Edited By Vatika,Updated: 05 Nov, 2020 05:52 PM
केंद्र सरकार के खेती कानूनों के खिलाफ देश की सभी किसान जत्थेबंदियां गत 41 दिनों से संघर्ष कर रहे हैं। इसी बीच CII (कंफेडरेशन ऑफ इंडियन
चंडीगढ़ः केंद्र सरकार के खेती कानूनों के खिलाफ देश की सभी किसान जत्थेबंदियां गत 41 दिनों से संघर्ष कर रहे हैं। इसी बीच CII (कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज) ने केंद्र-राज्य सरकार और किसान संगठनों से अपील की है कि एक साथ मिलकर इस समस्या का हल निकाले, जिससे पंजाब की अर्थव्यवस्था को नुक्सान होने से बचाया जा सके।
कंफरडेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) पंजाब के चेयरमैन और रजनीश इंडस्ट्री के डायरेक्टर राहुल आहुजा ने अपने बयान में कहा कि लोकतंत्र में सभी को शांतिपूर्ण विरोध और आंदोलन का अधिकार है, हम समझते हैं कि किसानों को पास हुए बिलों से असहमती हो सकती है। हालांकि यह आंदोलन अब न केवल बड़े व्यवसायों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बन रहा है, बल्कि स्थानीय उद्योग, कारखानों में काम करने वालों, , छोटे किराने की दुकानों को भी प्रभावित कर रहा है । आहूजा ने कहा है कि इस साल की शुरुआत में कोविड और लॉकडाउन के कारण उद्योग पहले से ही संकट में था, वर्तमान संकट ने स्थानीय उद्योग और व्यवसायों को बेहद नाजुक स्थिति में डाल दिया है।
बता दें कि केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी 'चक्का जाम' के तहत किसानों ने गुरुवार को पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर सड़के अवरुद्ध करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की। दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक के इस राष्ट्रव्यापी 'चक्का जाम' का आह्वान अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने किया है। विभिन्न संगठनों से संबंध रखने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया जिसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस दौरान पुलिस ने कई जगहों पर यातायात का मार्ग बदल दिया, फिर भी यात्रियों के मुश्किल का सामना करना पड़ा है।