लुधियाना(राज): लोहड़ी का त्यौहार पास आते ही बाजारों में खूनी चाइना डोर (प्लास्टिक डोर) बिकने का सिलसिला शुरू हो जाता है। प्रतिबंध के बावजूद यह ड्रैगन डोर सरेआम बाजारों में बिकती है। हालांकि, पुलिस भी सख्त है, लगातार कार्रवाई कर रही है लेकिन सप्लायर या दुकानदार प्लास्टिक डोर बेचने का कोई न कोई ढंग ढूंढ ही लेते हैं। प्लास्टिक डोर बेचने वालों ने अपना ट्रैंड ही बदल लिया है। विक्रेता ज्यादातर जानकार या छोटे बच्चों, किशोरों के साथ ही डीलिंग करते हैं।
वे जानकारों के व्हाट्स एप पर डोर की डीलिंग करते हैं। इसके अलावा डोर देने के लिए छोटी उम्र के युवकों किशोरों को एजैंट बनाते हैं और उनके जरिए अलग-अलग जगह डोर पहुंचाते हैं ताकि उन पर किसी को शक न हो। सोमवार को पंजाब केसरी की टीम ने प्लास्टिक डोर की ब्रिकी को लेकर शहर में एक स्टिंग ऑप्रेशन किया। 2 अलग-अलग जगहों किए स्टिंग में एजैंट एक्टिवा और बाइक पर डोर लेकर आए।
दरअसल, पंजाब केसरी की टीम ने आम ग्राहक बनकर शहर की अलग-अलग दुकानों में घूमकर प्लास्टिक डोर की मांग की। अधिकतर लोगों ने टीम को देखकर प्लास्टिक डोर होने से मना कर दिया था लेकिन जब छोटे बच्चे को भेजा गया तो कई लोग डोर देने को मान गए। फिर भी वे पूरे सतर्क थे कि कहीं कोई पुलिस वाले न हों। फिर शुरू हुआ डोर की सप्लाई का खेल। इस दौरान बच्चे को एक व्हाट्स एप नंबर मिला। एजैंट ने कहा कि वह कॉल करेगा, फिर उसकी बताई जगह पर सप्लाई होगी।

पहले स्टिंग में डोर देने वाले व्यक्ति ने पहले हैबोवाल के पास स्थित इलाके में बुलाया। जब टीम उसका इंतजार करने लगी तो वह नहीं आया। कुछ देर बाद उसने अपनी लोकेशन बदल ली। वह बहुत ही डर-डर कर चल रहा था। फिर उसने किसी और जगह बुला लिया। वहां पर एक्टिवा पर व्यक्ति आया जिसने मफलर से अपना मुंह ढका हुआ था। उसने बच्चे के साथ बड़े व्यक्ति देखे को और डर गया।
फिर उसे एहसास दिलाया गया कि वे बच्चे के रिश्तेदार हैं। एक्टिवा सवार के पास एक बैग था। उसके बैग के अंदर 4-5 गट्टू थे। वह एक्टिवा से उतरा नहीं, उसने एक्टिवा पर बैठे-बैठे ही एक गट्टू दिया। पंजाब केसरी की टीम मोबाइल कैमरे से इसकी वीडियो बना रही थी लेकिन एजैंट को इसका शक हो गया था, इसलिए उसने पहले किसी को कॉल की। फिर अचानक से बिना गट्टू दिए एक्टिवा स्टार्ट कर भाग निकला।
स्टिंग-2, बुलेट सवार ने गलियों में घुमाया, पुख्ता करके डोर दिखाई
दूसरे स्टिंग में छोटी आयु का एक युवक बुलेट बाइक पर आया। उसने सी.एम.सी. अस्पताल के नजदीक बुलाया। उसकी बताई जगह पर पंजाब केसरी की टीम पहुंची। वहां से बुलेट वाला टीम को अपने पीछे-पीछे अलग-अलग गलियों में घुमाने लगा। कुछ देर गलियों में घुमाने के बाद वह शिवाजी नगर की एक गली में रुका। उसके पास काले रंग का लिफाफा था जिसमें उसने एक गट्टू रखा हुआ था। पहले उसने टीम को अच्छे से देखा, फिर गट्टू निकाल कर दे दिया। इसकी टीम ने मोबाइल पर वीडियो बना ली। फिर टीम ने रेट को लेकर बारगेनिंग शुरू कर दी। इस पर डोर बेचने आया युवक कम पैसे न लेते हुए डोर ही वापस ले गया।

पुलिस की सख्ती के बाद बढ़ जाते हैं रेट
सप्लाई करने आए युवक ने एक गट्टू के 400 रुपए मांगे। जब टीम ने कहा कि यह बहुत ज्यादा है तो उसने कहा कि इससे कम में नहीं मिलेगा। उसने कहा कि पुलिस की बहुत सख्ती है, इसलिए पीछे से माल नहीं आ रहा है। इसलिए उन्हें महंगा बेचना पड़ता है। पहले वे 300 में भी बेचते रहे हैं मगर सख्ती के कारण महंगा बेचना पड़ रहा है।
दुकानों पर नहीं रखते माल, आसपास घरों एवं वाहनों में छुपाए होते हैं गट्टू
पता चला है कि पुलिस की सख्ती के बाद दुकानदार अपनी दुकान के अंदर गट्टू नहीं रख रहे हैं। वे अपनी दुकान के आसपास अपने जानकारों के पास या अपने वाहनों में गट्टू छुपा कर रखते हैं। जब उनके पास कोई ग्राहक आता है तो उसे अपनी बताई जगह पर बुलाते हैं और वहीं पर उसे गट्टू देते हैं।
इन इलाकों में धल्लड़े से बिक रही है प्लास्टिक डोर
दरेसी इलाके को प्लास्टिक डोर का गढ़ माना जाता है, मगर इसके अलावा शहर में श्री संगला वाला शिवाला रोड, ट्रंक वाला बाजार, हैबोवाल, जनकपुरी, गणेश नगर, फील्डगंज, शिवपुरी, शिवाजी नगर, जस्सियां रोड, सलेम टाबरी, बस्ती जोधेवाल, गिल रोड एवं शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर डोर की ब्रिकी हो रही है।

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