाइंग इंडस्ट्री द्वारा बुड्ढे नाले में डाले जा रहे जहरीले पानी को रोकने के लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जे.एल.डी.) तकनीक काफी अहम साबित हो सकती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से पानी की एक भी बूंद फैक्टरी के बाहर नहीं जाएगी। इसके अलावा इंडस्ट्री के प्रदूषित पानी को फिजीकल नियंत्रित करने और उसकी निगरानी करने का ही रास्ता बचता है जोकि संभव नहीं है। यदि डाइंग यूनिट जे.एल.डी. तकनीक अपना ले तो पानी का प्रदूषण रोका जा सकता है।
मालवा और राजस्थान में बीमारियां बांटता है कैमिकल युक्त पानी
लुधियाना की इंडस्ट्री का कैमिकल युक्त पानी बुड्ढा नाला के जरिए सतलुज दरिया में गिरता और यह दरिया के पानी को दूषित करता है। सतलुज का दरिया हरिके से होते हुए राजस्थान में जाता है और मालवा के लोग भी इस पानी का पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस पानी के इस्तेमाल से ही राजस्थान और मालवा में लोगों को गम्भीर बीमारियां हो रही है। पंजाब के प्रदूषित पानी की राजस्थान में आपूर्ति का मुद्दा राजस्थान की सरकार भी पंजाब के समक्ष उठा चुकी है। हालांकि अब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने इन 44 यूनिटों पर कार्रवाई जरूर की है लेकिन यह एक्शन एन.जी.टी. और मीडिया के दबाव में हुआ है। पंजाब केसरी पिछले डेढ़ साल से इस मुद्दे को लगातार उठाता रहा है और एक मई को एन.जी.टी. टीम के दौरे के दौरान भी पंजाब केसरी की टीम ने ही एन.जी.टी. को प्रदूषित पानी बुड्ढे नाले में डालने वाले प्वाइंट्स की जानकारी दी थी।
क्या कहना है अधिकारियों का
- जब तक डाइंग यूनिट वाटर एक्ट के प्रावधानों के तहत काम करने के लिए राजी नहीं हो जाते, तब तक क्लोजर नोटिस मान्य होगा। यदि इंस्पैक्शन के बाद अफसरों को लगेगा कि 44 डाइंग यूनिटों ने खुद को तकनीकी तौर पर ठीक कर लिया है तो इन्हें काम करने की इजाजत दी जाएगी। —परमजीत सिंह, एस.ई., पी.पी.सी.बी.
- जिन 44 यूनिटों को नोटिस आए हैं उनका पानी अब बुड्ढे नाले में नहीं जा रहा। जिस प्वाइंट से यह पानी जा रहा था वह प्वाइंट बंद कर दिया गया है। इसकी वजह से घरेलू सीवरेज जाम हो गया था और पानी भी सड़कों पर आ गया था। अब डाइंग यूनिटों ने खुद को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। और पी.पी.सी.बी. को नोटिस को रिव्यू करने के लिए आग्रह किया गया है। —बाबी जिंदल, सैक्रेटरी, पंजाब डाइंग एसोसिएशन
इन इंडस्ट्रियों में काम बंद
- ए.डी. डाइंग एंड फिनिशिंग मिल्स
- ए.के. डाइंग हाऊस
- आदर्श प्रोसैसर
- बालाराम टैक्स लि. (पहले गणेश कोटैक्स के नाम से जानी जाती थी)
- जी.के. फिनिशिंग
- जी.पी. डाइंग
- जी.आर. डाइंग
- जी.आर. वूलन मिल्स
- गुप्ता शिवम डाइंग प्रोसैसर
- गुप्ता शिवम प्रोसैसर (पहले यह बाला जी डाइंग फिनिशिंग मिल्स के नाम से जानी जाती थी)
- जी.आर. वूलन मिल्स
- हिंदुस्तान प्रोसैसर
- जय श्री राधे इंडस्ट्रीज
- जसबीर डाइंग हाऊस
- के.बी. डाइंग
- कैरावी प्रोसैसर
- के. राज पोदार एंड कम्पनी
- कृष्णा प्रोसैसर
- लवली इंडस्ट्रीज
- एम.आर. डाइंग
- अभिनंदर निट्स प्राइवेट लि.
- मदहो साइंटिफिक मायर्स
- मेघा प्रोसैसर्स
- एन.वी. प्रोसैसर्स
- न्यू अम्बा डाइंग (यूनिट नम्बर-2)
- न्यू अम्बा डाइंग
- प्रमोद डाइंग
- आर.एस. डाइंग
- रसीला प्रोसैसर
- एम्स.के. डाइंग
- एस.के. इंडस्ट्रीज
- सरल डायर्स