Edited By Sunita sarangal,Updated: 19 Feb, 2020 03:50 PM
बहुचर्चित परिवार खुदकुशी मामले में अमृतसर जिला अदालत ने पूर्व डी.आई.जी. कुलतार सिंह को 8 साल जबकि डी.एस.पी. हरदेव सिंह को 4 साल की सजा सुनाई है। पुलिस ने तुरंत उन्हें हिरासत में ले लिया है।
अमृतसर: पंजाब में अमृतसर के अतिरिक्त जिला तथा सत्र न्यायधीश संदीप सिंह बाजवा की अदालत ने राज्य के बहुचर्चित 16 साल पुराने सामूहिक आत्महत्या मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए पूर्व पुलिस उपमहानिरीक्षक (डी.आई.जी.) कुलतार सिंह सहित पांच अन्य को दोषी करार देते हुए आठ-आठ वर्ष की सजा सुनाई। जबकि मौजूदा पुलिस उप अधीक्षक (डी.एस.पी.) हरदेव सिंह को चार वर्ष की सजा सुनाई गई है। सजा पाने वाले इन दोषियों में दो महिलाएं भी शमिल हैं।
अमृतसर के मोनी चौक क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार के छह लोगों द्वारा आत्महत्या करने पर मजबूर करने के मामले पर आज 16 साल बाद अदालत का फैसला आ गया है। इस मामले में छह लोगों को सजा सुनाई गई है। जिनमें एक पूर्व डी.आई.जी., एक मौजूदा डी.एस.पी. सहित छह लोगों को सजा सुनाई गई है। इस मामले में दो पुलिस वालों के अतिरिक्त चार लोग मृतक परिवार के रिश्तेदार हैं। मामले के जांच अधिकारी हरदेव सिंह को सबूत मिटाने के दोषी पाए जाने पर चार साल की कैद की सजा सुनाई गई है। जबकि डी.आई.जी. कुलतार सिंह एवं बाकी चार अन्य आरोपियों को आठ-आठ साल कैद की सजा सुनाई गई है। अमृतसर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने छह लोगों के सामूहिक आत्महत्या करने के मामले में गत 17 फरवरी को दोषी करार दिया था। आरोप प्रमाणित होने पर सभी को हिरासत में ले लिया गया था।
आरोप पत्र अनुसार 30 अक्टूबर 2004 को मोनी चौक के निवासी हरदीप सिंह समेत उसके परिवार के पांच सदस्यों ने आत्महत्या कर ली थी। पूर्व डी.आई.जी. कुलतार सिंह तब अमृतसर के एस.एस.पी. थे और मौजूदा डी.एस.पी. हरदेव सिंह तब कोतवाली थाने के एस.एच.ओ. थे। जानकारी के अनुसार मोनी चौक के रहने वाले हरदीप सिंह के पिता की परिवारिक विवाद के दौरान मौत हो गई थी। हरदीप सिंह के रिश्तेदारों ने उस पर पिता की हत्या का आरोप लगा कर धमकाना शुरू कर दिया था। हरदीप सिंह के एक दोस्त ने उसकी मुलाकात एस.एस.पी. कुलतार सिंह से करवा दी थी। एस.एस.पी. ने हरदीप सिंह से मामले को सुलझाने के लिए 12 लाख रुपए रिश्वत के तौर पर लिए थे। इसी दौरान एक दिन हरदीप अपनी पत्नी रोमी को लेकर एस.एस.पी. कार्यालय चला गया।
आरोप है कि एस.एस.पी. हरदीप की पत्नी रोमी पर लट्टू हो गया और उसने रोमी को दो दिन अपने पास रख कर उससे कई बार दुष्कर्म किया। जिसके बाद एस.एस.पी. ने रोमी को कई बार अपने पास बुलाया। जिसको लेकर हरदीप सिंह और उसकी पत्नी परेशान हो चुके थे। एस.एस.पी. उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था। इस बारे में पता चलने पर आखिरकार मजबूर होकर 30 अक्टूबर 2004 की रात हरदीप सिंह ने अपनी पत्नी रोमी, माता जसवंत कौर, बच्चों सनमीत कौर और इमरत के साथ मिलकर घर में सामूहिक आत्महत्या कर ली। पहले उसने सभी को जहर दिया फिर घर की दीवारों पर सारी आपबीती लिख दी थी। इस दुखद वारदात के अगले दिन जब पुलिस वालों को इस सनसनीखेज घटना के बारे में पता चला तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। क्षेत्र के तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक हरदीप सिंह ने अपने अधिकारी को बचाने के लिए दीवारों पर लिखे सुसाइड नोट को मिटाने का प्रयास किया था। लेकिन मीडिया के लोगों के वहां पहुंचने पर सारे मामले का पर्दाफाश हो गया।