गुरु गोबिंद सिंह जी के 7 सबक जो आपके जीवन में ला सकते हैं बदलाव

Edited By Suraj Thakur,Updated: 12 Jan, 2019 03:36 PM

guru gobind singh ji

सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ज्ञान के अथाह सागर थे। उन्हें युद्ध कला और दूरदृष्टि में महारथ हासिल था।


जालंधर। सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ज्ञान के अथाह सागर थे। उन्हें युद्ध कला और दूरदृष्टि में महारथ हासिल था। 1699 में  खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था। रविवार को गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाशोत्सव है। यूं तो गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएं और सबक अनगिनित हैं, पर उनकी जयंती पर आपको 7 खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं। पढ़े कौन सी है वो खास बातें...

1. गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा "धरम दी किरत करनी" यानि अपनी आजीविका ईमानदारी से काम करके चलानी चाहिए।
2. उन्होंने कहा "दसवंड देना" मतलब अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान भी करना चहिए।
3. गुरू जी ने कहा "कम करन विच दरीदार नहीं करना" यानि कि अपने काम को मेहनत और लग्न से करना चाहिए काम में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। 
4. "धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना" अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए।
5. "दुश्मन नाल साम, दाम, भेद, आदिक उपाय वर्तने अते उपरांत युद्ध करना" दुश्मन से लड़ने से पहले साम, दाम, दंड और भेद की नीति का सहारा लेना चाहिए उसके बाद ही आमने-सामने के युद्ध करना चाहिए।
6. "किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना" किसी की निंदा और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करनी चहिए।
7. "शस्त्र विद्या अतै घोड़े दी सवारी दा अभ्यास करना" खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने और घुड़सवारी अभ्यास करना चाहिए। यदि इस बात को वर्तमान परिवेश में देखा जाए तो मतलब हमें रोजाना व्यायाम करना चाहिए।

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