Edited By Radhika Salwan,Updated: 10 Aug, 2024 07:33 PM
दिन-ब-दिन गिरता भूमिगत जल का स्तर इंसानों और जानवरों के लिए खतरे की घंटी है।
जाडला- दिन-ब-दिन गिरता भूमिगत जल का स्तर इंसानों और जानवरों के लिए खतरे की घंटी है, जिस तरह से आज इंसान लापरवाह इरादों के साथ अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है। घटते जल स्तर पर कई लोगों का कहना है कि किसानों द्वारा लगाए गए धान से पानी कम हो रहा है, लेकिन इस समस्या के लिए सभी जिम्मेदार हैं क्योंकि एक समय था जब गांव के तालाबों में केवल बरसातों में ही गंदा पानी दिखाई देता था।
गाँव के लोग अपने मवेशियों को उन तालाबों और पोखरों में चराते थे क्योंकि उस समय लोग पानी को नहीं खराब नहीं करते थे और पानी की कद्र नहीं करते थे। गंदा पानी सड़कों से लेकर लोगों के घरों तक में दस्तक दे रहा है। जब गांवों में जल आपूर्ति समितियों के सदस्य गांव की महिलाओं से अपने काम के बाद नलों को बंद करने का अनुरोध करते हैं, लेकिन वही महिलाएं कहती हैं कि वह ऐसे ही चलते रहेंगे क्योंकि वह बिल नहीं देते हैं। यहां मुद्दा बिल के बारे में सोचने का नहीं है कि वह बूंद-बूंद पानी कैसे बचाएं। दूसरे शब्दों में, पानी की कमी के लिए किसान 70 प्रतिशत जिम्मेदार हैं और हम सभी 30 प्रतिशत जिम्मेदार हैं, क्योंकि आज पीने योग्य पानी का बेहिसाब उपयोग कर रहे हैं। जल स्तर को बढ़ाने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है।
तीन दशक पहले जलस्तर करीब 20 फीट पर चल रहा था, लेकिन आज यह 100 फीट के आसपास पहुंच गया है। इस चलते सीजन में लोगों ने अपने घरों और कृषि वाहनों में लगभग 30 फीट पाइप लगा लिये हैं। इस वर्ष बारिश की कमी के कारण जल स्तर काफी नीचे जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाली पीढ़ियों को पानी की एक बूंद भी नहीं मिलेगी। मोटर के टुकड़े डाल रहे राजमिस्त्री ने बताया कि लोग अपनी फसल बचाने के लिए बड़ी-बड़ी मोटर लगा रहे हैं, लेकिन दौड़ के बारे में अब भी नहीं सोच रहे हैं।