मशहूर बॉलीवुड अभिनेता के बेटे से करोड़ों की ठगी, हैरान कर देगा मामला

Edited By Kalash,Updated: 17 Jun, 2025 11:29 AM

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रियल इस्टेट कम्पनी ब्लू कोस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट प्राईवेट लिमिटेड और जॉय होटल एंड रिसॉर्ट के फाइव स्टार होटल प्रोजैक्ट में निवेश किया था।

चंडीगढ़ (सुशील राज): बॉलीवुड अभिनेता व रुस्तम-ए-हिंद दारा सिंह के बेटे अमरीक सिंह रंधावा के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। उन्होंने रियल इस्टेट कम्पनी ब्लू कोस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट प्राईवेट लिमिटेड और जॉय होटल एंड रिसॉर्ट के फाइव स्टार होटल प्रोजैक्ट में निवेश किया था। कम्पनी ने अच्छे रिटर्न का लालच देकर 1.64 करोड़ रुपए निवेश करवाया था। इसके बाद न प्रापर्टी का पजेशन मिला और न ही उन्हें ब्याज की पूरी रकम अदा की गई।

उनकी शिकायत पर अब पुलिस कम्पलेंट अथॉरिटी ने संज्ञान लेते हुए दोनों कम्पनियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के आदेश दिए हैं। चंडीगढ़ पुलिस की इकोनॉमिक अफैंस विंग को तीन माह के भीतर जांच पूरी कर कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। अमरीक सिंह रंधावा ने शिकायत में बताया कि वर्ष 2010 में उक्त कम्पनियों के प्रतिनिध सैक्टर-8वी स्थित उनके आवास पर आए थे। उन्हें बताया गया कि उनके पास इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-2 में एक प्लॉट है, जिस पर फाइव स्टार होटल बना रहे हैं, जिसका नाम उन्होंने होटल शेरेटन बताया था। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि वह स्टूडियो यूनिट खरीदते हैं तो उन्हें हर माह निश्चित रिटर्न मिलेगा।

2010 में दिए थे 94.26 लाख

कम्पनी की बातों में आकर उनके पिता दारा सिंह ने 21 अगस्त, 2010 को होटल में शॉप नंबर-20 के लिए 94.26 लाख रुपए की डील तय कर दी, जिसमें 90 प्रतिशत राशि अग्रिम रूप से चुका दी गई। इस पर 225 रुपए प्रति वर्गफुट के हिसाब से प्रतिमाह 1.31 लाख रुपए रिटर्न का वादा किया था। कम्पनी ने कुछ महीनों तक रिटर्न दिया, लेकिन बाद में बंद कर दिया। वर्ष 2014 में अमरीक सिंह रंधावा ने इसी प्रोजेक्ट में एक सर्विस रूम (यूनिट नंबर 227) के लिए 80 लाख रुपये में डील फाइनल की। कम्पनी ने उन्हें वादा कि 12 महीने में यूनिट का कब्जा दे दिया जाएगा और उससे पहले 93,024 रुपये हर महीने रिटर्न मिलेगा। कम्पनी ने कुछ महीनों बाद रिटर्न देना भी बंद कर दिया और आज तक उन्हें दोनों यूनिट का कब्जा नहीं मिला।

अथॉरिटी ने दिए थे एफ.आई.आर. के आदेश

इकोनॉमिक अफैस विंग (ई.ओ.डब्ल्यू.) ने अथॉरिटी के समक्ष जवाब दिया कि प्रोजैक्ट की जमीन लीज शुल्क न चुकाने के कारण 30 जुलाई, 2014 को जब्त कर ली गई थी और केस हाई कोर्ट में लंबित है। हालांकि अथॉरिटी ने माना कि यह मामलासिर्फ एक सिविल विवाद नहीं, बल्कि धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का स्पष्ट उदाहरण है। शिकायतकर्ता को न केवल धोखे से पैसे निवेश करवाए गए, बल्कि वादे के मुताबिक ब्याज और कब्जा भी नहीं दिया गया। ऐसे में अथॉरिटी ने ई.ओ.डब्ल्यू. को इस मामले में एफ.आई.आर. दर्ज करने के आदेश दिए।

आपराधिक मामले को बताया था सिविल

रंधावा ने 17 अक्टूबर 2023 को एसएसपी चंडीगढ़ को शिकायत दी थी, जिन्होंने केस ईओडब्ल्यू को भेजा। वहाँ कई बार चक्कर लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई और ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। पुलिस का कहना था कि यह सिविल विवाद है, जबकि शिकायतकर्ता ने इसे आपराधिक धोखाधड़ी बताते हुए कानूनी कार्यवाही की मांग की थी। ऐसे में अमरीक सिंह ने पुलिस और कंपनियों के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट अथारिटी में शिकायत दर्ज करवा दी।

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