Edited By Subhash Kapoor,Updated: 17 May, 2024 09:39 PM
![world hypertension day dmch will check blood pressure of 20 people every week](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/09_21_265939070blood pressure-ll.jpg)
'वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे’ के मौके पर दयानंद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल ने निजी चिकित्सा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा हृदय रोग (सीवीडी) आऊटरीच कार्यक्रम ‘इंडिया हाइपरटेंशन कंट्रोल इनिशिएटिव (आई.एच.सी.आई.)’ लॉन्च किया है।
लुधियाना (सहगल) : 'वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे’ के मौके पर दयानंद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल ने निजी चिकित्सा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा हृदय रोग (सीवीडी) आऊटरीच कार्यक्रम ‘इंडिया हाइपरटेंशन कंट्रोल इनिशिएटिव (आई.एच.सी.आई.)’ लॉन्च किया है। इस कार्यक्रम में ‘एक (1) ने बीस (20)’ नाम की पहल में स्वयंसेवकों को शामिल किया गया है और उन्हें उच्च रक्तचाप के रोगियों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। कार्यक्रम के तहत एक स्वयंसेवक हर सप्ताह 20 लोगों की ब्लड प्रेशर की जांच करता है। अस्पताल की मैनेजिंग समिति के सचिव बिपिन गुप्ता ने बताया कि डीएमसीएच ने जागरूकता फैलाने के लिए मेडिकल छात्रों, नर्सिंग स्टाफ और वरिष्ठ माध्यमिक छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण बुनियादी ढांचा विकसित किया है और अब तक 1 लाख से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है। डीएमसीएच का लक्ष्य अब शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 2000 स्वयंसेवकों को नियुक्त करना है ताकि अधिक से अधिक लोगों की जांच की जा सके। अस्पताल ने कार्यक्रम में कार्पोरेट्स, स्कूलों, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य लोगों को भी शामिल किया है।
डीएमसी एंड एच मैनेजमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष सुनील कांत मुंजाल ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए उद्योग, कॉरपोरेट्स, व्यावसायिक घरानों और स्कूलों सहित शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिबद्धता सराहनीय है। यह पूरे देश में अपनी तरह की एक अनूठी पहल है जहां ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों को डॉक्टरों की देखरेख में सीवीडी की पहचान करने और रोगियों के इलाज के लिए प्रशिक्षित किया गया।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने सीवीडी को नियंत्रित करने के लिए इंडिया हाइपरटेंशन कंट्रोल इनीशिएटिव आईएचसीएल कार्यक्रम लॉन्च किया है। अनुमान है कि देश भर में 20 करोड़ लोगों को उच्च रक्तचाप है, लेकिन 2 करोड़ से भी कम लोगों में यह नियंत्रण में है, जो लगभग 10 प्रतिशत है। सरकार का इरादा 2025 तक इसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का है।