Edited By Kamini,Updated: 31 Jan, 2025 07:35 PM
एनकाउंटर से जुड़े मामले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। इसमें सीबीआई की विशेष अदालत ने 2 पूर्व पुलिस कर्मचारियों को दोषी ठहराया है।
पंजाब डेस्क : पंजाब के अमृतसर जिले में 1992 में 2 लोगों के फर्जी एनकाउंटर से जुड़े मामले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 2 पूर्व पुलिस कर्मचारियों पुरुषोत्तम सिंह तत्कालीन थानेदार मजीठा और एसआई गुरभिंदर सिंह को दोषी ठहराया है। दोनों पुलिस कर्मियों को हत्या व साजिश रचने के आरोप में दोषी करार दिया गया है, जिसकी सजा 4 फरवरी को सुनाई जाएगी। वहीं इस मामले में इंस्पेक्टर चमन लाल और डीएसपी एसएस सिद्धू को बरी कर दिया गया।
बता दें कि उक्त दोनों पुलिस कर्मियों ने फर्जी एनकाउंटर किया था, जिन युवकों की हत्या की गई उनमें से एक आर्मी का जवान और दूसरा 16 साल का नाबालिग था, लेकिन इन पुलिस कर्मियों ने दावा किया था कि दोनों युवक कट्टर आतंकवादी थे, जिन पर इनाम घोषित था और वे हत्या, जबरन वसूली, डकैती आदि के सैकड़ों मामलों में शामिल थे। ये भी बता दें कि, इस मामले की जांच सीबीआई ने 1995 से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की थी।
जांच दौरान सामने आया कि, फौजी जवान बलदेव सिंह देवा निवासी अमृतसर छुट्टी आया हुआ था, जिसको पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इसके बाद फर्जी एनकाउंटर दिखाकर उसकी हत्या कर दी थी वहीं 16 साल के नाबालिग लखविदंर सिंह को उसके घर से उठाकर मारा था, जिसका कोई सुराग नहीं लग पाया था। परिवार द्वारा काफी तलाश करने के बाद अदालत का रुख किया। इसके बाद इन मामलों की जांच पर पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
सीबीआई ने जांच में पाया कि पुलिस स्टेशन छेहर्टा की पुलिस ने मंत्री के बेटे की हत्या के मामले में देबा और लक्खा को झूठा फंसाया जिसकी हत्या 23.7.1992 को हुई थी। इस मामले में पुलिस ने 12.9.1992 को बलदेव सिंह उर्फ देबा को गिरफ्तार किया और 13.9.1992 को फर्जी एनकाउंटर कर दिया। इस मौके पर पुलिस ने बताया कि हथियारों की बरामदगी दौरान मुठभेड़ हुई, जिसमें बलदेव सिंह उर्फ देबा और एक हमलावर लखविंदर सिंह उर्फ लक्खा उर्फ फोर्ड मारा गया।
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