पंजाब में इस शहर के हालात खराब, घर से बाहर निकलने से पहले पढ़ें..

Edited By Vatika,Updated: 15 Oct, 2025 10:28 AM

air quality index

दीपावली का धुंआ भी इसमें शामिल होगा तो एयर क्वालिटी इंडैक्स व ज्यादा खराब हो

अमृतसर(नीरज): एक तरफ जहां पराली जलाने के मामले में अमृतसर जिला पंजाब में लगातार नंबर वन चल रहा है तो वहीं पराली से निकलने वाले धुएं ने भी अब अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार अमृतसर जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स इस समय 179 के पार जा चुका है, जो सामान्य से तीन गुणा ज्यादा है। हालांकि अभी तक दीपावली का त्यौहार भी नहीं आया है और जैसे ही दीपावली का धुंआ भी इसमें शामिल होगा तो एयर क्वालिटी इंडैक्स व ज्यादा खराब हो सकता है और खराब होने की पूरी संभावना भी है।

पराली जलाने के मामले में अमृतसर जिला प्रशासन की बात करें तो डी.सी. साक्षी साहनी की तरफ से एक महीना पहले ही विभागों की ज्वाइंट टीमें बना दी गई थीं, जिसमें खेतीबाड़ी विभाग, प्रदूषण कंट्रोल विभाग, माल विभाग और अन्य विभाग शामिल थे। इतना ही नहीं किसानों को जागरूक करने के लिए प्रशासन की तरफ से बहुत सारी जागरूकता वैनो को भी रवाना किया गया था, जो गांव-गांव में जाकर किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रही है, उन किसानों को प्रशंसा-पत्र भी प्रशासन की तरफ से दिए जा रहे हैं, जो पराली को आग नहीं लगाते हैं। ऐसे किसानों को प्रशासन की तरफ से सरकारी विभागों में पहल के तौर पर सरकारी काम करने, बैंकों से ऋण आदि लेने की सुविधा प्रदान की गई है।

जिले में अभी तक पराली जलाने के 65 मामले, 28 पर एफ.आई.आर.
पराली जलाने के मामले में अमृतसर जिले की बात करें तो सैटेलाइट के जरिए अभी तक 65 लोकेशनों पर पराली को आग लगाने की सूचना भेजी गई थी, जिसमें से ज्यादातर लोकेशनों पर प्रशासन की अलग-अलग टीमों की तरफ से मौके पर जाकर जांच की गई। सख्त कार्रवाई करते हुए 28 लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाई जा चुकी है। इसके अलावा 28 लोगों के खिलाफ माल विभाग में रैड एंट्री भी की जा चुकी है। रैड एंट्री के कारण संबंधित व्यक्ति को अपनी जमीन पर कर्ज आदि लेने में भी काफी परेशानी आती है, लेकिन इसके बावजूद पराली को आग लगाने का सिलसिला लगातार जारी है।

1 एकड़ में पराली दबाने को 2500 से 3000 खर्च
धान की पराली को जलने के बजाय मिट्टी में ही दबाए जाने के लिए एक किसान को प्रति एकड़ 2500 से लेकर 3000 रुपए तक का खर्च आता है, जिसको अभी तक किसी भी सरकार ने किसानों को इस खर्च अदा करने की सुविधा नहीं दी है। पूर्व काल में समय-समय पर अलग-अलग सरकारों की तरफ से किसानों को पराली खेतों में दबाने के लिए मुआवजे की घोषणा की जाती रही है, लेकिन असलीयत इससे कोसों दूर रही है। मौजूदा सरकार की तरफ से भी पराली प्रबंधन के लिए मशीनें उपलब्ध कराई गई है। यहां तक कि अनाज मंडियों में भी इसके लिए हैल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, लेकिन किसान सरकार के दावों के विपरीत बता रहे हैं और मशीनरी न होने के आरोप लगा रहे हैं।

पराली की आग से खत्म हो जाते हैं मित्र जीव
खेती-बाड़ी वैज्ञानिकों के अनुसार पराली को आग लगाने से खेतों की मिट्टी का उपजाऊपन कम होता रहता है। इतना ही नहीं मिट्टी में रहने वाले मित्र जीव पराली की आग में झुलस कर खत्म हो जाते हैं, जिससे धीरे-धीरे मिट्टी का उपजाऊपन काफी हद तक कम हो जाता है, जो किसान पराली को आग नहीं लगाते हैं और ऑर्गेनिक खेती करते हैं। उनकी फसल की पैदावार कुछ समय के लिए कम जरूर होती है लेकिन बाद में सामान्य से बढ़ जाती है।

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