अविवाहित बेटियों के लिए High Court का ऐतिहासिक फैसला, हर तरफ हो रही चर्चा

Edited By Kamini,Updated: 14 Jul, 2025 02:29 PM

historic decision of high court for unmarried daughters

पंजाब की बेटियों के लिए हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।

पंजाब डेस्क : पंजाब की बेटियों के लिए हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। मिली जानकारी के अनुसार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बालिग अविवाहित बेटियों के लिए फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि, बेटियां अपने माता-पिता से भरण-पोषण की मांग कर सकती है यानी कि आर्थिक रूप से कमजोर बेटिया सहायता की मांग कर सकती हैं। हाईकोर्ट ने बेटियों के अधिकारों को सशक्त करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। 

कोर्ट ने कहा है कि अब बालिग अविवाहित बेटियां भी अपने माता-पिता से भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं, यदि वे आत्मनिर्भर नहीं हैं। यह निर्णय भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत दिया गया है, जिसे अब तक सिर्फ नाबालिग या विकलांग बच्चों के लिए लागू किया जाता था।  जानकारी के मुताबिक, 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद बेटियां भरण-पोषण की हकदार नहीं मानी जाती थीं, जब तक वे मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम न हों। लेकिन हाईकोर्ट ने इस दायरे को बढ़ाते हुए साफ किया है कि यदि कोई बालिग बेटी अविवाहित है और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है, तो उसे माता-पिता से गुजारा भत्ता मांगने का पूरा अधिकार है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने का अधिकार केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है। महिलाओं को भी सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हक है, और यह जिम्मेदारी माता-पिता की बनती है कि वे अपनी ऐसी बेटियों की देखभाल करें जो अब भी निर्भर हैं। कोर्ट का ये फैसला उन बेटियों के लिए राहत है जो उच्च शिक्षा, बेरोजगारी या किसी अन्य कारण से खुद का खर्च नहीं उठा पातीं और अब कानूनी रूप से अपने माता-पिता से मदद मांग सकती हैं। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि, यदि किसी का मामला फैमिली कोर्ट में चल रहा है तो अविवाहित बालिग बेटी वहां भरण पोषण की मांग कर सकती है। कोर्ट ने जब तक बेटी विवाह नहीं कर लेती या फिर आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर नहीं होती तब तक उसके पिता से भरण पोषण मिलना चाहिए। 

आपको बता दें कि, हाईकोर्ट ने ये फैसला गुरदासुपर की 2 बहनों द्वारा दायर एक याचिका पर लिया है। गुरदासपुर की 2 बहनों ने पुनरीक्षण याचिका दायर करवाई, जिसमें अपने पिता  के खिलाफ भरण-पोषण की राशि बढ़ाने की मांग की थी। जानकरी के मुताबिक दोनों बहनों ने अपने माता-पिता के खिलाफ याचिका पहले न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास के समक्ष पेश की थी। इसे रद्द करके कहा गया कि बेटी बालिग हो चुकी है और धारा 125 CrPC के तहत वह अपने इस भरण पोषण की हकदार नहीं है। इसके बाद दोनों बहनों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया। यह निर्णय उन बेटियों के लिए बड़ी राहत बनकर आया है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अब कानूनी तौर पर फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल कर सहायता की मांग कर सकती हैं।

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