पंजाब में बेलगाम खनन माफिया पर सरकारी मोहर, पर्यावरण मंत्रालय ने संभाली जांच की कमान

Edited By Tania pathak,Updated: 04 Dec, 2020 09:50 AM

government stamp on unbridled mining mafia in punjab

न्यायालय के स्तर पर हो रही किरकिरी के कारण बेशक अब पंजाब सरकार ने पहली बार खदानों की निगरानी के लिए तकनीकी स्तर पर विकल्प तलाशने की पहल की है....

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): खनन माफिया पर नकेल कसने के तमाम दावों के बाद भी पंजाब में अवैध खनन का सिलसिला जारी है। खुद पंजाब सरकार ने अपने दस्तावेजों में इसकी पुष्टि की है। अवैध खनन से जुड़े मामले न्यायालय तक पहुंचने के बाद नींद से जागी सरकार ने पिछले कुछ महीनों में न्यायालय को जो दस्तावेज सौंपे हैं, उनमें राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की बात सामने आई है। इसी कड़ी में खनन वाली जगहों के आसपास अवैध तरीके से नाके लगाकर वसूली होने पर भी मोहर लगी है। 

न्यायालय के स्तर पर हो रही किरकिरी के कारण बेशक अब पंजाब सरकार ने पहली बार खदानों की निगरानी के लिए तकनीकी स्तर पर विकल्प तलाशने की पहल की है लेकिन मौजूदा समय में जमीनी स्तर पर खनन माफिया पूरी तरह बेकाबू है। केंद्र सरकार का खनन मंत्रालय इस पर चिंता जता चुका है। मंत्रालय द्वारा जारी सैंड माइङ्क्षनग फ्रेमवर्क में भी बताया गया है कि पंजाब में अवैध खनन के लिए मॉनिटरिंग तंत्र सख्त नहीं है। अवैध रेत खनन की मॉनिटरिंग के लिए कोई सी.सी.टी.वी. कैमरे या जांच चौकियां उपलब्ध नहीं हैं। विभाग भौतिक जांच के लिए पेस्को यानी पूर्व सैनिकों के को-ऑप्रेटिव संगठन की सहायता पर निर्भर है। जाहिर है कि पुख्ता निगरानी के अभाव का पूरा फायदा खनन माफिया उठा रहा है और प्रदेशभर में अवैध खनन का सिलसिला जारी है।

पर्यावरण मंत्रालय ने संभाली अवैध खनन की जांच की कमान
अवैध खनन की शिकायतों के बाद नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हाल ही में अवैध खनन की जांच का जिम्मा पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा है। ट्रिब्यूनल में दायर मामले में याचिकाकत्र्ता ने रोपड़ में धड़ल्ले से अवैध माइङ्क्षनग का मामला उठाया था। ट्रिब्यूनल ने पंजाब स्टेट एन्वायरनमैंट इम्पैक्ट असैसमैंट अथॉरिटी और पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से सांझा जांच रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें सामने आया कि रोपड़ में स्टोन क्रशर अवैध माइङ्क्षनग में लिप्त हैं। रोपड़ के करीब 140 स्टोन क्रशर में से करीब 89 स्टोन क्रशर में बड़े स्तर पर गड़बडिय़ां पाई गई हैं। 70 स्टोन क्रशर के पास जरूरी दस्तावेज तक नहीं हैं। रेत-बजरी के स्टॉक में बड़ी गड़बडिय़ां पाई गई हैं। प्राथमिक जांच रिपोर्ट के बाद ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण मंत्रालय के चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को गहनता से जांच का आदेश दिया है। जल्द ही रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में सबमिट कर दी जाएगी।

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इसी वर्ष पंजाब हरसाबेला, बेईंहारा और सवाड़ा खनन साइट पर करीब 634 करोड़ रुपए के अवैध खनन का आकलन किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण विशेषज्ञ की निगरानी में हुए इस आकलन की विस्तृत रिपोर्ट नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में जमा करवाई गई, जिस पर ट्रिब्यूनल ने वसूली के आदेश जारी किए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब के बेईंहरा, सवाड़ा, हरसाबेला में 2018 के मध्य तक लाखों मीट्रिक टन अवैध खनन किया गया। सवाड़ा खनन साइट पर ठेकेदार ने 18 मई 2018 तक 91,40,011.90 मीट्रिक टन अवैध खनन किया। कमेटी ने इस अवैध खनन पर करीब 464,31,26,045.2 रुपए मुआवजा वसूली तय की है। बेईंहारा खनन साइट पर ठेकेदार ने 18 मई 2018 तक 32,64,266 मीट्रिक टन अवैध खनन किया। ज्वाइंट कमेटी ने इस अवैध खनन पर करीब 165,82,47,128 रुपए मुआवजा वसूली तय की है। हरसाबेला खनन साइट पर ठेकेदार ने 6 जनवरी, 2018 तक 40,728 मीट्रिक टन अवैध खनन किया। कमेटी ने इस अवैध खनन पर करीब 2,06,89,824 रुपए मुआवजा वसूली तय की है।

हाईकोर्ट ने सी.बी.आई. को सौंपी अवैध वसूली से जुड़े मामले की जांच
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में खनन वाली जगहों के आसपास अवैध वसूली से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए जांच सी.बी.आई. को सौंपी है। हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की थी। रिपोर्ट में अधिकारियों ने किसी भी वसूली से इन्कार किया, जिस पर हाईकोर्ट ने जांच का जिम्मा डिस्ट्रिक्ट लीगल सॢवसेज अथॉरिटी के सचिव को सौंप दिया। सचिव ने अपनी रिपोर्ट में खनन वाली जगहों के आसपास अवैध वसूली पर मोहर लगाते हुए प्रामाणिक दस्तावेज प्रस्तुत किए। इस पर हाईकोर्ट ने पूरा मामला सी.बी.आई. के हवाले कर दिया। सी.बी.आई. ने भी अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में अवैध वसूली होने की बात कही है। इन्हीं जांच दस्तावेजों के कारण सरकार को पिछले दिनों स्थानीय अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उधर, सी.बी.आई. भी जल्द हाईकोर्ट में डिटेल रिपोर्ट सौंपने की तैयारी में है।

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