Edited By Vatika,Updated: 15 May, 2025 11:38 AM

प्रधानमंत्री की आदमपुर एयरबेस पर आने और इसी दौरान जालंधर केंद्रीय से हलके
जालंधर: प्रधानमंत्री की आदमपुर एयरबेस पर आने और इसी दौरान जालंधर केंद्रीय से हलके से आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा की सिक्योरिटी और उनकी जिप्सी वापस लिए जाने के समाचारों ने राजनीतिक क्षेत्रों में कई नई चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। सूत्रों के मुताबिक विधायक की सुरक्षा वापसी का कारण तो अभी स्पष्ट नहीं हो पाया हैं परंतु इस मान सरकार के इस कदम से भाजपा के अंदर एक नई हलचल पैदा हो गई है। भाजपा के विभिन्न गुट इसके पश्चात सक्रिय हो गए हैं। सूत्रों की माने तो भाजपा के एक गुट का कहना है कि भाजपा के पूर्व सी.पी.एस. विधायक रमन अरोड़ा को भाजपा में शामिल करवाने और उन्हें समुचित आदर मान के साथ उनके मन वांछित विधानसभा क्षेत्र से आगामी चुनाव लड़वाने का वायदा करके भाजपा में शामिल करवाने के लिए अपने साथ लेकर भाजपा मुख्यालय दिल्ली गए है, पर जब जांच की तो पता चला कि उक्त भाजपा नेता तो शहर में ही है और उनका रमन अरोड़ा से कोई संपर्क नहीं हुआ है।
कालिया और राठौर ने की गुप्त बैठक
भाजपा के एक अन्य ग्रुप ने अफ़वाह फैला दी कि जालंधर केंद्रीय से सशक्त उम्मीदवार मनोरंजन कालिया और भावी उम्मीदवार राकेश राठौर में एक गुप्त स्थान पर समझौता हो गया है और वह रमन अरोड़ा को भाजपा में शामिल होने को रोक रहे हैं, क्योंकि रमन अरोड़ा भी उक्त क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। इस संबंध में जब दोनों नेताओं से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मामले में अभिज्ञता जताते हुए इसे कोरी अफवाह बताया।
रमन अरोड़ा शीघ्र ही भाजपा करेंगे ज्वाइन
एक युवा नेता जोकि अपने आपको भाजपा के संगठन मंत्री के काफी नजदीक बताते है द्वारा भी उक्त चर्चाओं को यह कह कर हवा दी कि रमन अरोड़ा शीघ्र ही भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं, परंतु वह कब भाजपा में आएंगे यह अभी तय नहीं हुआ है।
विधायक के विरुद्ध विजीलैंस की हो सकती हैं जांच
सूत्रों के अनुसार विधायक रमन अरोड़ा के विरुद्ध विभिन्न वर्गों द्वारा कुछ आर्थिक अनियमितताओं की शिकायतें लगातार सरकार के पास गई थी, जिसके चलते मान सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा वापस ली गई है, अब इसमें सच्चाई क्या है यह तो आने वाला समय ही बताएगा परंतु उनकी सिक्योरिटी वापसी ने भाजपा में इतनी हलचल पैदा कर दी थी कुछ एक ने तो सोशल मीडिया पर भाजपा में आने और उनके बाद भाजपा के टकसाली नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के मनोबल टूटने, भाजपा की पंजाब में हो रही दुर्गति जैसे संवाद भी सामने आ रहे है।
टकसालियों पर विश्वास की बजाए उधार के नेताओं को अधिमान
दूसरे राजनीतिक दलों से नेताओं की भाजपा में एंट्री के समाचारों के निरंतर आने के चलते अधिकतर टकसाली नेताओं का मानना है कि यदि इसी प्रकार चलता रहा तो पंजाब में भाजपा कभी भी अपना जनाधार नहीं बना पाएगी और न ही कभी सत्ता में आ पाएगी। जो पार्टी अपने प्राथमिक व टकसाली कार्यकर्त्ताओं और नेताओं पर विश्वास करने की बजाय उधार के नेताओं को अधिमान दे रही है। पंजाब में फैल रहे इस रोष को संभालने की दिशा में भी अभी तक कोई कारगर प्रयास भी नहीं किए जा रहे हैं।