8 गारंटियां मिलने के बाद भी अध्यापक कशमकश में, नहीं दिख रहे खुश

Edited By Urmila,Updated: 24 Nov, 2021 10:02 AM

after getting 8 guarantees teachers are in a dilemma they don t look happy

आने वाले विधानसभा चुनावों में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने के उद्देश्य से मिशन पंजाब दौरे पर आए ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने बेशक राज्य के अध्यापकों को उनकी सरकार बनने पर...

लुधियाना (विक्की): आने वाले विधानसभा चुनावों में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने के उद्देश्य से मिशन पंजाब दौरे पर आए ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने बेशक राज्य के अध्यापकों को उनकी सरकार बनने पर 8 गारंटीयां दी हैं लेकिन दूसरी तरफ अध्यापक यूनियनें केजरीवाल के इस वायदे से सहमत नहीं दिख रही और इसे चुनावी दांव-पेच करार दे रहे हैं। यही नहीं सरकार के खिलाफ संघर्ष की राह पर चल रही अध्यापक और नॉन टीचिंग इम्प्लॉय यूनियनों का आरोप है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री की पार्टी के पंजाब नेताओं ने तो आज तक उनकी सुध नहीं ली और न ही कभी उनके हक में आवाज बुलंद की है तो अब केजरीवाल किस मकसद से यह दावे कर रहे हैं।

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हालांकि कुछ अध्यापकों का यह भी कहना है कि पिछले 2 दशकों में राज्य के अध्यापक कांग्रेस और अकाली-भाजपा सरकारों के झूठे वायदों में आकर उनकी सरकार बनाने में अपना योगदान देते रहे हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद इन पार्टियों ने अध्यापकों को फिर सड़कों पर आने को मजबूर किया है। यही नहीं अपना हक मांगने पर अध्यापकों को मीटिंग की बजाय डंडे ही मिले हैं। ऐसे में अगर एक मौका आम आदमी पार्टी को भी दे दिया जाए तो क्या पता केजरीवाल की गारंटी हकीकत में बदल जाए। बता दें कि राज्य के सरकारी स्कूलों में करीब सवा लाख अध्यापक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में किसी भी चुनाव में अध्यापकों और उनके परिवारों की वोट की अहम भूमिका रहती है। अब आम आदमी पार्टी ऐसी घोषणाओं से राज्य के अध्यापकों का वोट बैंक अपनी और खिसकाना चाहती है। आम आदमी पार्टी के एक नेता के मुताबिक अध्यापक वर्ग कांग्रेस और अकाली भाजपा की सरकारों से खुश नहीं है इसलिए इस बार 'आप' मौका जरूर देगा क्योंकि दिल्ली में केजरीवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य किए हैं। पंजाब केसरी ने केजरीवाल की घोषणा के बाद अध्यापक यूनियन के अलग-अलग नेताओं से बात की। 

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चुनावी मौसम है, सभी पार्टियां अध्यापकों के साथ वायदे करते हुए अपना वोट बैंक पक्का करना चाहती हैं। लेकिन जब तक इसे घोषणा पत्र में शामिल नहीं कर लिया जाता तब तक इस पर भरोसा करना संभव नहीं है और अगर चुनाव घोषणा पत्र में इसे शामिल कर लिया जाता है तो क्या इसे पूरा किया जाएगा? यह कुछ पता नहीं है। इस लिए अभी इन सभी ऐलानों को सिर्फ चुनावी दांव-पेच ही कहा जा सकता है और कुछ नहीं।

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आम आदमी पार्टी ने ग्राउंड लेवल पर कच्चे कर्मचारियों को रेगुलर करवाने के लिए कभी कुछ नहीं किया है। कभी एक प्रेस नोट तक जारी नहीं किया है। हमने एक बार विधानसभा के बहार प्रदर्शन किया था लेकिन तब भी आम आदमी पार्टी के किसी भी एम.एल.ए. ने उनका समर्थन नहीं किया। केजरीवाल के केवल एलान करने से कुछ नहीं होने वाला। पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी भी झूठे एलान ही कर रहे हैं। उनका ज्यादा जोर अपने होर्डिंग लगाने तक सीमित है। हम 17 वर्ष से संघर्ष कर रहे हैं, किसी भी पार्टी ने उनकी बात नहीं सुनी। उनके भविष्य के लिए कोइ भी पार्टी गंभीर नहीं है।

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प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं है। केजरीवाल ने दिल्ली में ‘इक्वल वर्क-इक्वल पे’ का नियम लागू किया है। सभी कर्मचारियों को अच्छा वेतन मिल रहा है। दिल्ली के अध्यापकों को समय के साथी बनाने के लिए अतर्राष्ट्रीय यूनिवर्सिटीज का दौरा करवाया गया। उन्हें केजरीवाल पर पूरा भरोसा है। अगर दिल्ली में काम हो रहा है तो पंजाब में भी होगा इसलिए एक मौका आम आदमी पार्टी को जरूर मिलना चाहिए। यह तो होने पर ही पता लगेगा। नहीं  तो यह सब चुनावी जुमले हैं। दिल्ली और पंजाब के हालातों में बहुत फर्क है। उनका सिस्टम ही खराब है। इसे पूरी तरह बदल देना किसी के बस का काम नहीं है। कांगेस का प्रदर्शन भी बहुत खराब रहा है।  

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चन्नी सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया। हम आज भी जालंधर में धरने देंगे। वायदा करना और उसे पूरा करना दोनों ही बातों में बहुत अंतर है। वायदे सभी करते हैं लेकिन पूरा कोइ नहीं करता। नशे, रेत माफिया जैसे मुद्दों को आम आदमी पार्टी हमेशा भुनाती रही है लेकिन मेरिटोरियस स्कूलों के अध्यापकों के साथ-साथ अन्य अध्यापक जो अपने जायज हकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं उनकी कभी ‘आप’ ने खैर-खबर नहीं पूछी तो अब 'आप' से क्या उम्मीद करें? 

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