सरकारी स्कूलों में शुरू हुआ एग्जाम सीजन, स्टूडैंट्स और अध्यापकों पर बढ़ा बोझ

Edited By Mohit,Updated: 11 Jan, 2021 04:42 PM

exam season started in government schools

पंजाब का शिक्षा विभाग अक्सर अपने कामों को लेकर सुर्खियां बटोरता रहता है। जब से............

लुधियाना (विक्की): पंजाब का शिक्षा विभाग अक्सर अपने कामों को लेकर सुर्खियां बटोरता रहता है। जब से राज्य में लॉकडाऊन की घोषणा हुई है, तब से विद्यार्थी लगातार ऑनलाइन पेपर ही दे रहे हैं। पढ़ाई के नाम पर विभाग द्वारा रोज नया टैस्ट विद्यार्थियों को थमा दिया जाता है। पढ़ाई कम और पेपर ज्यादा हो रहे हैं। ऐसा ही एक और नया मामला सामने आया है।

जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार द्वारा मार्च महीने के बाद 5वीं से 12वीं कक्षा के लिए 7 जनवरी को स्कूल दोबारा खोलने की घोषणा की गई। पहले दिन स्कूलों में विद्यार्थियों की गिनती ठीक-ठाक रही, दूसरे दिन 8 जनवरी को पहले दिन से कुछ ज्यादा बच्चे स्कूल पहुंचे। इसी बीच विभाग ने नॉन-बोर्ड क्लासेज के लिए फाइनल डेटशीट भी जारी कर दी जिसके अनुसार सभी नॉन-बोर्ड क्लासेज की फाइनल परीक्षा 8 से 22 मार्च तक आयोजित की जाएगी। अभी कुछ ही घंटे बीते थे कि एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा सभी क्लासेज के लिए प्री-बोर्ड डेटशीट जारी कर दी गई और इस डेटशीट के अनुसार सभी कक्षाओं की प्री-बोर्ड परीक्षाएं 8 से 23 फरवरी तक आयोजित की जाएंगी। बता दें कि शिक्षा विभाग द्वारा सभी कक्षाओं के क्लास टैस्ट भी लिए जा रहे हैं। ऐसे में टैस्ट के बाद प्री-बोर्ड परीक्षा, फिर फाइनल परीक्षा के आयोजन के सम्बन्ध में अध्यापकों का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग द्वारा स्कूल पढ़ाने के लिए नहीं केवल टैस्ट लेने के लिए ही खोले गए हैं। प्री-बोर्ड एग्जाम के लिए डेटशीट जारी होते ही अध्यापकों ने सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग को खूब खरी-खोटी सुनाई।

विद्यार्थियों की रिजल्ट की जिम्मेदारी भी विभाग ही ले...
विभिन्न अध्यापकों ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुए अध्यापकों और विद्यार्थियों को कठपुतली की तरह अपने इशारों पर नचाया जा रहा है। अध्यापकों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि न तो वे अपनी मनमर्जी से पढ़ा सकते हैं और न ही विद्यार्थी अपनी मर्जी से पढ़ सकते हैं। विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाना है, कब टैस्ट लेना है, कब नहीं लेना है, कौन सा एग्जाम कब होना है, नॉर्मल क्लास टैस्ट कब लेना है, यह सब विभाग द्वारा निर्धारित किया जाता है। अध्यापकों ने कहा कि पहले साल में 3 बार पेपर होते थे और विद्यार्थियों का रिजल्ट बहुत अच्छा आता था। अब पढ़ाई के नाम पर सिर्फ पेपर ही हो रहे हैं और क्लास टैस्ट भी अब विभाग द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। एक ही दिन में 2 डेटशीट जारी करना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। 7 जनवरी को स्कूल खुले हैं, 8 से विभाग ने क्लास टैस्ट शुरू कर दिए। विद्यार्थी पढ़े ही नहीं तो क्लास टैस्ट कैसे होगा, यह तो अधिकारी ही बता सकते हैं। पढ़ाना न पढ़ाना सब विभाग के हाथ में है तो अगर किसी विद्यार्थी का रिजल्ट अच्छा नहीं आता तो उसके लिए अध्यापक को जिम्मेदार क्यों ठहराया जाता है।

आंकड़ों का मायाजाल बुन रहे हैं अधिकारी
अध्यापकों ने कहा कि शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी आंकड़ों का मायाजाल बुनने में व्यस्त हैं। उन्हें विद्यार्थियों की पढ़ाई से कोई लेना-देना नहीं है। इतने लंबे अंतराल के बाद बड़ी मुश्किल से स्कूल खुले हैं, अब पढ़ाई का समय है। इस दौरान इतने ज्यादा टैस्ट नहीं लिए जा सकते। लगभग 10 महीने विद्यार्थी स्कूल से दूर रहे हैं, ऐसे में स्कूल आते ही उन पर बिना पढ़ाई के टैस्ट थोप देना न्यायसंगत नहीं है। अधिकारियों को इस संबंध में सोचना चाहिए और अब सिर्फ फाइनल एग्जाम का ही आयोजन किया जाना चाहिए। क्लास टैस्ट लेना या न लेना अध्यापक पर निर्भर होना चाहिए।

इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग द्वारा सभी क्लासेज के लिए प्री-बोर्ड एग्जाम हेतु डेटशीट जारी की गई है। पहले केवल बोर्ड कक्षाओं के लिए प्री-बोर्ड एग्जाम होते थे लेकिन इस बार सभी कक्षाओं के होंगे। शिक्षा विभाग के इस फैसले से जहां अध्यापक और विद्यार्थी हैरान हैं, वहीं वह इस हास्यप्रद बता रहे हैं। अध्यापकों का कहना है कि इससे विद्यार्थियों पर भी मानसिक तनाव बढ़ रहा है।

सोशल मीडिया के जरिए शिक्षा विभाग पर बरसे अध्यापक
एक दिन में 2 डेटशीट जारी होते ही सोशल मीडिया ग्रुप में अध्यापकों ने शिक्षा विभाग की खूब खबर ली। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शिक्षा विभाग को एक ही काम रह गया है पेपर और सिर्फ पेपर लेना, पढ़ाई का कहीं नामो-निशान नहीं है। पूरे साल सिर्फ पेपर ही लिए गए हैं। अब जब स्कूल शुरू हुए हैं तो क्लास टैस्ट शुरू हो गए हैं, फरवरी महीने में प्री-बोर्ड एग्जाम लिए जाएंगे और मार्च में फाइनल, पढ़ाई कब होगी यह विभाग बताना ही भूल गया है। विभाग को दुकानदारों की तरह बड़े-बड़े बोर्ड लगवा देने चाहिएं जिन पर लिखा हो ‘यहां पर बड़े अच्छे पेपर लिए जाते हैं’। अध्यापकों ने व्यंग किया ‘‘बिना पढ़ाई करवाए सबसे ज्यादा पेपर लेने के कारण शिक्षा विभाग का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने की पूरी संभावना है।”

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