Edited By Kamini,Updated: 14 Jan, 2025 07:35 PM
पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान आज अमृतसर जीएनडीयू यूनिवर्सिटी पहुंचे।
पंजाब डेस्क : पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान आज अमृतसर पहुंचे। इस दौरान व अमृतसर की जीएनडीयू यूनिवर्सिटी में दिवंगत कवि सुरजीत सिंह पातर की याद में रखवाए गए प्रोगाम में शिरकत हुए। इस मौके कैबिनेट मंत्री कुलदीप धालीवाल सहित अन्य नेता भी मौजूद रहे। वहीं प्रोग्राम में कवि सुरजीत सिंह पातर का परिवार भी मौजूद रहा।
इस दौरान सीएम मान ने लोगों को सुरजीत पातर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सुरजीत पातर ने पंजाबी कविता को नया रूप दिया है और उनकी कविताओं का कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। इस दौरान सीएम मान ने कवि सुरजीत सिंह पातर के नाम पर जीएनडीयू यूनिवर्सिटी में सेंटर बनाने का ऐलान किया है। इस सेंटर का नाम सुरजीत पातर एथिकल एआई होगा। इसके साथ ही आने वाले समय में सुरजीत पातर यादगार अवार्ड नए शायरों को दिया जाएगा।
सीएम मान ने सुरजीत पातर के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहा कि जब मैं कलाकर क्षेत्र में आया तो पातर साहब से प्रेरित होकर कई कविताएं लिखीं। आने वाले दिनों में एक किताब या ई-बुक जारी करूंगा। उन्होंने बताया कि एक बार जब उन्होंने सुरजीत पातर को अपनी लिखी कविता सुनाई तो पातर ने भगवंत से पूछा, "तुमने कुछ शब्दों में क्या लिख दिया?" जिसके बाद प्रेरित हुए और कविताएं लिखना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हमारे पास कवि, लेखक, गायक सभी हैं जो पंजाबी विरासत को प्रसिद्ध करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर बॉलीवुड वालों के पास पंजाबी गाने नहीं हैं तो वे खुद को सुरक्षित नहीं मानते। उन्होंने कहा कि सभी भाषाएं बोलनी चाहिए, लेकिन सभी को अपनी मातृभाषा जरूर बोलनी चाहिए। लोग भले ही पंजाब से आए हों, लेकिन जब वे विदेश जाते हैं, तो हिंदी बोलने लगते हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि हम अपनी भाषा को न भूलें।
सीएम मान ने आगे कहा कि, जब मैंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला तो मैं पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला गया, जहां हमें बताया गया कि हमारे पास पैसे नहीं हैं और हमें वेतन नहीं मिल रहा है। इसके बाद पंजाब सरकार ने पटियाला विश्वविद्यालय के लिए 350 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिलेगा तो इसका मतलब है कि शिक्षा कर्ज में डूबी हुई है और फिर विश्वविद्यालय कैसे प्रगति करेगा। पंजाब एक मेहनती राष्ट्र है और हमारे बुजुर्गों ने हमें एकजुट होकर एक-दूसरे का समर्थन करना सिखाया है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा मत सोचिए कि अगर 4 लोग अंग्रेजी बोलते हुए आ जाएं और 4 लोग हिंदी बोलते हुए आ जाएं तो अपनी भाषा बदल दीजिए। पंजाबी कोई आम भाषा नहीं है, यह बहुत बड़ी भाषा है। हमें अपने लेखकों, विरासत, शहीदों और राष्ट्र को हमेशा याद रखना चाहिए। जो राष्ट्र को याद रखते हैं, वे जीवित रहते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाबी जहां भी जाते हैं, झंडे जरूर फहराते हैं। हमें पंजाब की यादों को संजोकर रखना होगा ताकि हमारी नई पीढ़ी जीवित रह सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सुरजीत पातर साहब और सुरजीत पातर 74 एथिकल एआई यूनिवर्सिटी में एक केंद्र स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकारों का यह कर्तव्य है कि वे अपने नागरिकों को हर सुविधा उपलब्ध कराएं।
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