Edited By Urmila,Updated: 15 Nov, 2024 06:03 PM
सरकार की ओर से कृषि उपकरण सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं ताकि पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोका जा सके और पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
फाजिल्का (नागपाल,लीलाधर): मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. संदीप कुमार रिणवा ने बताया कि धान की पराली को आग लगाने की बजाय इसकी विभिन्न तरीकों से उपयोग में लाने के लिए सरकार की ओर से कृषि उपकरण सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं ताकि पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोका जा सके और पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
उन्होंने बताया कि काफी संख्या में प्रगतिशील किसान भाइयों द्वारा कृषि उपकरणों का उपयोग करके जहां फसल को आग नहीं लगाई, वहीं सीधे फसल की बुआई करके बेहतर पैदावार प्राप्त की गई है। फाजिल्का ब्लॉक के गांव मुंबेका के प्रगतिशील किसान तरसेम सिंह बाठ और बलविंदर सिंह बाठ दोनों सगे भाई हैं और पिछले आठ सालों से धान की पराली को आग लगाए बिना विभिन्न उपकरणों की मदद से खेत में समाहित कर गेहूं की बुआई कर रहे हैं।
किसान तरसेम सिंह बाठ ने बताया कि वे लगभग 50 एकड़ भूमि पर खेती करते हैं और इस बार धान की 1885 किस्म की कटाई के बाद सबसे पहले धान की पराली को पूरे खेत में एक समान बिखेर दिया गया। इसके बाद मल्चर चलाकर पराली को खेत में मिलाया गया और गेहूं की बुआई हैप्पी सीडर से कर दी गई। इस तरीके से ये किसान पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के निरंतर प्रयास कर रहे हैं और अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
इस अवसर पर कृषि विभाग की ओर से सर्कल इंचार्ज सुखदीप सिंह, जे.टी. तरसेम सिंह और गुरबख्श लाल ने बताया कि वे लगातार किसानों को फसल के अवशेष को आग न लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप किसान तरसेम सिंह बाठ अपनी फसल के अवशेष को आग नहीं लगाते और कई अन्य किसान भी अपनी धान की पराली को आग नहीं लगाते। उन्होंने बताया कि पराली को जलाने से पर्यावरण भी दूषित होता है जिससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें पराली नहीं जलानी चाहिए। सरकार द्वारा पराली की संभाल-संभाल के लिए विभिन्न मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई गई हैं, जिनका उपयोग करके पराली का प्रबंधन किया जा सकता है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here