भारतीय कपास निर्यात बढ़कर इस बार 70 लाख गांठ होने की संभावना

Edited By Sunita sarangal,Updated: 21 Feb, 2021 06:05 PM

indian cotton exports likely to rise to 70 lakh bales this time

देश के विभिन्न कपास पैदावार राज्यों में अब तक लगभग 2.67 से 2.70 करोड गांठ आमद होने की सूचना है। वहीं, दैनिक कपास आमद.......

जैतो(रघुनंदन पराशर): देश के विभिन्न कपास पैदावार राज्यों में अब तक लगभग 2.67 से 2.70 करोड गांठ आमद होने की सूचना है। वहीं, दैनिक कपास आमद घटकर 85000-100000 गांठ की रह गई हैं क्योंकि किसान तेजी में है और उनका मानना है कि कपास के भाव जल्दी ही 6500-7000 रूपए प्रति क्विंटल हो जाएंगे। 

कपास उत्पादन व उपयोग समिति ने चालू कपास सीजन दौरान देश में 3.65 करोड़ गांठ की तुलना में इस बार 3.71 लाख गांठ उत्पादन की संभावना जताई है जबकि कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी.ए.आई.) ने 3.60 करोड़ गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान लगाया है। लेकिन रुई बाजार के तेजी में फूंके कारोबारियों के यह आंकड़े गले नीचे नहीं उतर रहें हैं। इनका कहना है कि उत्पादन अधिक से अधिक 3.35 करोड़ गांठ रह सकता है। जानकार सूत्रों के अनुसार इस साल भारत का कपास निर्यात लगभग 30 प्रतिशत बढ़ सकता है क्योंकि वैश्विक कीमतों में वृद्धि ने फाइबर को प्रतिस्पर्धी बना दिया है।

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कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन-कम-मैंनेजिंग डायरैक्टर प्रदीप कुमार अग्रवाल के अनुसार भारत से विभिन्न देशों को कपास निर्यात पिछले साल की तुलना में इस बार 65 से 70 लाख गांठ के बीच हो सकता है। पिछले साल 50 लाख कपास विभिन्न देशों को निर्यात हुई थी। सी.सी.आई. के सी.एम.डी.पी. के. अग्रवाल के अनुसार उन्हें बड़ी उम्मीद है कि इस बार भारत के कुल कपास निर्यात में भारतीय कपास निगम का 10 लाख गांठ का हिस्सा बन सकता हैं। निर्यात की मांग अच्छी है। 

अग्रवाल ने कहा कि भारतीय कपास अभी भी दुनिया में सबसे सस्ती है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम और चीन जैसे देशों से अच्छी मांग है। बांग्लादेश भारतीय कपास का सबसे बड़ा खरीददार है। तुर्की और इंडोनेशिया अन्य खरीददार हैं। पाकिस्तान को भी कपास की जरूरत है क्योंकि इस साल उसकी फसल कम है। अमेरिकी राष्ट्रीय कपास परिषद की वैश्विक अर्थव्यवस्था तेजी से ठीक हो रही है और मिलें अधिक कपास खरीद रही हैं। 

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अग्रवाल ने कहा कि अमेरिका की कम फसल को भी भारतीय निर्यातकों के लिए सकारात्मक माना जाता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्र की खरीद योजना के तहत सी.सी.आई. ने इस साल 17 फरवरी तक 91,47,724 लाख गांठ कपास सीधी किसानों से खरीद की है जिस पर 26,678.10 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं जिससे 18 93,664 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। इस दौरान ही बाजार जानकारों का कहना है बाजार में कपास कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक  बिकने के कारण सी.सी.आई. बाजार से लगभग आऊट हो गई हैं। 

आज सी.सी.आई. 5000 गांठ से नीचे ही कपास खरीद पाती हैं जबकि देश में दैनिक कपास आमद 1 लाख गांठ तक मंडियों में आ रही हैं। रुई बाजार में क‌ई हफ्तों से तेजी का सिलसिला जारी है। अधिकतर कपास जिनर (रूई बिकवाल) की तेजी में धारणा है। भारत से अबतक 36-37 लाख गांठ कपास निर्यात और करीब 5.50 से 6 लाख गांठ आयात होने की सूचना है।

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