पंजाब में एक बार फिर थर्ड फ्रंट की खिचड़ी पकाने में जुटे नेता

Edited By Vatika,Updated: 01 Jun, 2019 01:51 PM

aam aadmi party punjab

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से पंजाब में एक बार फिर ‘थर्ड फ्रंट’ को लेकर नेताओं में चर्चा छिड़ गई है। हालांकि पहले भी सुखपाल खैहरा और आम आदमी पार्टी प्रधान भगवंत मान ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए थे लेकिन सफल नहीं हो पाए थे।

चंडीगढ़(रमनजीत): लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से पंजाब में एक बार फिर ‘थर्ड फ्रंट’ को लेकर नेताओं में चर्चा छिड़ गई है। हालांकि पहले भी सुखपाल खैहरा और आम आदमी पार्टी प्रधान भगवंत मान ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए थे लेकिन सफल नहीं हो पाए थे। भले ही पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस के बैनर तले खैहरा, डा. धर्मवीरा गांधी, बैंस बंधु, बहुजन समाज पार्टी और वामपंथी इकट्ठे हुए लेकिन सफलता हासिल नहीं हो पाई।

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इतना जरूर हुआ कि आनंदपुर साहिब, जालंधर और होशियारपुर जैसी सीटों पर गठबंधन प्रत्याशियों को अच्छे-खासे वोट हासिल हुए जबकि दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी की परफॉर्मैंस ज्यादा अच्छी नहीं रही। थर्ड फ्रंट की चर्चा के लिए अब लोकसभा चुनाव नतीजों में हासिल हुए वोटों के प्रतिशत संबंधी आंकड़ों को आधार बनाया जा रहा है। ऐसी तस्वीर पेश की जा रही है कि सभी गैर भाजपा-अकाली और गैर कांग्रेसी दल इकट्ठे होकर लड़ें तो नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। रिवायती कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन का विकल्प देने के लिए प्रयास भी शुरू हो गया है। खैहरा द्वारा संकेत दिए गए हैं कि पंजाब एकता पार्टी को सहमति के साथ लोक इंसाफ पार्टी या नए नाम से गठित होने वाली पार्टी में मर्ज कर दिया जाएगा। अगला चुनाव अलग-अलग पार्टियों के नाम व झंडे तले नहीं, बल्कि गठबंधन सथियों के किसी भी झंडे तले लड़ा जाएगा।

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दरअसल, लोकसभा चुनाव में पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस का कोई उम्मीदवार तो नहीं जीता परंतु वोट प्रतिशत हासिल करने में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल-भाजपा के बाद अलायंस का ही नंबर है।‘आप’ भी वोट प्रतिशत के मामले में अलायंस से पीछे रही जिसको 2017 के विधानसभा चुनाव में तीसरे विकल्प के तौर पर प्रचारित किया गया था। यही कारण रहा कि अलायंस चुनाव में करीबन 10 प्रतिशत वोट शेयर ले गया, जबकि 2017 विधानसभा चुनाव में 23 प्रतिशत वोट शेयर लेने वाली आम आदमी पार्टी इस बार मत प्रतिशत में दहाई का आंकड़ा (करीबन 7 फीसदी) भी नहीं छू पाई। इससे सबक लेते हुए पंजाब एकता पार्टी, लोक इंसाफ पार्टी और नया पंजाब पार्टी एकजुट होने के बारे में विचार कर रही हैं। इन तीनों पार्टियों को एक झंडे के तले करने के बाद संभवत: आगे की योजना के तहत चुनाव बसपा व वामपंथियों के साथ गठजोड़ करके लड़ा जाएगा।

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हालांकि कुछ विधायक इस तीसरे विकल्प में आम आदमी पार्टी को भी शामिल करने के प्रयास कर रहे हैं और ‘आइस ब्रेकिंग’ के तौर पर ‘आप’ की टिकट पर जीते एक मात्र सांसद भगवंत मान द्वारा सुखपाल सिंह खैहरा व नाराज आप विधायक कंवर संधू को फोन किया गया था लेकिन बात फिलहाल आगे नहीं बढ़ पाई है। पंजाब एकता पार्टी के प्रधान और पंजाब लोकतांत्रिक गठजोड़ के प्रमुख नेता सुखपाल खैहरा का कहना है कि डा. गांधी और बैंस बंधुओं की पार्टी की राजनीतिक सोच तकरीबन एक सी ही है। इस कारण उनकी तरफ से एक ही पार्टी के झंडे नीचे लडऩे की रणनीति बनाई जा रही है। पार्टी का एक निशान, एक विधान और एक प्रधान होगा। उन्होंने कहा है कि इन तीनों दलों की एक पार्टी बनाकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और वामपंथी पार्टियों से गठबंधन किया जा सकता है।

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