“जी राम जी कानून” पर गरमाई सियासत, जाखड़ ने मान सरकार को घेरा, कहा-मनरेगा में 4 साल का हिसाब दो

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 28 Dec, 2025 05:32 PM

jakhar criticized the mann government for opposing the jai shri ram law

भारतीय जनता पार्टी के पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि पंजाब के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आम आदमी पार्टी की सरकार एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की तरह काम कर रही है और विधानसभा के विशेष सत्रों की श्रृंखला में एक और प्रचार जोड़ने की...

चंडीगढ़ : भारतीय जनता पार्टी के पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि पंजाब के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आम आदमी पार्टी की सरकार एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की तरह काम कर रही है और विधानसभा के विशेष सत्रों की श्रृंखला में एक और प्रचार जोड़ने की तैयारी कर रही है।

आज यहां जारी बयान में सुनील जाखड़ ने कहा कि भगवंत मान के नेतृत्व वाली ''आप'' सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है और अपने पास गिनाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है। इसलिए सरकार रोज़ नया प्रचार हथकंडा अपना रही है। “जी राम जी कानून” का विरोध करने के लिए बुलाया जा रहा विशेष सत्र इसी श्रृंखला की अगली कड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकार को राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था, लगातार हो रही हत्याओं और लगभग हर दिन आ रही फिरौती की धमकियों पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की हालिया पंजाब यात्रा के दौरान हर जिले के लोगों ने इस योजना में हो रहे भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि पिछले चार वर्षों के दौरान इस योजना के तहत पंजाब में हुए भ्रष्टाचार पर श्वेत पत्र जारी किया जाए।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यदि यह सरकार मानती है कि योजना में किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता नहीं थी, तो फिर पिछले चार वर्षों में, जब इसे पूरी तरह लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी, पंजाब के गरीबों को 100 दिनों का रोजगार क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गरीबों से फॉर्म भरवाकर और अंगूठे लगवाकर उन्हें भ्रमित कर रही है और सवाल किया कि इन गरीबों को चार वर्षों के उनके वैध रोजगार के अधिकार से क्यों वंचित किया गया। मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए उन्होंने पूछा कि जब केंद्र सरकार योजना में भ्रष्टाचार खत्म कर 100 की बजाय 125 दिनों का काम देने की गारंटी दे रही है, तो 'आप' सरकार को इस पर आपत्ति क्यों है। उन्होंने कहा कि 'आप' सरकार को पंजाब के गरीबों को गुमराह करना बंद करना चाहिए।

जाखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस योजना के तहत पूरा रोजगार सुनिश्चित किया जाएगा, लेकिन राज्य सरकार नए कानून का विरोध कर रही है। उन्होंने जोड़ा कि जब केंद्र सरकार 125 दिनों के काम की गारंटी दे रही है, तो राज्य सरकार को योजना को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए ताकि सभी को 125 दिनों का रोजगार मिल सके।

उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान पंजाब के गरीबों को औसतन केवल 26 दिनों का ही रोजगार मिला है, जबकि पिछले वर्षों में भी यह सरकार औसतन सिर्फ 38 दिनों का ही रोजगार दे सकी। उन्होंने कहा कि यह 'आप' सरकार के गरीब-विरोधी चेहरे को उजागर करता है। विशेष सत्रों का यह नाटक केवल अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए है।

विधानसभा के पिछले विशेष सत्रों का हवाला देते हुए सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से पूछा कि बेअदबी विरोधी मसौदा कानून का क्या हुआ, जिसे चयन समिति के पास भेजा गया था। उन्होंने यह भी पूछा कि उस विशेष सत्र का क्या परिणाम निकला, जिसमें 'आप' विधायकों को करोड़ों रुपये की पेशकश कर दल-बदल के लिए उकसाने के आरोप लगे थे और जिसकी जांच पंजाब पुलिस को सौंपी गई थी। इसी तरह उन्होंने पंजाब की कृषि नीति की स्थिति पर भी सवाल उठाया, जिसके बारे में मुख्यमंत्री ने किसान यूनियनों को भरोसा दिलाया था कि परामर्श के बाद इसे जल्द लागू किया जाएगा, लेकिन सरकार इस पर चुप है।

जाखड़ ने कहा कि अब तक पंजाब विधानसभा के नौ विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं, लेकिन उन्हें केवल इवेंट बनाकर पेश करने की बजाय सरकार को यह भी जनता के सामने रखना चाहिए कि इन सत्रों से आम पंजाबियों को क्या लाभ मिला।

अंत में उन्होंने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री कहते हैं कि पंजाब के पास फंड की कोई कमी नहीं है, तो फिर पूरे राज्य में विकास कार्य क्यों रुके हुए हैं। इस विफलता की जवाबदेही से बचने के लिए सरकार बार-बार विशेष सत्र बुला रही है, जो लोगों पर वित्तीय बोझ डालने के अलावा कोई लाभ नहीं देंगे।

नए कानून में क्या शामिल है:

सुनील जाखड़ ने कहा कि नए कानून के तहत 125 दिनों का काम दिया जाएगा। यदि समय पर काम नहीं मिलता तो बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। भुगतान में देरी होने पर देरी के लिए अतिरिक्त मुआवजा दिया जाएगा। ग्राम सभा और पंचायत की भूमिका को मजबूत किया गया है। कार्यों की पहचान और उनकी प्राथमिकता ग्राम सभा द्वारा तय की जाएगी। सामाजिक ऑडिट को अनिवार्य किया गया है।

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