राजनीतिक पहुंच के सहारे अमरबेल की तरह बढ़ रहा शराब माफिया

Edited By Vaneet,Updated: 01 Aug, 2020 06:26 PM

alcohol mafia growing like amarbel with political reach

पंजाब में नकली व अवैध शराब की वजह से हुई मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान व धरपकड़ के लिए हालांकि जांच....

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब में नकली व अवैध शराब की वजह से हुई मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान व धरपकड़ के लिए हालांकि जांच बैठा दी गई, लेकिन इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई होने पर संशय है। कारण यह है कि राज्य में पिछले कुछ ही समय दौरान पकड़ी गई अवैध शराब की फैक्ट्रियों के मामले में सरकार द्वारा अपनाए गए ढुलमुल रवैये से ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे मामलों में सरकारी तंत्र पर कितना राजनीतिक दबाव रहता है। 

राजनीति व सत्ता के गलियारों में शराब माफिया की पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शराब के राजस्व पर छिड़े विवाद के बाद ही तत्कालीन चीफ सैक्रेटरी करन अवतार सिंह को सेवामुक्ति से पहले ही हटाया गया। करोड़ों के शराब राजस्व घोटाले को लेकर हालांकि राज्य की सत्ता के गलियारों में कई दिन गर्मा-गर्मी चलती रही, लेकिन आखिरकार वही हुआ कि ‘कुछ नहीं हुआ’। एक के बाद एक अवैध शराब बनाने की फैक्ट्रियां पकड़ी गईं, शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला घटिया मैटीरियल भी पकड़ा जाता रहा, लेकिन किसी भी मामले में बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला गया है। नतीजा, माझा के 3 जिलों के दर्जनों को लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। 

कर्फ्यू और लॉकडाऊन में 3 बड़े मामले 
कोरोना की वजह से लगे कफ्र्यू व लॉकडाऊन दौरान भी शराब का अवैध कारोबार जारी रहा और राजनेताओं द्वारा ही यह आरोप भी लगाए गए कि इससे कम से कम पंजाब को 600 करोड़ के राजस्व का नुक्सान हुआ। इसी तालाबंदी दौरान राज्यभर में पुलिस ने सैंकड़ों मामले अवैध शराब से संबंधित दर्ज किए, लेकिन खन्ना और राजपुरा में अवैध शराब बनाने की फैक्ट्रियों के मामले पकड़े गए, जबकि फिरोजपुर में पुलिस ने छापामारी कर सतलुज दरिया के किनारों पर बनाई गई अवैध शराब भट्टियों से लाखों लीटर लाहन (कच्ची शराब) पकडऩे के मामले चॢचत रहे। हालांकि इस लाखों लीटर लाहन को दरिया में बहाने से भी विवाद खड़ा हुआ था। 

कुल मिलाकर पुलिस की कार्रवाई फैक्ट्रियों में काम करने वालों की गिरफ्तारी से आगे नहीं बढ़ पाई है। चर्चा रही कि यह अवैध शराब फैक्ट्रियां राजनीतिक लोगों के संरक्षण में ही चल रही थीं और उनकी मोटी आमदनी का जरिया बनी हुई थीं, इसलिए इन मामलों में पुलिस या एक्साइज एवं टैक्सेशन विभाग की जांच परतें नहीं खोल पाई। पता चला है कि अब अवैध शराब फैक्ट्रियों व पंजाब में कफ्र्यू व लॉकडाऊन के दौरान बिकी सैंकड़ों करोड़ रुपए की अवैध शराब का मामला ई.डी. द्वारा भी जांचा जा रहा है। 

नई बात नहीं है अवैध शराब से पंजाबियों की जान जाना
ऐसा भी नहीं है कि राज्य में जहरीली नकली व अवैध शराब से मौतें होने का यह कोई नया मामला है। इससे पहले 2012 में बटाला जिले के गांव दीवानीवाला, कुतबी नंगल, जौहल नंगल व आसपास के इलाके में 18 लोगों ने अपनी जान नकली व अवैध शराब पीने की वजह से गंवाई थी। उस वक्त भी तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के निर्देश पर जांच बैठाई गई थी और ऐलान किया गया था कि अवैध शराब का धंधा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। 2010 में होशियारपुर के दसूहा, गिलजियां इलाके में हुई ऐसी ही एक घटना में 12 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी, जबकि कै. अमरेंद्र सिंह की पिछली सरकार के समय 2003 के फरवरी माह में पटियाला शहर में हुई घटना की वजह से 12 लोगों की अवैध व जहरीली शराब पीने की वजह से मौत हो गई थी।

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