Jalandhar के लतीफपुरा को लेकर हाईकोर्ट के आदेश, 30 दिनों के भीतर....

Edited By Vatika,Updated: 31 Jul, 2025 03:02 PM

court orders dc to remove protesters from latifpura road

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर के लतीफपुरा में सड़कों पर अवैध कब्जों

जालंधर(खुराना): पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर के लतीफपुरा में सड़कों पर अवैध कब्जों को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए जालंधर के डिप्टी कमिश्नर (डी.सी.) को एक महीने के भीतर सभी कब्जे हटाकर ट्रैफिक बहाल करने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला मॉडल टाऊन की ज्वाइंट एक्शन कमेटी और सोहन सिंह द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है।

ग़ौरतलब है कि माडल टाऊन और जीटीबी नगर के बीच पड़ते लतीफपुरा में सड़कों पर अवैध कब्जों का मुद्दा लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है। 9 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट के निर्देशों पर जालंधर पुलिस, नगर निगम और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने संयुक्त अभियान चलाकर लतीफपुरा में कई वर्षों पुराने अवैध निर्माणों को तोड़ दिया था। हालांकि इस कार्रवाई के बावजूद न तो प्लॉट मालिकों और अलॉटियों को न्याय मिला और न ही विस्थापित परिवारों का पुनर्वास हो सका। सरकारी विभागों की लापरवाही के चलते स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही।

लतीफपुरा की मेन सड़क पर अढ़ाई साल पहले हो गया था 100 प्रतिशत कब्जा
लतीफपुरा 
की 120 फुट चौड़ी मेन सड़क, जो पहले 50 प्रतिशत कब्जों से प्रभावित थी, पिछले लंबे समय से पूरी तरह बंद है। 2022 के ऑपरेशन के बाद वहाँ से मलबा तक नहीं हटाया गया और न ही सड़कों का निर्माण हुआ, जिसके चलते विस्थापित परिवारों ने दोबारा वहां अस्थायी आशियाने बना लिए। इससे लतीफपुरा की मुख्य सड़क यातायात के लिए पूरी तरह बंद हो गई, जिससे स्थानीय लोगों, खासकर स्कूली बसों और एंबुलेंस को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सड़क बंद होने से पूरे क्षेत्र में ट्रैफिक जाम और हादसों की स्थिति बन रही है।

लतीफपुरा पुनर्वास मोर्चा का विरोध लगातार जारी
2022 के 
ऑपरेशन के बाद विस्थापित परिवारों ने लतीफपुरा पुनर्वास मोर्चा बनाकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया। यह मोर्चा पिछले ढाई साल से विस्थापितों के पुनर्वास की मांग कर रहा है। दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली याचिका सोहन सिंह और अन्य की ओर से एडवोकेट आर.एस. बजाज और सिदकजीत सिंह बजाज ने दायर की, जिसमें पंजाब सरकार, लोकल बॉडीज विभाग, जालंधर प्रशासन, इंप्रूवमैंट ट्रस्ट, नगर निगम और पुलिस को पार्टी बनाया गया। दूसरी याचिका मॉडल टाऊन की ज्वाइंट एक्शन कमेटी के चेयरमैन वरिंदर मलिक और प्रधान जसविंदर सिंह साहनी ने दायर की थी। इन याचिकाओं पर हाईकोर्ट में हाल ही में हुई सुनवाई में पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल के प्रतिनिधि मौजूद रहे। हाईकोर्ट ने जालंधर के डी.सी. को सख्त निर्देश दिए कि एक महीने के भीतर लतीफपुरा की सड़कों से सभी कब्जे हटाए जाएं और यातायात बहाल किया जाए। माना जा रहा है कि इस आदेश के बाद जल्द ही लतीफपुरा में प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हो सकती है।

पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर उठा था विवाद
पिछले 
साल जालंधर कमिश्नरेट पुलिस के एक असिस्टैंट कमिश्नर द्वारा हाईकोर्ट में दायर स्टेटस रिपोर्ट भी विवादों में रही। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि लतीफपुरा की सड़क कब्जों से मुक्त है और यातायात सुचारू है, जबकि याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 120 फुट चौड़ी सड़क पर पक्के निर्माण और टेंट लगाकर पूरी तरह कब्जा किया गया है, जिससे यातायात ठप है। मॉडल टाऊन की ज्वाइंट एक्शन कमेटी के प्रधान जसविंदर सिंह साहनी, जनरल सैक्रेटरी मनमीत सिंह सोढ़ी और सेक्रेटरी वरिंदर मलिक ने कई महीने पहले डी.सी., पुलिस कमिश्नर और नगर निगम कमिश्नर को पत्र लिखकर सड़क खुलवाने की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद कमेटी ने हाईकोर्ट का रुख किया। याचिका में कहा गया कि सड़क बंद होने से गुरुद्वारा नौवीं पातशाही जाने वाले रास्ते पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बन रही है, जिससे स्कूली बसों, एंबुलैंस और अन्य वाहनों को दिक्कत हो रही है। चीमा नगर सोसाइटी ने भी इसी तरह की शिकायत दर्ज की थी। हाईकोर्ट के ताजा आदेशों के बाद अब सभी की निगाहें जालंधर प्रशासन और पुलिस पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। लतीफपुरा के निवासियों और याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि इस बार सड़क से कब्जे पूरी तरह से हटाकर ट्रैफिक बहाल किया जाएगा और विस्थापित परिवारों के पुनर्वास का भी कोई ठोस समाधान निकलेगा।

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