Edited By Kalash,Updated: 16 Apr, 2025 12:55 PM

क्या आपने कभी सुना है कि एक चैक आपने अपनी पार्टी को दिया और उससे पेमैंट आपके अकाऊंट से निकल गई हो और दोबारा उसी चैक को पेमैंट के लिए फिर बैंक में प्रैजैंट कर दिया जाए।
लुधियाना (धीमान): क्या आपने कभी सुना है कि एक चैक आपने अपनी पार्टी को दिया और उससे पेमैंट आपके अकाऊंट से निकल गई हो और दोबारा उसी चैक को पेमैंट के लिए फिर बैंक में प्रैजैंट कर दिया जाए। जी हां, ऐसा ही एक मामला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बस्सी पठाना की शाखा का सामने आया है। लुधियाना के कारोबारी पंकज अरोड़ा ने बस्सी पठाना में अपनी एक पार्टी को 1,07,520 रुपए का आई.सी.आई.सी.आई. बैंक लुधियाना शाखा का चैक जारी किया।
उस पार्टी ने चैक अपने अकाऊंट में बस्सी पठाना की एस.बी.आई. ब्रांच में लगा दिया और लुधियाना के कारोबारी के अकाऊंट से पेमैंट डेबिट हो गई। हैरानी तब हुई जब 2 दिन बाद वही चैक नंबर दोबारा से उनके आई.सी.आई.सी.आई. बैंक में पेमैंट के लिए एस.बी.आई. की बस्सी पठाना शाखा द्वारा पेमैंट निकालने के लिए भेज दिया गया। उन्हें जब अपने आई.सी.आई.सी.आई. बैंक की ओर से चैक की पेमैंट के बारे में मैसेज आया तो उनके पैरों तले से जमीन निकल गई। यह तो अच्छा था कि उनके अकाउंट में 5000 शॉर्ट फॉल थे, अन्यथा, उनके अकाऊंट से पेमैंट दोबारा निकाल कर चली जानी थी।
उन्होंने जब अपना अकाऊंट चैक किया तो पता चला कि 2 दिन पहले इसी चैक नंबर से पेमैंट उनके अकाऊंट से निकालकर उनकी पार्टी के अकाऊंट में जा चुकी है।
मैनेजर ने क्लैरिकल मिस्टेक का बहाना लगाकर पल्ला झाड़ा
इस बारे में जब उन्होंने स्टेट बैंक आफ इंडिया की बस्सी पठाना की शाखा की मैनेजर शक्ति शर्मा से बात की तो उन्होंने क्लैरिकल मिस्टेक होने का बहाना लगाकर पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि अगर मैडम पेमेंट चली जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता? इतने में मैडम भड़क गई और गलती मानने की बजाय उन्हें धमकाते हुए कहा कि आप मेरी शिकायत जहाँ चाहे वहां कर दीजिए। फिलहाल कारोबारी ने रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन को शिकायत दर्ज करवा दी है।
चैक पर लगी मोहर की क्यों नहीं हुई जांच
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अब ऐसा लगने लगा है कि बैंक भी फ्रॉड करने लगे हैं क्योंकि जब भी कोई चैक पेमैंट के लिए दूसरे बैंक में जाता है तो उस पर बाकायदा मोहर लगती है। अगर यह दोबारा प्रैजैंट किया गया है तो उस पर मोहर क्यों नहीं देखी गई। अगर देखी गई तो इसे दोबारा क्यों प्रैजैंट किया गया। ऐसा लगता है कि घपला करने की नीयत से चैक को दोबारा लगाया गया है। इसकी जांच उच्च स्तरीय होनी चाहिए।
उन्होंने अपनी एसोसिएशन के सदस्यों को बुलाकर एक बैठक की और उन्हें आग्रह किया है कि वह अपने-अपने पिछले 5 सालों के अकाउंट की जांच करें कि क्या बैंकों ने कभी ऐसे दोबारा कोई चेक प्रैजैंट तो नहीं किया क्योंकि अक्सर कारोबारी के पास इतना समय नहीं होता कि वह सारे अकाउंट की जानकारी हर समय अपने पास रख सके।
इस संबंध में जब स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की बस्सी पठाना शाखा की मैनेजर शक्ति शर्मा से पूछा गया कि मैडम दूसरी बार भी अगर अकाऊंट से पैसे निकल जाते तो फिर कौन जिम्मेदार था। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो अकाऊंट में वापस पैसे भेज दिए जाने थे लेकिन वह इस बात का जवाब नहीं दे पाई कि चै बाऊंस होने की स्थिति में उस कस्टमर के अकाऊंट में चेक बाऊंस होना शामिल हो गया है। इससे उनकी क्रैडिबिलिटी पर सवालिया निशान लग गया है। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
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