पंजाब में अब खतरनाक Virus की Entry,  बठिंडा के बाद इस जिले में Alert

Edited By Vatika,Updated: 01 Jun, 2023 08:50 AM

entry of now dangerous virus in punjab

यह बीमारी इसलिए भी बेहद खतरनाक है क्योंकि यह पशुओं के जरिए मनुष्यों में फैल सकती है।

चंडीगढ़ : लम्पी स्किन के बाद अब पंजाब में खतरनाक ग्लैंडर्स वायरस ने दस्तक दे दी है। घोड़ों को बीमार करने वाले इस वायरस ने कुछ दिनों के भीतर ही बठिंडा के बाद अब लुधियाना को भी अपनी जद में ले लिया है। बेहद तेजी से फैलने वाले इस खतरनाक वायरस की दस्तक को देखते हुए पशुपालन विभाग ने बठिंडा और लुधियाना में वायरस वाली जगह के 5 किलोमीटर दायरे को संक्रमित क्षेत्र घोषित करते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दी है। 

इसी कड़ी में 25 किलोमीटर दायरे को स्क्रीनिंग जोन घोषित करते हुए 25 किलोमीटर के बाहर दायरे में फिजीकल/सीरो सर्विलांस शुरू कर दिया है। ग्लैंडर्स बीमारी ऐसी है जो कैंसर से भी अधिक खतरनाक है। घोड़ों और खच्चरों से सीधे यह बीमारी मनुष्यों में हो जाती है और उसकी मौत हो जाती है। अधिकारियों की मानें तो बेशक फरवरी 2023 में ग्लैंडर्स का पहला मामला होशियारपुर के बी.एस.एफ. कैंप में आया था लेकिन मई महीने के दौरान कुछ दिनों के भीतर दो नए मामलों की पुष्टि हुई है। यह बेहद चिंताजनक बात है, इसलिए एहतिहात बरतते हुए अलर्ट जारी किए गए हैं। ग्लैंडर्स बेहद खतरनाक बीमारी है, जिसके वायरस की पुष्टि होने पर संक्रमित घोड़े को इंजैक्शन देकर मारने के अलावा कोई विकल्प बाकी नहीं बचता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यह वायरस अन्य पशुओं को संक्रमित न करे। यह बीमारी इसलिए भी बेहद खतरनाक है क्योंकि यह पशुओं के जरिए मनुष्यों में फैल सकती है।

कुल्लू में घोड़ों को इंजैक्शन देकर मारा गया
पंजाब के अलावा पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश व राजस्थान में भी ग्लैंडर्स का प्रकोप बढ़ रहा है। हाल ही में कुल्लू के पीज में ग्लैंडर्स के कारण 3 घोड़ों की मौत के बाद वायरस की पुष्टि होने पर दो घोड़ों को इंजैक्शन देकर मारा गया है। इसी कड़ी में राजस्थान के जयपुर, झुंझनु, अलवर और बीकानेर में घोड़ों के वायरस ने दस्तक दी है। वहीं, हरियाणा के कई जिलों में भी इस वायरस के कारण घोड़े संक्रमित हुए हैं, जिसके बाद पशुपालन विभाग ने कमेटियां गठित कर इलाके में घोड़ा पालकों को जागरूक करने की मुहिम चलाई है।

घोड़ों के फेफड़ों पर सीधा हमला 
बरखोलडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से उत्पन्न यह बीमारी आमतौर पर घोड़ों के फेफड़ों पर सीधा हमला करती है। घोड़े को तेज बुखार हो जाता है। नाक से पानी बहने लगता है और नाक के अंदर छाले या घाव हो जाते हैं। इनके अलावा ग्रंथियों में सूजन आ जाती है और पूंछ, गले या पेट के निचले हिस्से में गांठ पड़ जाती है। ऐसे पशुओं के साथ रहने वाले पशुओं पर संक्रमण का खतरा रहता है। पशुपालन विभाग की तरफ से यहां तक हिदायत दी जाती है कि संक्रमित पशुओं की बीमारी वाले क्षेत्र में लोग भी न जाएं। वायरस के बेहद घातक होने के कारण ही पशु की मृत्यु के उपरांत 6 फुट गहरा गड्ढा खोदकर पशु को चूना व नमक डालकर दबाया जाता है।

16 दिनों में दूसरा मामला
फरवरी में होशियारपुर के बाद 12 मई को बठिंडा के लहरा मोहब्बत में ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि हुई थी, जिसके 16 दिन बाद 29 मई को अब लुधियाना के भामिया कलां में वायरस ने दस्तक दी है। पंजाब सरकार ने नियमानुसार इन मामलों की अधिसूचना तो जारी कर दी है लेकिन कुछ दिन में लगातार दूसरे मामले ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अधिकारियों की मानें तो इन मामलों के सामने आने पर द प्रिवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ इंफैक्शियस एंड कंटेजियस डिजीज इन एनिमल एक्ट, 2009 के तहत एपीसैंटर घोषित करते हुए 5 किलोमीटर दायरे को संक्रमित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। साथ ही इस बीमारी के संबंध में भारत सरकार की तरफ से जारी एक्शन प्लान के तहत रोकथाम के कदम उठाए जा रहे हैं।


पंजाब में 100 से ज्यादा बड़े हॉर्स फार्म
पंजाब के लिहाज से वायरस की दस्तक इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि प्रदेश में 100 से ’यादा बड़े हॉर्स फार्म यानी घोड़ों के अस्तबल हैं। 20 से 50 घोड़े वाले इन अस्तबलों में ’यादात्तर अस्तबल घोड़ों की ब्रीडिंग व इन्हें बेचने-खरीदने का काम करते हैं। यह कारोबार पंजाब की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान डालता है। पंजाब के बड़े हार्स ब्रीडर सुमरिंदर सिंह के मुताबिक ग्लैंडर्स की दस्तक पंजाब के लिए चिंता की बात है। पंजाब सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। ऐसा इसलिए भी है कि ग्लैंडर्स सीधे तौर पर घोड़ा पालकों के कारोबार को प्रभावित करता है। पंजाब सरकार को चाहिए कि इस बीमारी के प्राथमिक स्तर पर ही उपचार को लेकर कोई पहल हो। साथ ही उन घोड़ा पालकों को भी आर्थिक मदद देने की पहल होनी चाहिए, जो इस वायरस के कारण प्रभावित होते हैं व जिनके घोड़ों की मौत होती है। सुमरिंदर सिंह के मुताबिक पंजाब में ’यादातर देसी नस्ल के घोड़ों का कारोबार होता है। यहां पर रेसकोर्स में दौडऩे वाले घोड़ों की केवल ब्रीडिंग होती है लेकिन देसी नस्ल के घोड़े तो पंजाब के लगभग हर जिले में पाए जाते हैं। कोविड के बाद जिस तरह से फार्म हाऊस में रहने का कल्चर बढ़ा है, लोगों में घोड़े रखने का शौक भी बढ़ा है, जिससे घोड़ों की ब्रीडिंग के कारोबार में इजाफा हुआ है। पंजाब में यह तेजी से फैलता हुआ कारोबार है, जिसे सहेजने के लिए पंजाब सरकार को पहल करनी चाहिए।

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