विवादों में घिरा सेंट्रल को-आप्रेटिव बैंक का नया बना बोर्ड आफ डायरेक्टर्स, जानें क्या है मामला

Edited By Vatika,Updated: 14 May, 2022 02:53 PM

central co operative bank s newly formed board embroiled in controversies

पिछले 5 साल पंजाब पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के शासनकाल दौरान विभिन्न सरकारी कार्यालयों में जो

जालंधर  (खुराना): पिछले 5 साल पंजाब पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के शासनकाल दौरान विभिन्न सरकारी कार्यालयों में जो अनियमितताएं बरती गई , उनका अब आम आदमी पार्टी ने पर्दाफाश करना शुरू कर रखा है और इसी प्रक्रिया के बीच अब जालंधर सेंट्रल को-आप्रेटिव बैंक का नया बना बोर्ड आफ डायरेक्टर्स भी  विवादों में घिरते नजर आ रहा है जिसके चुनाव कांग्रेस सरकार के कार्यकाल दौरान ही पिछले साल नवंबर में हुए थे ।

पिछले दिनों ‘ आप ‘ के वरिष्ठ नेता तथा पंजाब के वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा , जिनके पास को-आप्रेटिव  विभाग की जिम्मेदारी भी है , पास एक लिखित शिकायत पहुंची जिसमें जालंधर सेंट्रल को-आप्रेटिव  बैंक के नए चुने गए डायरेक्टर्ज पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं और स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि चुनावी प्रावधान की उपेक्षा करके तथा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्देशों का उल्लंघन करके डायरेक्टर्ज के चुनाव हुए । शिकायती पत्र में बोर्ड आफ डायरेक्टर्स को ‘ सीज ‘  करने तथा पूरी चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच की मांग की गई  है और यह भी कहा गया है कि सरकार तुरंत अपना चेयरमैन नियुक्त करे ताकि को-आप्रेटिव  बैंक को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके ।

पता चला है कि शिकायतकर्ता बैंक के ही  ज्यादातर कर्मचारी हैं जिनका आरोप है कि इन चुनावों हेतु नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर ने उस समय के कांग्रेसी मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के निकट संबंधियों को डायरेक्टर बनवाने के लिए तमाम नियमों को अनदेखा कर दिया ।  चुनावों के समय बैंक के बाहर और अंदर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात करके मनचाहे तरीके से नामांकन पत्र लिए गए और कईयों को कागज भरने से रोका तक  गया । शिकायतकर्ताओं  का कहना है कि डायरेक्टर का चुनाव लड़ने के लिए बैंक की ए.जी.एम में भाग लेना आवश्यक है परंतु रिटर्निंग ऑफिसर ने किसी से ऐसा सर्टिफिकेट नहीं मांगा और कई ऐसे फ्रैश डायरेक्टर चुन लिए गए जिन्होंने किसी ए.जी.एम में भाग ही नहीं लिया ।

एक डायरेक्टर तो  ऐसा चुन लिया गया जो एक क्रिमिनल केस में संलिप्त है और मौजूदा समय में प्रोबेशन पर जेल से बाहर है । कई डायरेक्टर जरूरी शिक्षा की योग्यता की शर्त को पूरा नहीं करते । शिकायती पत्र में साफ कहा गया है कि 18 नवंबर 2021 को हुए इन चुनावों में बैंक के एक पूर्व चर्चित कर्मचारी ने पूरा पूरा हस्तक्षेप किया जो किसी समय अकाली मंत्री का काफी करीबी रह चुका है और उस पर नौकरी दौरान ही कई गंभीर आरोप लगे । उसके खिलाफ कई केस तो  अभी भी अदालत में विचाराधीन है । उसकी चल व अचल संपत्ति की जांच की माँग भी इसी पत्र में की गई है । पता चला है कि बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के चुनावों दौरान हुई गड़बड़ियों की शिकायत का मामला इस समय डिप्टी रजिस्ट्रार पास भी चल रहा है ।  शिकायतकर्ताओं  का कहना है कि अगर आम आदमी पार्टी के नेता इस स्कैंडल की जांच करवाएं तो उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस को फायदा पहुंचाने वाले कई अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच सकते हैं ।

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