जालंधर नगर निगम में मची लूट, सरकारी योजना के नाम पर की जा रही मोटी कमाई

Edited By Urmila,Updated: 07 Aug, 2024 11:16 AM

there is loot going on in jalandhar municipal corporation

2007 से 2017 तक रही अकाली भाजपा सरकार और उसके बाद आई कांग्रेस सरकार के कार्यकाल दौरान जालंधर नगर निगम में भ्रष्टाचार का जो दौर शुरू हुआ था।

जालंधर : 2007 से 2017 तक रही अकाली भाजपा सरकार और उसके बाद आई कांग्रेस सरकार के कार्यकाल दौरान जालंधर नगर निगम में भ्रष्टाचार का जो दौर शुरू हुआ था, वह अब आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा । चाहे आप सरकार ने भ्रष्टाचारियों विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है और स्टेट विजिलैंस ने भी वर्षों पुराने मामले खंगालने शुरू कर रखे हैं, कई दोषियों को दंडित भी किया जा चुका है परंतु इसके बावजूद लोकल बॉडीज विशेष कर जालंधर नगर निगम में भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा बल्कि पिछले 2 सालों से जालंधर निगम के विभिन्न विभागों में लूट सी मची प्रतीत हो रही है।

इस गड़बड़ियों बारे जालंधर निगम के संबंधित अधिकारियों को पूरी-पूरी जानकारी है और उनके हाथ में कई घोटालों के सबूत तक हैं परंतु फिर भी न तो इस भ्रष्टाचार को रोकने का ही कोई प्रयास हो रहा है और न ही दोषियों को दंडित किया जा रहा है। वहीं जाली एन.ओ.सी. के आधार पर नक्शे पास हो रहे हैं। इस कारण भ्रष्ट तत्वों को शह मिलती प्रतीत हो रही है जिस कारण निगम के बाकी विभाग भी घोर लापरवाही के शिकार होते जा रहे हैं।

छत बदलने संबंधी ग्रांट में जमकर हो रही हेरा फेरी, फील्ड स्टाफ की गड़बड़ी पकड में भी आई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से करीब 10 साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी जिसके एक चरण में शहरी लोगों के कच्चे मकानों को पक्के घर में बदलने संबंधी प्रोजैक्ट भी था। इस स्कीम के तहत जिन लोगों के घरों पर कच्ची यानी लकड़ी के बाले वाली छत थी, उन घरों को पक्के लैंटर वाले घर बनाने हेतु सरकार की ओर से करीब पौने दो लाख रुपए की ग्रांट दी जाती है। इस संबंधी सर्वे जालंधर के स्लम क्षेत्र में कई साल पहले किए गए थे और योजना के पहले चरण में जालंधर निगम को करोड़ों रुपए की ग्रांट भी प्राप्त हुई थी जिससे हजारों कच्चे मकानों को पक्के घरों में परिवर्तित कर दिया गया था।

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बाद में इस योजना का दूसरा चरण लागू हुआ और इस स्कीम का दायरा भी बढ़ा दिया गया। आरोप लग रहे हैं कि जालंधर निगम में प्रधानमंत्री आवास योजना के दूसरे चरण दौरान जमकर हेरा फेरी हुई और इस काम में लगे फील्ड स्टाफ ने कई मामलों में गड़बड़ी की जो अब पकड़ में भी आ रही है। कहा जा रहा है कि जिन लोगों को यह ग्रांट मिलनी चाहिए थी उनकी फाइलें निगम ऑफिस में वर्षों से धूल चाट रही हैं जबकि इस ग्रांट के ज्यादातर पैसे उन लोगों को दिए जा चुके हैं, जिनके घर पहले से ही पक्के थे या वह संबंधित कैटेगरी में आते ही नहीं थे।

इस ग्रांट के पैसे जारी करने हेतु सिस्टम तो यह बना है कि हर चरण की फोटो संबंधित साइट पर अपलोड करके पूरी फाइल बनाई जाती है और उसके बाद ही पैसे जारी होते हैं। कच्चे मकान के विभिन्न चरणों की फोटो के साथ-साथ पक्का मकान बन जाने संबंधी फोटो भी अपलोड किए जाते हैं परंतु आरोप है कि जालंधर निगम की संबंधित साइट पर कई केसों में फोटो ही उपलब्ध नहीं है।

ऐसे आरोप भी हैं कि कुछेक वार्डों में बहुत ज्यादा केस क्लियर किए गए हैं और एक-एक घर को दो-दो ग्रांटें तक जारी की गई हैं। कईयों ने फाइल को किसी एक मकान हेतु पास करवाया परंतु उस ग्रांट के पैसे दूसरी जगह पर खर्च कर दिए गए। जियो टैगिंग के चलते यह कैसे संभव हुआ यह जांच का विषय तो है परंतु आरोप यह भी है कि कई लोगों के खातों में ग्रांट के पैसे तो चले गए परंतु उन्होंने संबंधित घर पर पैसे खर्च ही नहीं किए और वह पैसे किसी दूसरे कामों में खर्च कर दिए गए।

अब अगर जालंधर निगम अपने स्तर पर इस सारे मामले की जांच करवाता है या यह केस विजिलैंस को सौंपा जाता है, तभी इस सारे मामले का पर्दाफाश हो सकेगा। हाल ही में निगम कमिश्नर के ध्यान में सारा मामला होने के बावजूद अभी तक संबंधित लोगों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई बल्कि कुछ तबादले जरूर किए गए हैं।

आवास योजना की ग्रांट को लेकर एक पूर्व पार्षद पर रिश्वत लेने के लग रहे आरोप

जालंधर नगर निगम को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करोड़ों रुपए की ग्रांट प्राप्त हो चुकी है और सैकड़ों लोगों को इस ग्रांट के तहत पैसे भी वितरित किए जा चुके हैं। अब पता लग रहा है कि जालंधर नगर निगम के एक पूर्व पार्षद ने अपने कार्यकाल के पांच सालों दौरान अपने वार्ड से संबंधित सैंकड़ों घरों को यह ग्रांट दिलवा दी हालांकि उनमें से कई घर ऐसे थे जो इस ग्रांट के योग्य ही नहीं थे। पूर्व पार्षद यह सेवा आज भी निभा रहे हैं।

इस पूर्व पार्षद पर यह आरोप भी लग रहा है कि इसने जिन घरों को ग्रांट के पैसे दिलवाए, उनमें से कइयों से सैल्फ का 30 हजार रुपए का चैक लेकर वह पैसे खुद निकलवा लिए। कुछ मामलों में तो रिश्वत की यह राशि 50 हजार भी बताई जा रही है। यह आरोप भी लग रहे हैं कि इस पूर्व पार्षद के वार्ड में आते ज्यादातर घरों ने ग्रांट के पैसे खर्च ही नहीं किए और कुछेक ने तो दूसरी कॉलोनी में प्लॉट लेकर अपने घर बना लिए।

अब जिस प्रकार प्रधानमंत्री आवास योजना की इस ग्रांट में बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है, उसे देखते हुए यह मामला जल्द ही स्टेट विजिलैंस को रैफर कर दिया जाएगा। उसके बाद इस पूर्व और युवा पार्षद के सारे भेद भी सामने आ सकते हैं क्योंकि सेल्फ के चैक के माध्यम से रिश्वत देने वाले कई लोग सामने आने को तैयार बैठे हैं। कुछ लोगों ने आर.टी.आई. के माध्यम से भी सारी जानकारी एकत्रित कर रखी है और अपने स्तर पर सारा सर्वे भी करवा लिया है जिन्हें गलत ढंग से ग्रांट वितरित की गई। इस पूर्व पार्षद को अक्सर नगर निगम की आवास योजना संबंधी ब्रांच में फाइलों से छेड़छाड़ करते देखा जाता है और उस ब्रांच का ज्यादातर स्टाफ भी इससे मिला हुआ है।

दो अवैध कॉलोनियों में फर्जी एन.ओ.सी देने के मामले सामने आए, जांच शुरू

पंजाब सरकार ने 2018 में अवैध कॉलोनियों को रैगुलर करने बाबत पॉलिसी जारी की थी जिसके बाद राज्य में अवैध कालोनियां काटने पर पाबंदी लगा दी गई थी। जालंधर में सरकार की इस पाबंदी का कोई असर नहीं हुआ और 2018 के बाद भी दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ों अवैध कालोनियां काट दी गई। पॉलिसी के नियमों को देखा जाए तो 2018 के बाद काटी गई अवैध कॉलोनी के प्लाटों को एन.ओ.सी. जारी नहीं हो सकती और न ही उन प्लॉटों के नक्शे पास किए जा सकते हैं परंतु जालंधर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से कॉलोनाइजरों ने इसका हल भी निकाल लिया और जालंधर निगम में एक ऐसा गैंग एक्टिव हो गया जो न केवल कॉलोनाइजरों के साथ मिलीभगत करके जाली एन.ओ.सी. बनाता रहा बल्कि कई मामलों में जाली क्लासिफिकेशन के लेटर भी जारी किए गए जिसके माध्यम से करोड़ों रुपए की सरकारी चोरी की जा चुकी है।

2018 के बाद जालंधर में कटी दो अवैध कॉलोनियों में जाली एनओसी जारी होने संबंधी जो आरोप लगे थे, उनकी निगम ने अपने स्तर पर जब जांच करवाई तो इन आरोपों की पुष्टि हो गई कि ज्यादातर प्लॉटों के नक्शे पास करवाने में जाली एन.ओ.सी. का प्रयोग किया गया है। यह कालोनियां दीपनगर रोड पर तथा साथ लगते एक गांव में काटी गईं। पता चला है कि कैंट विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में काटी गई अवैध कॉलोनी में चल रहे निर्माणों के जब नक्शे चैक किए गए तो उनमें लगी एन.ओ.सी. की जांच चंडीगढ़ बैठे हैल्प डैस्क से करवाई गई। जाली एनओसी के करीब आधा दर्जन मामलों में नक्शा पास करवाते समय लगी एन.ओ.सी. जाली पाई गई है।

चंडीगढ़ बैठे अधिकारियों ने बताया कि जिस एन.ओ.सी. के आधार पर नक्शा पास किया गया, उसमें से एक एन.ओ.सी पर निचले स्तर पर ही ऑब्जेक्शन लगा हुआ है। एक एन.ओ.सी जालंधर निगम से नहीं बल्कि सामाना शहर से जारी हुई है तो तीसरी एन.ओ.सी. को अमृतसर से जारी हुआ बताया गया है। इन एन.ओ.सीज के आधार पर जालंधर निगम ने कैसे नक्शे पास कर दिए यह भी जांच का विषय है। अब कमिश्नर के साथ-साथ डिप्टी कमिश्नर के ध्यान में भी यह मामला आ चुका है और जल्द ही आने वाले दिनों में पंजाब सरकार भी इस घोटाले पर कार्रवाई कर सकती है।

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