निजी स्कूलों की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग बेबस, उठ रहे सवाल

Edited By Kalash,Updated: 01 Jun, 2025 06:04 PM

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निजी स्कूलों की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग पूरी तरह से बेबस हो चुका है।

अमृतसर (दलजीत): निजी स्कूलों की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग पूरी तरह से बेबस हो चुका है। जिले के अधिकांश निजी स्कूलों द्वारा शैक्षणिक सत्र की शुरूआत में ही सरकारी नियमों का उल्लंघन करने के बाद भी विभाग ने आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। विभाग लगातार उन निजी स्कूलों को संरक्षण दे रहा है, जो अपनी मनमानी करते हैं और सूचना के अधिकार एक्ट के तहत भी सही जानकारी नहीं दी जाती है। एक्ट के तहत मांगी गई सही जानकारी न दिए जाने और जनहित को ध्यान में रखते हुए आर.टी.आई. कार्यकर्त्ता जय गोपाल लाली ने माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।

जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग ने 2025 के शैक्षणिक सत्र के दौरान निजी स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी कर उनकी मनमानी रोकने के आदेश जारी किए थे, लेकिन अमृतसर जिले में सी.बी.एस.ई, आई.सी.एसई आदि से संबंधित कई बोर्ड ने आदेशों की अनदेखी कर अपनी मनमानी की। आर.टी.आई कार्यकर्त्ता जयगोपाल लाली ने बताया कि जिले के कई स्कूलों ने नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए स्कूल परिसर के अंदर ही कापियां बेचीं और यहां तक ​​कि अभिभावकों को विशेष दुकानों से वर्दियां खरीदने के लिए मजबूर किया। उक्त दुकानों ने बाजार में सस्ते दामों पर मिलने वाली स्टेशनरी और वर्दियों के मनमाने दाम वसूल कर अभिभावकों की जेब पर सीधा डाका डाला। उन्होंने बताया कि इस संबंध में डिप्टी कमिश्नर को भी शिकायत दी गई, लेकिन डिप्टी कमिश्नर ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया और कार्रवाई के लिए जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी को भेज दिया।

जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी ने डी.सी. ने शिकायत की और उन्होंने दोबारा शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन अफसोस की बात है कि अधिकारी ने इसे भी नजरांदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों ने अपनी मनमानी की और सरकारी आदेशों का उल्लंघन किया, उनके नाम भी शिकायत में दर्ज करके जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी को दिए गए थे, लेकिन अधिकारी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय अपना पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जवाब मांगा था कि 2025 शैक्षणिक सत्र के दौरान अधिकारियों द्वारा कितने स्कूलों का निरीक्षण किया गया और निरीक्षण के दौरान किन स्कूलों में कमियां पाई गईं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, आदि लेकिन अफसोस की बात है कि जिला शिक्षा कार्यालय ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और कागजी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई।

उन्होंने कहा कि जिला शिक्षा कार्यालय सैकेंडरी के अधिकारी ज्यादातर निजी स्कूलों के हाथों में खेल रहे हैं और उनके हाथों की कठपुतली बनकर उनकी भाषा बोल रहे हैं। आज तक अभिभावकों को निजी स्कूलों द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों के बारे में कभी न्याय नहीं मिला है और न ही किसी स्कूल के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई की गई है। उक्त कार्रवाई से पता चलता है कि अधिकारियों की मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की जा रही है।

मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को की गई शिकायत का अधिकारियों पर कोई असर नहीं

जय गोपाल लाली ने कहा कि डिप्टी कमिश्नर व डी.ई.ओ. के अलावा मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को भी सबूतों सहित शिकायत की गई थी, लेकिन उनके द्वारा की गई शिकायत पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तथा शिकायत को जांच के लिए जिला शिक्षा कार्यालय सैकेंडरी को भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षा के व्यापारीकरण को रोकने का दावा करती है, वहीं दूसरी तरफ अधिकतर निजी स्कूलों की मनमानी के आगे विभाग बेबस नजर आ रहा है।

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