वड़िंग-बाजवा बनाम चन्नी-राणा के बीच शुरू हुए खुले संघर्ष ने कांग्रेस लीडरशिप को किया दोफाड़

Edited By Urmila,Updated: 06 Jun, 2025 03:20 PM

congress leadership split in the punjab

पंजाब में कांग्रेस पार्टी जहां एक ओर लुधियाना (पश्चिम) विधानसभा उपचुनाव के लिए पूरे जोश के साथ तैयारियों में जुटी है, वहीं दूसरी ओर पार्टी जालंधर में पार्टी भीतर से बिखरती नजर आ रही है।

जालंधर (चोपड़ा) : पंजाब में कांग्रेस पार्टी जहां एक ओर लुधियाना (पश्चिम) विधानसभा उपचुनाव के लिए पूरे जोश के साथ तैयारियों में जुटी है, वहीं दूसरी ओर पार्टी जालंधर में पार्टी भीतर से बिखरती नजर आ रही है। जिले में पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच बढ़ते ध्रुवीकरण ने कांग्रेस को दो गुटों में विभाजित कर दिया है। इस मतभेद का असर केवल संगठनात्मक ढांचे पर ही नहीं, बल्कि पार्टी के आगामी कार्यक्रमों, विशेषकर "संविधान बचाओ रैली" जैसी पहलों पर भी स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।

जालंधर जिला की ही बात करें तो 9 विधानसभा हलकों से संबंधित विधायक और हलका इंचार्ज चाहें पिछले समय दौरान हरेक कार्यक्रम में एकजुट रहने का दावा करते आ रहे है, परंतु अब प्रदेश लीडरशिप में वड़िंग-बाजवा बनाम चन्नी-राणा गुट में शुरू हुए खुले संघर्ष से बने नए समीकरणों के कारण जिला स्तर पर भी गुटबाजी उभर गई है। लोकल लीडरशिप के गॉडफादर माने जाते वरिष्ठ नेताओं में जहां अब तलवारें खिंच गई है, वहीं लोकल लीडरशिप के लिए भी आपसी संतुलन बनाना बेहद मुश्किलों भरा होगा।

विक्रमजीत चौधरी की वापसी से और गहराया मतभेद

पिछले दिनों लुधियाना के दाखा में आयोजित कांग्रेस की एक रैली में फिल्लौर के विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी का औपचारिक स्वागत किया गया। उनकी निलंबन रद्द होने के बाद यह पहला बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम था, जिसमें उन्हें पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाने का संकेत मिला। यह रैली पीपीसीसी अध्यक्ष राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के नेतृत्व में आयोजित की गई थी।

विक्रमजीत सिंह चौधरी की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया कि वह वड़िंग-बाजवा गुट के साथ हैं। विक्रमजीत वही विधायक हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की उम्मीदवारी का खुलकर विरोध किया था। उनकी बहाली और खुली भागीदारी ने जालंधर में पहले से चल रही गुटबाजी को और अधिक तीखा बना दिया है।

जालंधर में ‘संविधान बचाओ रैली’ पर खतरे के बादल

कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे "संविधान बचाओ" अभियान के तहत जालंधर में एक जिला स्तरीय रैली का आयोजन 18 मई को 66 फीट रोड स्थित व्हाइट डायमंड रिसॉर्ट में किया जाना था। इस रैली में जिले के सभी 9 विधानसभा हलकों के नेता और कार्यकर्ता एक मंच पर आने वाले थे। लेकिन भारत सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन सिॆदूर’ शुरू किए जाने के बाद सुरक्षा कारणों से यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।

अब जबकि पार्टी इस रैली के लिए नई तारीख तय करने की तैयारी में है, वहीं जालंधर में दो गुटों के बीच बढ़ते मतभेद इसे फाईनल नहीं होने नहीं दे रहे। जिला के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, एकमत की कमी के चलते रैली की नई तारीख और उसके स्वरूप पर सहमति बनाना मुश्किल हो गया है।

स्थानीय नेता कांग्रेस दो ध्रुव वड़िंग-बाजवा बनाम चन्नी-राणा के इर्द-गिर्द घूम रहे

कांग्रेस के भीतर जारी गुटबाजी के चलते स्थानीय नेता दो बड़े ध्रुवों के इर्द-गिर्द घूम रही हैं। एक तरफ पीपीसीसी अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा का गुट है, तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद चरणजीत सिंह चन्नी और कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत सिंह का गुट है। इन दोनों गुटों के बीच टकराव लुधियाना उपचुनाव के दौरान और भी स्पष्ट हो गया है। स्थानीय नेता भी अपने-अपने गुटों में बंटे हुए हैं। फिल्लौर हलका की बात करें तो विक्रमजीत चौधरी स्पष्ट रूप से वड़िंग-बाजवा गुट में हैं, जहां से चरणजीत सिंह चन्नी अपने विकल्प के तौर पर अपने बड़े बेटे नवजीत सिंह को जालंधर की राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा दलित नेता भोंसले, जो पहले से ही सक्रिय नेता माने जाते हैं, भी मैदान में मौजूद हैं। शाहकोट से विधायक और जिला कांग्रेस देहाती के प्रधान हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया की वफादारी बरसों से राणा गुरजीत के साथ हैं। जालंधर नॉर्थ हलका से विधायक बावा हेनरी परिवार का राणा गुरजीत के साथ पिछले लंबे समय से 36 का आंकड़ा चल रहा है।

कैंट हलका के विधायक परगट सिंह जो कि प्रदेश प्रधान बनने की लालसा पाले हुए है, के भी मौजूदा प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग से स्पष्ट मतभेद हैं। करतारपुर हलका प्रभारी राजिंदर सिंह जोकि राजा वड़िंग के करीबी माने जाते हैं, वहीं चन्नी यहां पूर्व विधायक चौधरी सुरिंदर सिंह को बढ़ावा दे रहे हैं। सेंट्रल हलका प्रभारी और जिला कांग्रेस शहरी के प्रधान राजिंदर बेरी, हालांकि तटस्थ माने जाते हैं, लेकिन चन्नी द्वारा इस हलका में मनु वड़िंग को आगे लाने की कोशिशें उन्हें असहज कर रही हैं।

आदमपुर हलका की बात करें तो विधायक सुखविंदर कोटली, जो पहले चन्नी के करीबी माने जाते थे, अब उनका झुकाव वड़िंग गुट की ओर हो रहा है। नकोदर हलका के प्रभारी डॉ. नवजोत सिंह दहिया इस समय अमेरिका में हैं और तटस्थ बने हुए हैं। वहीं वेस्ट हलका की इंचार्ज सुरिंदर कौर पर अभी किसी धड़े की छाप नहीं लगी है।

भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच मिला मौका कहीं कांग्रेस गवां न बैठे

आप विधायक रमन अरोड़ा की विजिलेंस द्वारा गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के लिए यह मौका है कि वह जालंधर में अपनी राजनीतिक जमीन को और मजबूत करे। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जनभावना को देखते हुए रैली करना कांग्रेस को जनसमर्थन दिला सकता है लेकिन इन सबके बावजूद सबसे बड़ी चुनौती यही है कि सभी नेताओं को एक मंच पर लाना असंभव-सा प्रतीत हो रहा है। जिला के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राजा वड़िंग और चरणजीत चन्नी एक ही मंच पर आ भी जाते हैं, तो भी यह काफी असहज और समस्याजनक होगा। परंतु मौजूदा हालातों से लगता है कि कहीं कांग्रेस भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने का बेहतरीन मौका गंवा ना बैठे।

अब तक 13 जिलों में हो चुकी हैं रैलियां, जालंधर बना अपवाद

"संविधान बचाओ" अभियान के अंतर्गत कांग्रेस ने अब तक नवांशहर, कपूरथला, फाजिल्का, मुक्तसर, फरीदकोट, बठिंडा, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब और दाखा समेत कुल 13 स्थानों पर सफलतापूर्वक रैलियां आयोजित की हैं। लेकिन जालंधर, जो पार्टी की राजनीतिक दृष्टि से सबसे अहम जिलों में से एक है, अब तक इससे वंचित रहा है। पार्टी के रणनीतिकारों को यह चिंता सता रही है कि यदि जालंधर में एकजुटता नहीं दिखाई गई, तो इसका असर लुधियाना उपचुनाव से लेकर आगामी विधानसभा चुनावों तक पर पड़ सकता है।

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