... आखिर मूंगफली की सेल बढ़ने के बावजूद विभाग को क्यों नहीं मिलता रैवेन्यू?

Edited By Tania pathak,Updated: 13 Feb, 2021 03:31 PM

why does the department not get revenue despite increasing peanut sale

सर्दियों के मौसम की शुरुआत से ही अमृतसर और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में राजस्थान से आने वाली मूंगफली की आमद बढ़ जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग को इसका मिलने वाला रैवेन्यू नहीं मिल पा रहा

अमृतसर (इन्द्रजीत): सर्दियों के मौसम की शुरुआत से ही अमृतसर और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में राजस्थान से आने वाली मूंगफली की आमद बढ़ जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग को इसका मिलने वाला रैवेन्यू नहीं मिल पा रहा था। नतीजन गरीब की बदाम माने जाने वाली मूंगफली टैक्स माफिया के लिए वरदान साबित हो रही थी, वहीं दो नंबर में माल लाने वाले मूंगफली के व्यापारी और ट्रांसपोर्टर धड़ाधड़ टैक्स की चोरी कर रहे थे, लेकिन इसमें नया मोड़ तब आया। 

जब मैदानी इलाकों में तो मूंगफली की सेल जनवरी महीने के मध्य अवधि में ही कम हो गई लेकिन पहाड़ी इलाकों में मूंगफली की सेल अभी तक कायम है। मूंगफली की आमद बेशक कई प्रदेशों से आ रही है लेकिन अमृतसर रेंज में आने के उपरांत यह पहाड़ी इलाकों विशेषकर हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के इलाकों में अधिक खप्त हो रही है। पहाड़ी इलाकों में मूंगफली की सेल मार्च महीने के अंत तक बनी रहती है।

जानकारी के मुताबिक अमृतसर और इसके निकटवर्ती क्षेत्र तरनतारन के कस्बा पट्टी मूंगफली की सप्लाई का अघोषित डंप बन चुका है। पट्टी में आने के उपरांत मूंगफली की सप्लाई, पठानकोट, दीनानगर, बटाला-गुरदासपुर, धारीवाल, मजीठा सहित तीन दर्जन के करीब बड़े इलाके हैं। जहां पर इन दिनों मूंगफली की बेहद खपत रही थी, लेकिन सर्दी के कम होते ही अमृतसर रेंज के इलाकों में मूंगफली की सेल कम हो चुकी है। इसके साथ ही सर्दियों के जाते सीजन में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में सर्दी अभी तक जाने का नाम नहीं ले रही और मूंगफली की सेल बढ़ रही है।

इन इलाकों में बढ़ जाती है मूंगफली की सेल
इसमें हिमाचल प्रदेश के इलाकों में डल्हौजी, चंबा, बनी खेत, पांगी, भरमौर, मनाली, मंडी पालमपुर, धर्मशाला, मैकलोडगंज, कुल्लू, और जम्मू कश्मीर प्रांत में श्रीनगर, उधमपुर, पहलगाम, कारगिल, रियासी, पूंछ, अनंतनाग, डोडा, सोनमर्ग, किश्तवाड़, पुलवामा, अकनूर, गुलमर्ग से क्षेत्र हैं, जहां पर सर्दी फरवरी के महीने में जनवरी से कम नहीं होती और सर्दियों के दिनों में मूंगफली का क्रेज बढ़ जाता है।

पहाड़ी इलाकों के टैक्स माफिया हो जाते हैं सरगरम
सर्दियों के दिनों में पहाड़ी इलाके के टैक्स माफिया सरगर्म हो जाते हैं क्योंकि पंजाब के क्षेत्रों में मूंगफली परंपरागत रिवाज के मुताबिक इसकी सबसे अधिक सेल दीपावली के 2 सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती है और जनवरी की 20 तारीख के बाद खत्म हो जाती है। इसके उपरांत इस टैक्स वाली इस वस्तु का पंजाब सरकार को इसलिए उचित टैक्स नहीं मिल रहा, क्योंकि इसमें विभागीय अधिकारियों को इसकी तकनीकी तौर पर स्थानीय और पहाड़ी क्षेत्रों की सेल के बारे में जानकारी नहीं होती और टैक्स माफिया इसका पूरा लाभ उठाता है और अमृतसर की ट्रांसपोर्टेशन के रास्ते में पहाड़ी इलाकों में इसकी सप्लाई दे जाते हैं। वहीं इन दिनों सैकेंड-लीड टैक्स माफिया सरगर्म हो चुका है, जो पहाड़ी क्षेत्रों का माहिर है।

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मूंगफली सप्लाई का गढ़ है पट्टी
मूंगफली को स्टोर करने के लिए इसके फुटकल दुकानदार और थोक के व्यापारी सीजन शुरू होते ही गोदाम भरने शुरू कर देते हैं। यह लोग दिसंबर के महीने में अमृतसर बॉर्डर रेंज में माल भेज देते है। मूंगफली के उत्पादन में राजस्थान देश में सबसे आगे है, जहां से पंजाब को सप्लाई होती है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों के टैक्स माफिया भी राजस्थान के संपर्क में रहते हैं और अमृतसर और पट्टी कस्बा इस टैक्स चोरी की हब है और सबसे अधिक स्टोरिए तरनतारन के इलाके में आते में है, जहां पर बड़ी संख्या में बस स्टैंड के निकट अपने गोदाम बनाए हुए हैं। यहां पर इसकी स्टोरेज होती है और दूरदराज पहाड़ी क्षेत्रों को माल सप्लाई होता है। इस इलाके में किसी को स्टोरिंग का शक नहीं पड़ता। 

काली भेड़ बने विभागीय अधिकारी की रही है पिछले साल में मिलीभगत!
पिछले समय से पंजाब में दो नंबर के माल की आमद पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों का रहा है जो 40 की संख्या में प्रतिदिन ट्रक माल के लादान के लिए दिल्ली अमृतसर रूट पर भेज देते रहे हैं, जबकि अभी सेल 60 प्रतिशत है, जो पहाड़ी इलाकों में जाती है। इसमें मुख्य तौर पर नेगेटिव भूमिका एक्साइज एंड टैक्सेशन के एक अधिकारी की रही है, जो दो नंबर का माल मंगवाने वालों को ग्रीन सिग्नल देता रहा है। हालांकि उसका मोबाइल विंग में अब कोई संबंध नहीं है, लेकिन किसी सॢकल विभाग में होते हुए भी वह मोबाइल विंग के अधिकारियों की रेकी करके माफिया को जानकारी देता है। पता चला है कि उक्त अधिकारी की मिलीभगत चंडीगढ़-पटियाला तक है और यह प्राइवेट बसों में माल भेजने का माहिर है पिछले समय में इसका नाम प्राइवेट बसों की भागीदारी के बारे में भी उछला था और कभी अमृतसर जम्मू इलाके में 2 नंबर का माल लाने में इस की बड़ी भूमिका थी और अब भी अघोषित भागीदारी है। वही एक कांग्रेस की राजनीति में आउट हो चुका पंजाब स्तरीय बड़ा नेता आज भी इस विभागीय काली भेड़ की मदद कर रहा है।

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