Drugs in Punjab: सरकार, पुलिस और जनता सबको पता, फिर भी जारी मौत का तांडव

Edited By Suraj Thakur,Updated: 01 Sep, 2019 11:03 AM

in punjab 78 youths die from drug overdose in 2 years

मौत के मुहाने पर खड़े हैं नौजवान, 2 साल में 78 युवकों की नशे के ओवरडोज से मौत

जालंधर। बार-बार सरकार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से लताड़ लगने के बावजूद पुलिस ड्रग माफिया पर काबू पाने में सफलता हासिल नहीं कर पा रही है। पंजाब में ड्रग कारोबारियों के बारे में अब यह कहना बिलकुल सटीक बैठता है कि एक पत्थर उखाड़ो सौ मिल जाएंगे। कैप्टन कहते हैं कि सरकार गंभीर है, हजारों नशा कारोबारियों को हमने जेल में बंद किया है। पुलिस दिन में दो चार छोटे कारोबारियों पकड़ कर जेल में डाल देती है और सरकार को रिपोर्ट करके अपनी पीठ थपथपाने लगती है। इस बीच दो चार पुलिस कर्मी भी नशे के कारोबार में धर लिए जाते हैं और सरकार की तरफ से बयान आता है कि काली भेड़ों को भी नहीं बक्शा जा रहा है। पंजाब में आए दिन नशे के आवेरडोज से युवक मर रहे हैं। कई नशे की गर्त में डूब कर मौत के मुहाने पर खड़े हैं। माीडिया रिर्पोट्स के मुताबिक करीब दो सालों में 78 युवकों की नशे के ओवरडोज से मौत हुई है। ये वो मामले हैं जो पुलिस में रिपोर्ट हुए हैं। सरकार के रवैए से नाखुश हाईकोर्ट तो सरकार को फटकार लगाते हुए यह तक कह चुका है कि "आपके बस का नहीं है तो बता दो, बाकी हम देख लेंगे"। कैप्टन सरकार की नशाखोरी से निपटने की पॉलिसी जो भी हो लेकिन सरकार हाईकोर्ट की पच्चीस सूत्रीय निर्देशिका पर भी अमल नहीं कर पा रही है, जो पुलिस की मंशा पर प्रश्न चिन्ह छोड़ती है। PunjabKesari

ड्रग्स के बड़े कारोबारियों पर हाथ क्यों नहीं?
पंजाब में नशाखोरी को खत्म करने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट अहम भूमि निभा रहा है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट नशों के मामलों को लेकर सरकार को लगातार लताड़ लगाकर दिशा निर्देश जारी कर रहा है। सरकार है कि कोई न कोई नया फलसफा लेकर कोर्ट में खड़ी हो जाती है। इस सारी कारगुजारी में पंजाब सरकार पर कई सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं कि  ड्रग्स के बड़े कारोबारियों पर हाथ क्यों नहीं डाला जा रहा है। नशा सरेआम बिक रहा है, सारा पंजाब जानता है। करोड़ों की खेप के साथ स्मगलर पकड़े जा रहे हैं सबको पता है। सिर्फ सारे नेटवर्क के किंगपिंन का ही पता नहीं है। यूं कह लीजिए कोई किंग पिन उड्डन तशतरी (यू.एफ.ओ) है, जिसे पकड़ पाना मुमकिन ही नहीं है। पंजाब में तेजी से फैल रहे नशे के कारोबार और लगातार हो रही युवाओं की मौत को लेकर सरकार आज तक कोई ठोस नीति नहीं बना पाई।PunjabKesari

नशे पर किया जा सकता था 70 फीसदी नियंतंत्रण: हाईकोर्ट
जनवरी 2019 में इसी साल पंजाब में नशे के कारण युवाओं की हो रही खराब हालत को लेकर हाईकोर्ट ने कैप्टन सरकार को 25 दिशा निर्देशों पर अमल करने को कहा था। जिस पर सरकार अमल ही नहीं कर पाई। हैरत की बात तो यह है कि सरकार की और पुलिस प्रशासन हाईकोर्ट के निर्देशों को अमल में लाने के लिए ढिलाई बरतता रहा। करीब सात माह बाद जब अमृतसर में एक महिला के ड्रग एडिक्ट होने और उसे बेड़ियों में जकड़कर घर में कैद करने का मामला सामने आया तो हाईकोर्ट ने सरकार और पुलिस प्रशासन की जमकर खिंचाई की और कहा कि यदि कोर्ट के आवश्यक दिशा-निर्देशों को सरकार ने लागू किया होता तो काफी हद तक नशे पर नियंतंत्रण किया जा सकता था।PunjabKesari

सात माह बाद हाईकोर्ट ने बताई कोर्ट में अपनी परेशानी
जंजीरों में बंधी युवति के मामले में लताड़े जाने के बाद जब हाईकोर्ट ने 25 दिशा निर्देशों को जारी करने के बारे में पूछा तो इस पर नशे के मामलों के लिए गठित एसटीएफ चीफ हरप्रीत सिद्धू ने कहा कि उन्हें स्पैशल टास्क फोर्स के विस्तार के लिए 1000 लोग और चाहिए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि फिलहाल एस.टी.एफ. की टीम में 500 लोग काम कर रहे हैं, जबकि रीजन में काम करने के लिए कम से कम 1500 लोगों की टीम होनी चाहिए। यहां यह भी सवाल पैदा होता है कि स्टाफ की कमी की जानकारी पहले भी दी जा सकती थी, जिससे इस समस्या का निस्तारण जल्द भी हो सकता था। हालांकि इस पर हाईकोर्ट ने असंतुष्टि जताते हुए पंजाब के डीजीपी को हाईकोर्ट में पेश होकर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए हैं। PunjabKesari 

हाईकोर्ट के इन आदेशों अनदेखी से है असंतुष्ट 
पंजाब सरकार को ड्रग रैकेट की जांच कर रही एसटीएफ को पुनर्गठित करने के मामले में सरकार स्टाफ की कमी की बात कर रही है। जबकि यह आदेश कोर्ट ने सात माह पहले दिए थे। इसके साथ सरकार को नशा ब्रिक्री स्थलों की पहचान करना और नाबालिगों को नशे से दूर रखने के लिए व्यापक प्रबंध करने के भी निर्देश थे। नाबालिगों के लिए  होटल, रेस्टोरेंट्स और बार में शराब प्रतिबंधित करना और स्कूलों के बाहर सादी में पुलिस की तैनाती भी हाईकोर्ट के निर्देशों में शामिल था। हाईकोर्ट इससे पहले भी कई बार सरकार को इन निर्देशों को लागू करने में लताड़ लगा चुका है।PunjabKesari  
युवक हुआ ड्रग एडिक्ट, तो हाईकोर्ट में ऐसे हुई थी सरकार खिंचाई  
मामला यूं था कि इसी साल मई माह में हाईकोर्ट में  लुधियाना निवासी रवि कुमार ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि उसका बेटा 12वीं क्लास में था और उसने जिम शुरू किया था। जिम ट्रेनर ने उसे बॉडी बनाने के लिए सप्लीमेंट लेने को कहा जो उसने लेना शुरू किया। उसे स्टेरॉयड व टीके देने शुरू कर दिए जिससे वह नशे का आदी हो गया।  जिम ट्रेनर याची के बेटे को ब्लैकमेल करने लगा और लाखों रुपये भी ले लिए। इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को सभी जिमों की निगरानी करने के लिए कहा था। पंजाब सरकार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी जिम की निगरानी कैसे की जा सकती है? इस पर हाईकोर्ट ने लताड़ लगाते हुए यह कह दिया था कि आपके बस का नहीं है तो बता दो, बाकी हम देख लेंगे। 

 

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