Gurmeet Bawa की ज़िंदगी के कुछ अनछुए किस्से जो आपको कर देंगे हैरान

Edited By Kamini,Updated: 21 Nov, 2021 05:30 PM

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गुरमीत बावा का जन्म 1944 में गांव कोठे गुरदासपुर में हुआ। अपनी कामयाबी का श्रेय उन्होंने हमेशा अपने पिता और पति को ही दिया। उनका साथ मिलने से वह महान गायिका बनने का मुकाम हासिल कर पाई। हमने अकसर सुना है कि एक कामयाब आदमी के पीछे एक महिला का हाथ...

गुरदासपुर: गुरमीत बावा का जन्म 1944 में गांव कोठे गुरदासपुर में हुआ। अपनी कामयाबी का श्रेय उन्होंने हमेशा अपने पिता और पति को ही दिया। उनका साथ मिलने से वह महान गायिका बनने का मुकाम हासिल कर पाई। हमने अकसर सुना है कि एक कामयाब आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है मगर यहां एक कामयाब महिला के पीछे एक नहीं बल्कि दो-दो आदमियों का हाथ था - गुरमीत बावा के पिता और पति का। वह पहली महिला सिंगर थी जिन्होंने दूरदर्शन पर गाने गाए थे। आइए जानते हैं उनके जीवन के अहम किस्से। 

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पिता और पति का मिला भरपूर साथ
गुरमीत बावा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि जो कुछ भी जिन्दगी में उन्होंने देखा वह कोई कलाकार नहीं देख सकता। उनके समय में लड़कियों को पढ़ने नहीं दिया जाता था। उन्होंने अपनी मां को कभी नहीं देखा उनके पिता को उन्हें पढ़ाने का शौंक था। वह 5 भाई-बहन थे, 4 बहनें और एक भाई। 3 गांवों में वह पहली लड़की थीं जो पढ़ने जाती थी। गांवों के कई लोगों ने उनके पिता को रोका परन्तु वह पीछे नहीं हटे और उन्हें पढ़ाया। उन्होंने बताया कि वह टीचर बनना चाहती थीं और उनके पिता ने उनकी इस इच्छा का मान रखते हुए उन्हें पढ़ाया। गुरमीत बावा को गाने का शौंक था मगर उन्हें यह नहीं पता था कि वह गायिका बनेगी। उन्होंने बताया कि शादी के बाद भी उनके पति किरपाल बावा ने उनकी पढ़ाई जारी रखी। गुरमीत बावा के पति ने ही उन्हें जे.बी.टी. कराई। वह तब जे.बी.टी. पास करने और शिक्षिका बनने वाली पहली महिला थीं। वह अपने मूल स्थान पर लड़कियों में से एक शिक्षित महिला के रूप में उभरी। 

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संगीत की दुनिया का सफर
संगीत और लोक वाद्ययंत्रों से उनका परिचय उनके पति किरपाल सिंह बावा ने करवाया था, जो खुद एक गायक थे। एक बार मुंबई में पंजाब एसोसिएशन द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जहां उनके गायन प्रदर्शन को प्रेम चोपड़ा, राज कपूर और प्राण जैसे बॉलीवुड के दिग्गजों से स्टैंडिंग ओवेशन मिला था। गुरमीत बावा ने मायानगरी मुंबई में पंजाबियों के स्वामित्व वाले टैलेंट का स्तर ऊंचा किया। राज कपूर ने उनसे गाने के लिए अनुरोध किया 'मैं जट्टी पंजाब दी, मेरी नरगिस वर्गी अख', तो यह उनके जीवन का एक विशेष क्षण था। उन्होंने 1991 में पंजाब सरकार द्वारा राज्य पुरस्कार, पंजाब नाटक अकादमी द्वारा संगीत पुरस्कार, 2002 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार और 2008 में पंजाबी भाषा विभाग द्वारा शिरोमणि गायिका पुरस्कार भी प्राप्त किए। गुरमीत बावा को भारत सरकार द्वारा 20-25 देशों में भेजा जा चुका था। उन्होंने रशिया में 45 सेकेंड की लंबी हेक लगाने का रिकॉर्ड भी बनाया। 

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बेटी को खोने का दर्द
अपनी बेटी को खोना किसी भी मां के लिए अपने बच्चे की मौत देखना मुश्किल होता है। गुरमीत बावा भी ऐसे ही दर्द से गुजरी जब उनकी बड़ी बेटी लाची बावा का पिछले वर्ष देहांत हो गया। जानकारी के अनुसार लाची पिछले लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रही थीं। इसी के चलते उनकी मौत हो गई। गुरमीत बावा की 2 और बेटियां भी हैं जिनमें से गलोरी बावा भी एक बेहतरीन गायिका हैं। 

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