शर्मनाक: गर्भवती के पेट में मारी लाते, 20 घंटे तड़पती रही, फिर जो हुआ.....

Edited By Vatika,Updated: 09 Apr, 2022 12:07 PM

beaten pregnant women

सिविल अस्पताल कहने को जिले का सबसे बड़ा और एडवांस अस्पताल है।

लुधियाना: सिविल अस्पताल कहने को जिले का सबसे बड़ा और एडवांस अस्पताल है। लेकिन इसकी व्यवस्था बिल्कुल की बदहाल है। चाहे हलका (सैंट्रल) के विधायक अशोक पराशर समय-सयम पर राऊंड लगाकर अस्पताल की व्यवस्था सुधारने में लगे है। मगर अस्पताल के कई डॉक्टर और स्टाफ इस व्यवस्था को बदलना ही नहीं चाहते हैं। वह खुद से ऊपर किसी को नहीं समझते हैं। इसलिए मेहरबान के इलाके से मारपीट के मामले में गंभीर हालत में आई एक गर्भवती युवती 20 घंटे तक अस्पताल में रही।

मगर उसे सही ढंग से इलाज नसीब नहीं हुआ। उसके परिवार वालों ने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि वह रात से आए हुए है। रात को पहले एडमिट नहीं कर रहे थे। फिर किसी तरह एडमिट किया तो सिर्फ ड्रिप लगाकर छोड़ दी। युवती के पेट में दर्द होता रहा। मगर किसी ने दवा नहीं दी। बार-बार शोर मचाने पर डॉक्टर और स्टाफ की तरफ से दुर्व्यवहार किया गया। आखिर फिर उन्हें टैस्ट और स्कैन के बहाने इधर-उधर भटकाया गया। परिवार का आरोप है कि चलने में असमर्थ युवती को जब इधर-उधर लेकर गए तो वह गिर पड़ी। यह सारी व्यथा सुनाते हुए उसकी मां भी बेहोश होकर गिर पड़ी। यहां बता दें कि शुक्रवार सरकारी छुट्टी थी। सिर्फ एमरजैंसी में ही डॉक्टर मौजूद थे। जानकारी देते हुए मेहरबान के गांव सुजातवाल की रहने वाली नानकी ने बताया कि वीरवार की रात को उसका मामा गुरनाम सिंह घर पर आया था। इस दौरान रंजिशन कुछ युवकों ने उसके मामा पर हमला कर दिया था। जब वह और उसकी दूसरी बहन नैंसी बीच-बचाव में गई तो आरोपी युवकों ने उनसे भी मारपीट की। नानकी का कहना है कि उसकी बहन नैंसी 2 महीने की गर्भवती है। आरोपी युवकों ने उसके पेट पर लाते मारी, जिस कारण वह गिर पड़ी। आसपास के लोगों के आने के बाद आरोपी मौके से भाग गए थे। इसके बाद उन्होंने थाने में शिकायत दी और नैंसी को लेकर तुरंत सिविल अस्पताल पहुंच गए थे।

रात कर एमरजैंसी में पहुंचे तो पहले डॉक्टरों ने काफी देर तक इंतजार करवाया, वह बाहर बैठ कर इंतजार करते रहे। इसके बाद कुछ देर उन्हें एमरजैंसी में रखकर फिर जच्चा-बच्चा में भेज दिया गया था। वहां पर भी स्टाफ पहले एडमिट करने को टाल-मटोल करता रहा। काफी देर बाद उन्होंने अंदर एडमिट किया और फिर जिस बैड पर लेटाया गया। वहां पर पहले से महिला लेटी हुई थी। एक ही बैड पर दोनों का इलाज किया जा रहा था। उनके कहने पर स्टाफ द्वारा दुर्व्यवहार किया गया था। नानकी का आरोप है कि इसके बाद उसकी बहन को सिर्फ ड्रिप लगाकर छोड़ दिया गया था। वह दर्द से तड़प रही थी, मगर कोई दवा नहीं दी गई। सारी रात वह ऐसे ही तड़पती रही कोई उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था। उनका कहना है कि जैसे-तैसे उन्होंने रात गुजार ली थी। अब सुबह स्टाफ कहने लगा कि उनकी ड्यूटी नहीं है। इसके बाद उन्हें स्कैन करवाने को कहा गया था। मगर सिविल अस्पताल में छुट्टी के चलते स्कैन विभाग बंद था। जब वह बाहर से स्कैन करवाने गए तो बाहरी डॉक्टर ने मना कर दिया था, क्योंकि सिविल अस्पताल के डॉक्टर ने पर्ची पर स्कैन के बारे में लिख कर नहीं दिया गया था। वह फिर दोबारा जच्चा-बच्चा विभाग में आए तो उन्होंने अंदर एडमिट नहीं किया। फिर वह एमरजैंसी गए, वहां पर भी डॉक्टर एवं स्टाफ ने उनसे सही ढंग से बात न करते हुए बाहर निकाल दिया था।नानकी का कहना है कि उसकी बहन दर्द सहन ना करती हुई एमरजैंसी के सामने रास्ते में ही गिर पड़ी थी। वह काफी समय तक वहा रास्ते में चिखते चिल्लाते रहे। मगर सिविल अस्पताल की तरफ से कोई डॉक्टर या स्टाफ नहीं आया।


मीडियाकर्मियों के आने के बाद शुरू हुआ इलाज
गर्भवती महिला काफी देर तक रास्ते में पड़ी रही। इसके बावजूद कोई उसे उठाने के लिए नहीं आया। जब मीडिया को इस बात की भनक लगी तो मौके पर न्यूज कवरेज के लिए मीडिया कर्मी पहुंच गए। महिला का खराब हालत को देखते हुए मीडिया कर्मियों ने डॉक्टरों से संपर्क कर उस महिला को जच्चा-बच्चा में बने लेबर रूम एडमिट करवाया। जहां फिर से उसका इलाज शुरू किया गया।

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