Edited By Kamini,Updated: 26 Oct, 2024 03:34 PM
इन त्योहारों के मौसम में ज्यादातर एक-दूसरे को उपहार के तौर पर मिठाइयां दी जाती हैं। इसलिए इन दिनों हर आम और खास व्यक्ति द्वारा मिठाइयों की खरीद-फरोख्त मुख्य रूप से त्योहारों को ध्यान में रखते हुए अपने आस-पास के शहरों से की जाती है।
दीनानगर (हरजिंदर सिंह गोराया): देखा जाए तो दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है। लेकिन अब तक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा इस सीमावर्ती क्षेत्र में खाद्य सामग्री की कोई जांच नहीं की जा रही है। अगर आने वाले दिनों में खाने-पीने वाले चीजों की प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच नहीं की गई तो मिलावटी मिठाइयों और मिलावटी उत्पादों से लोग बीमार हो जाएंगे। बेशक, कुछ समय पहले जब भी त्योहारों के दिन नजदीक आते थे तो स्वास्थ्य विभाग तुरंत हरकत में आ जाता था और खाद्य पदार्थों की जांच करता था, लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसा लग रहा है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस चेकिंग अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, जिसका परिणाम लोगों को भुगतना पड़ता है।
त्योहारों के करीब स्वास्थ्य विभाग मिठाई की दुकानों, डेयरी और अन्य खाद्य पदार्थों की जांच शुरू कर देता है, लेकिन जब त्योहार खत्म हो जाते हैं तो स्वास्थ्य विभाग भी सो जाता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता रहता है। जब कोई उच्च अधिकारी दुकानों की जांच करने का आदेश देता है, तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक या 2 दुकानों की जांच करते हैं खानापूर्ति करते हैं और चुपचाप बैठ जाते हैं। पिछले कुछ समय से देखा जाए तो दीनानगर, पुराना साला, बेहरामपुर, दोरांगला समेत सीमावर्ती इलाकों में मिलावटी दूध, मिलावटी मिठाइयां बनाने का सिलसिला लगातार जारी है। जिससे कभी भी लोगों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़ हो सकता है। आज दुकानों पर नजर डालें तो कुछ दुकानों पर मीठे जहर के रूप में रंग-बिरंगी मिठाइयां सजी हुई हैं और लोगों का इंतजार कर रही हैं, लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने सीमावर्ती शहर के अलावा आसपास के इलाकों में मिठाई की दुकानों, डेयरियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सहित अन्य खाद्य पदार्थों की कोई जांच नहीं की जा रही है जिससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
गौरतलब है कि इन त्योहारों के मौसम में ज्यादातर एक-दूसरे को उपहार के तौर पर मिठाइयां दी जाती हैं। इसलिए इन दिनों हर आम और खास व्यक्ति द्वारा मिठाइयों की खरीद-फरोख्त मुख्य रूप से त्योहारों को ध्यान में रखते हुए अपने आस-पास के शहरों से की जाती है, लेकिन किसी ने कभी नहीं सोचा कि जो मिठाइयां हम खा रहे हैं वह हमारी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद हैं और कितने हानिकारक हैं। आज के मिलावटी युग में यह तो स्पष्ट है कि इनमें से अधिकतर मिठाइयां हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे कृत्रिम (सिनेकेट) खोया, दूध और यूरिया मिलाकर तैयार किया जाता है, क्योंकि असली रंग महंगे होते हैं, कई हलवाई लगभग नकली रंगों का ही उपयोग करते हैं। इन नकली रंगों का उपयोग बड़े पैमाने पर लड्डू, जलेबी, गुलाब जामन और रसगुल्ला आदि बेचने में किया जाता है।
क्या कहना है इलाका निवासियों का
इस संबंध में इलाके के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि त्योहार को देखते हुए हर शहर में चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में जांच के अभाव के कारण हलवाई दूध, डेयरी सहित अन्य खाद्य सामग्री घटिया गुणवत्ता में बेच रहे हैं। लेकिन फिर भी इस रूप में बेचे जा रहे मीठे जहर पर कितनी कार्रवाई होती है यह तब तक रहेगा जब तक भोजन का उपभोग नहीं हो जाता।
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