सरकार बनाने के लिए सभी दलों ने शुरू की कवायद

Edited By Urmila,Updated: 22 Feb, 2022 12:03 PM

all the parties started the exercise to form the government

पंजाब में चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजनीतिक विश्लेषक नतीजों को लेकर अपने-अपने अनुमान लगा रहे हैं लेकिन सीट अनुमानों में मुख्य मूलांक सत्ताधारी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मध्य ...

जालंधर (नरेश अरोड़ा): पंजाब में चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजनीतिक विश्लेषक नतीजों को लेकर अपने-अपने अनुमान लगा रहे हैं लेकिन सीट अनुमानों में मुख्य मूलांक सत्ताधारी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मध्य माना जा रहा है लेकिन अकाली दल भी अपनी जबरदस्त वापसी को लेकर आश्वस्त है। ऐसे में तीनों बड़े सियासी दलों को 30 से लेकर 40 तक सीटें मिलने का मोटा अनुमान निकल कर सामने आ रहा है और सबने सियासी हुए सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है। 1992 के बाद पहली बार अपने दम पर चुनाव लड़ रही भाजपा इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य में सबको चौंका सकती है और किंग मेकर की भूमिका में सामने आ सकती है। हलांकि नतीजे सामने आने के बाद ही सारी तस्वीर साफ होगी लेकिन यदि विधान सभा त्रिशंकु बनती है तो पंजाब में नया इतिहास बनेगा और ऐसी स्थिति में क्या विकल्प हो सकते हैं आइए उनके बारे में जानते हैं।

पंजाब में पहली बार 'हार्स ट्रेडिंग' के आसार
पंजाब विधानसभा चुनाव के 18 दिन बाद आने वाले चुनाव नतीजों के बाद बनने की तस्वीर को देखते हुए अभी से अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गई है। पंजाब में भाजपा के पहली बार अपने दम पर मैदान में उतरने के बाद मुकाबला चार कोणीय हो गया है और पहली बार किसी पार्टी को संपूर्ण बहुमत मिलता नजर नहीं आ रहा लिहाजा चुनाव नतीजों के बाद पार्टियों में टूटने का खतरा भी पैदा हो गया है और संभावित विजेता उम्मीदवारों पर अभी से डोरे डालने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। दल बदल विरोधी कानून के प्रभावी होने के कारण किसी भी पार्टी को तोड़ने के लिए दो तिहाई सदस्यों का टूटना जरूरी है ऐसे में यदि किसी पार्टी के 30 विधायक चुने जाते हैं तो उसे तोड़ने के लिए 20 विधायकों को तोड़ना पड़ेगा।

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विकल्प 1. अकाली दल+भाजपा
नतीजों में यदि अकाली दल 40 के आसपास सीटें लेकर आता है और भाजपा ने अपने दम पर 15 से 20 सीटें जीती तो निर्दलीय और अन्य को मिला कर पंजाब में अकाली दल और भाजपा की सरकार बन सकती है। दोनों पार्टियां पहले भी 1997 के बाद लगातार सहयोगी रही है और पिछले साल कृषि कानूनों पर भाजपा के साथ टकराव के चलते अकाली दल ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया था। भाजपा को भी अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करती अकाली दल के रूप में एक चेहरे की जरूरत है और ऐसे में यह गठबंधन एक स्थिर सरकार के लिए सबसे मुफीद लग रहा है लेकिन भाजपा इसमें भी मोल भाव करेगी और छोटे भाई वाली स्थिति में रहने की बजाय बराबर के पार्टनर के रूप में साथ आएगी और यदि ऐसा हुआ तो पंजाब में अकाली दल को 2024 के लोकसभा चुनाव भी कम सीटों पर लड़ने को तैयार होना होगा और अगले विधान सभा चुनाव के लिए भी भाजपा के लिए ज्यादा सीटें छोड़नी पड़ेगी और साथ ही कैबिनेट में भी भाजपा को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देना पड़ सकता।

विकल्प 2. कांग्रेस+'आप'
हालांकि सियासत के जानकार इस विकल्प से इंकार कर सकते हैं लेकिन राजनीती संभावनाओं का खेल है और यदि पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता की बात चली तो दोनों पार्टियों में समझौते के तहत पंजाब में सरकार बनाई जा सकती है। इससे पहले भी 2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई थी। हालांकि इससे पहले केजरीवाल किसी भी पार्टी का समर्थन लेने से इंकार करते रहे हैं लेकिन भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आपस में समझौता कर सकते हैं और यदि सीटों की संख्या समान हुई तो दोनों पार्टियों का अढ़ाई-अढ़ाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री भी बन सकता है। हालांकि इसके लिए कांग्रेस को भी बहुत सोच-समझ कर फैसला लेना पड़ेगा क्योंकि 2015 में आम आदमी पार्टी को दिल्ली में बाहरी समर्थन देना कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हुआ था और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के पूरे वोटर पर कब्जा कर उसे दिल्ली विधान सभा में जीरो कर दिया था। लोक सभा चुनाव में भी कांग्रेस कोई सीट नहीं जीत पाई थी।

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विकल्प 3. राष्ट्रपति शासन
यदि पंजाब में चुनावी नतीजों में त्रिशंकु विधान सभा बनी और किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो तीसरा विकल्प राष्ट्रपति शासन का बचेगा। हालांकि सामान्य प्रक्रिया के तहत उस समय भी पंजाब के राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देंगे लेकिन यदि कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में न हुई तो पंजाब में राष्ट्रपति शासन लग सकता है और इसकी अवधि हर छह माह बढ़ाई जाती है। एक बार राष्ट्रपति शासन लगने के बाद पंजाब में कम से कम 2023 में होने वाले हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव नहीं हो पाएंगे ऐसा भी संभव है कि पंजाब में चुनाव को अगले 2 वर्ष तक भी टाल दिया जाए। जम्मू-कश्मीर में पिछले दो वर्ष से ज्यादा लंबे यही स्थिति है और अब वहां अगले चुनाव की तैयारी हो रही है।

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