Edited By Vaneet,Updated: 30 Jun, 2020 02:20 PM
गायब हुए 267 पवित्र स्वरूप मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा समिति के पूर्व अधिकारी ने कई बड़े राज खोले हैं। ...
अमृतसर(सुमित खन्ना): गायब हुए 267 पवित्र स्वरूप मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा समिति के पूर्व अधिकारी ने कई बड़े राज खोले हैं। इस सम्बन्धित शिरोमिण समिति के पूर्व अधिकारी कंवलजीत सिंह ने पुलिस को लिखित शिकायत दी है। उन्होंने बताया कि 18 मई 2016 रात को श्री गुरु ग्रंथ साहब भवन, गुरुद्वारा रामसर साहब में आग लग गई थी।
इस सम्बन्धित जानकारी मिलते ही वह मौके पर पहुंच गए, परन्तु मुझसे पहले ही वहां मुख्य सचिव हरचन सिंह, सचिव रूप सिंह, सचिव मनजीत सिंह, एडीशनल सचिव सुखदेव सिंह भूरा, एडीशनल सचिव दिलजीत सिंह बेदी, मीत सकत्तर सिंह, परमजीत सिंह निजी सहायक और मैनेजर श्री दरबार साहब प्रताप सिंह पहुंचे हुए थे। परन्तु मेरे समेत निचले आधिकारियों को घटना वाले स्थान पर नहीं जाने दिया गया। इसके बाद जब हम अंदर गए तो सभी पावन स्वरूप रुमाला साहब में रखे हुए थे और यह साबित करने की कोशिश की गई कि आग की घटना के साथ कोई नुक्सान नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि इसके बाद हमें उच्च आधिकारियों ने हिदायत दी कि आपने शोर नहीं मचाना हम आप भरपाई कर देंगे।
इसके बाद शिरोमणि समिति के अधिकारी समेत अग्रि भेंट हुए और पानी के साथ नुकसाने गए स्वरू पों को बस पर लेकर गुरुद्वारा श्री बाउली साहब, गोइन्दवाल साहब ले गए। उस समय मनजीत सिंह सचिव भी हमारे साथ थे और उन्होंने ही सारी कार्यवाही का नेतृत्व किया। समिति के आधिकारियों की हिदायत पर श्री बाऊली साहब में रजिस्टर पर इन सरूपों की कोई अैंटरी नहीं की गई और संस्कार कर दिया गया। मैंन इस मर्यादा के उलट कार्यवाही पर ऐतराज जताया तो मुझे चुप रहने के लिए कह दिया गया। 2016 के बाद भी मैं उपरोक्त स्वरूपों बारे रिकार्ड दरुस्त करने के लिए कहता रहा परन्तु मुझे इंतजार करने को कहा गया। उन्होंने बताया कि इस घटना की जांच के लिए सब समिति बनाने के आदेश दिए गए परन्तु किसी भी जांच में मेरे बयान दर्ज नहीं किए गए। उन्होंने पुलिस आधिकारियों से मांग की कि जल्द से जल्द इन स्वरूपों बारे पता लगाया जाए जिससे इनका कोई भी गलत इस्तेमाल न कर सके।
बता दें कि बीते दिनों पंजाब मानवीय अधिकार संगठन की तरफ से दोष लगाए गए थे कि श्री गुरु ग्रंथ साहब रामसर साहब में 267 पवित्र स्वरूप गायब हुए हैं। यह दोष उनकी तरफ से शिरोमणि समिति पर लगाए गए थे जबकि दूसरी तरफ इस मामले में समिति की तरफ से पूर्व अधिकारी कंवलजीत सिंह पर लगाए थे कि उनकी तरफ से यह स्वरूप खुर्द-बुर्द किए गए थे। इस मुद्दे पर शिरोमणि समिति भी पहले ही अपनी सफाई दे चुकी है।