बच्चों ने संभाला ‘खूनी डोर’ सप्लाई धंधा, दुकानों पर सौदा, गलियों में डिलीवरी

Edited By Neetu Bala,Updated: 12 Jan, 2024 07:59 PM

khooni door supply business deals at shops delivery in the streets

पिछले वर्षों के दौरान तो कई लोग इस डोर की चपेट में आकर मौत का शिकार भी बन चुके हैं।

जालंधर (कशिश): हवा में प्रदूषण का स्तर अभी सामान्य भी नहीं हुआ कि अब एक और समस्या हवा में सरेआम उड़ती हुई दिखनी शुरू हो गई है। यह खूनी डोर जिला प्रशासन व पुलिस की सख्ती के बावजूद हवा में मौत बनकर उड़ने के लिए तैयार होनी शुरू हो गई है। हर साल खूनी डोर की समस्या सामने आती है और हर साल प्रशासन की तरफ से इस डोर को बंद करवाने के दावे भी किए जाते हैं, लेकिन ये दावे असलियत में कहीं न कहीं फेल हो जाते हैं।

ड्रेगन डोर का निर्माण व बिक्री बंद किए जाने के बावजूद पतंग उड़ाने वाले बच्चे व बड़े इसका धड़ल्ले से प्रयोग करते नजर आ रहे हैं और दोपहिया वाहन चलाने वाले राहगीरों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पिछले कई वर्षों से प्रशासन की तरफ से इस डोर की बिक्री व प्रयोग बंद किया जा चुका है, लेकिन फिर भी न तो चाइना डोर बेचने वाले बाज आ रहे हैं और न ही इसका प्रयोग करने वाले जबकि आए दिन कोई न कोई व्यक्ति इस डोर की चपेट में आकर घायल हो रहा है, पिछले वर्षों के दौरान तो कई लोग इस डोर की चपेट में आकर मौत का शिकार भी बन चुके हैं।

पिछले वर्ष से महंगी हुई चाइना डोर 

सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि पिछले वर्ष चाइना डोर की पेटी की कीमत 6000 रुपए (500 ग्राम 60 पीस) थी, लेकिन इस वर्ष सख्ती के चलते यह पेटी 16 हजार रुपए की हो गई है। अब देखना यह होगा कि लोहड़ी, गणतंत्र दिवस, बसंत पंचमी पर पुलिस प्रशासन क्या इस खूनी डोर माफिया पर कितना शिकंजा कस पाती है या इस वर्ष भी कोई न कोई दुघर्टना देखने को मिलेगी।

इस तरह चलता है सारा खेल

जालंधर शहर में इस बार कई खूनी डोर माफिया पुलिस प्रशासन की नजरों से बचने के लिए अलग तरीका अपना चुके हैं। सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि यह खूनी डोर बेचने वाले व्यापारी गल्ली-मोहल्लों में 13 से 17 साल के बच्चों से यह गैर-कानूनी डोर बिकवा रहे हैं ताकि पुलिस प्रशासन का शक पतंग बेचने वाले व्यापारियों पर न जा सके। 
चाइना डोर बेचने वाले व्यापारियों ने पहले ही गली-मोहल्लों में अपने जानकार बच्चों के घरों में खूनी डोर की पेटियां रखवा दी हैं। पतंग खरीदार जब चाइना डोर लेने के लिए दुकानदार को पूछता है तो ये लोग उसे साफ मना कर देते हैं कि हम चाइना डोर नहीं बेचते लेकिन अपने जानकार को ये एक कागज दे देते हैं जिस पर गली-मोहल्लों में गट्टू बेचने वाले बच्चों का मोबाइल नम्बर होता है। जिस पर कॉल करने पर ये बच्चे कोड वर्ड में पूछते है आधा (500) या किलो (750)। इसका मतलब यह है कि 500 ग्राम गट्टू 500 रुपए का और 1 किलो गट्टू 750 रुपए का। हैरानी की बात ये है कि ये बच्चे दुकानदार से एक गट्टू का 100 रुपए कमिशन लेते हैं और अगर किसी ग्राहक के घर में सप्लाई करनी है तो 150 रुपए कमिशन लेते हैं।

कहीं न कहीं अभिभावक भी जिम्मेदार

बच्चों को इस डोर का प्रयोग बंद करने के लिए हर वर्ष जागरूक किया जाता है लेकिन छत पर जाकर देखा जाए तो पता चलता है कि खुद बच्चों के अभिभावक भी चाइना डोर से  पतंग उड़ा रहे होते हैं। वहीं ड्रैगन डोर बेचे जाने से परंपरागत डोर निर्माता भी परेशान हैं। हालात यह बन गए कि सैंकड़ों की संख्या में पिन्ने वाली डोर का निर्माण करने वाले कारीगर बेरोजगार हो गए क्योंकि चाइना डोर के सामने पिन्ने वाली डोर या बरेली की डोर टिक नहीं पाती है।

5 वर्ष की हो सकती है कैद

पंजाब सरकार द्वारा चाइना डोर से पतंग उड़ाने, डोर बेचने और खरीदने वालों के पकड़े जाने पर 5 वर्ष की कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना किया जाएगा। सरकार ने ऐसे लोगों को सख्त चेतावनी दी है, लेकिन इन विक्रेताओं को सरकार का कोई डर नहीं है और न ही पुलिस प्रशासन की कानूनी कार्रवाई से कोई फर्क नजर आ रहा है।

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